RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
बाहर आते ही पति जी ने मुझे गले लगा लिया और बोले “ जया तुम्हारे मम्मी पापा ने हमे बहुत अच्छे आशीर्वाद दिए, लेकिन मम्मी ने जो हस्ते हुए कहा वो हम तुम्हारी सारी पढ़ाई ख़तम हो जाए उसके बाद करेंगे, मे तुम्हे दिन-रात चोदना चाहता हू, तुम्हे चुदाई का हर सुख देना चाहता हू और हम दोनो की जिस्म की प्यास भी बुझ जाए”. मेने कहा “ जैसा आप ठीक समझे”. पति जी बोले “ जया अब हम तुम्हारे बेडरूम मे चले”. मेने पति जी से कहा “ अब ये सिर्फ़ मेरा बेडरूम नही बल्कि आपका भी है, आप जब चाहे यहा आके कुछ भी कर सकते हो”. फिर हम दोनो नंगे ही मेरे बेडरूम मे चले गये. मेने बेडरूम मे आते ही दरवाजा बंद कर दिया और पति जी लिपट गयी और उनको जी भर के चूम ने लगी. थोड़ी देर बाद पति जी ने कहा “ जया अब तुम्हारे कॉलेज का समय हो रहा है, आज से पहले तुम एक कुवारि लड़की की तरह कॉलेज जाती थी, लेकिन आज से तुम मेरी पत्नी के रूप मे कॉलेज मे जाना, मेरी यही इच्छा है के तुम खूब मन लगाके पढ़ो”. मेने कहा “ पति जी मे खूब मन लगा के पढ़ु गी और कुछ तकलीफ़ होगी तो आप को ही बताउन्गि, क्यूंकी आप कॉलेज के सभी टीचर्स को अच्छी तरह जानते हो”. पति जी ने कहा “ मेरी प्यारी पत्नी, पढ़ाई के साथ तुम्हे अपने पति जी को भी खुस रखना है, इसलिए तुम कॉलेज मे ही मन लगा के पढ़ना और कैसे भी करके होम वर्क भी वही ख़तम करके आना, क्यूंकी जब तुम कॉलेज से आओगी तुम्हे हम दोनो की जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे पास आना होगा”. मेने कहा “पति जी मे खूब मन लगा के पढ़ूंगी और रिसेस के दौरान अपना होमे वर्क भी ख़तम कर दूँगी, लेकिन दोपहर को मम्मी घर पे होती है तो मे हम दोनो की जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए कैसे आउन्गि”. पति जी ने कहा “ वो तुम सब मुझ पर छोड़ दो”. फिर मुझे चूम ते हुए पति जी बोले “ जया तुम्हारी कॉलेज ड्रेस कहा है”. मीना कहा “ उस अलमारी मे है”. पति जी ने अलमारी को खोलके मेरा कॉलेज ड्रेस निकाला. मेने कहा “ पति जी वाहा पर मेरी चड्डी भी है”. पति जी ने कहा “ पत्नी जी आज से तुम्हे मे जैसे कपड़े पसंद करू वैसे ही कपड़े पहेन्ने होंगे”. फिर पति जी ने मुझे शर्ट पहनाया और हर बटन को बंद करते करते मुझे नाभि से गले तक चूम ते गये. पति जी मेरे पीछे आके मेरी कमर के पास एक सिल्वर चैन बाँध दी और उसे मेरी नितंब के पास ले गये. उस सिल्वर चैन के आगे के हिस्से मे एक रब्बर जैसा, घने काले रंग का और छोटी सी मूली जैसा कुछ था, वो सीधे आके मेरी चूत के मूह के पास अटक गया. पति जी मेरे आगे आए और कहा “ पत्नी जी इसे रब्बर का लंड कहते है , ये बाहर के देशो मे मिलता है, मेने खास तुम्हारे लिए मेरे दोस्त से मँगवाया है. एक नयी शादी की हुई पत्नी को अपने पति की याद हर वक़्त आती है, जब तुम कॉलेज मे पढ़ रही होगी तो तुम्हे भी मेरी याद आएगी और इसे तुम्हारा ध्यान पढ़ने मे नही लगेगा और मे चाहता हू के तुम अच्छे से पढ़ो और मुझे याद ना करो. इस लिए आज से ये लंड तुम्हारी चूत मे कॉलेज के दौरान रहेगा, क्यूंकी बाकी के समय मे सिर्फ़ तुम मेरा लंड ही अपनी चूत मे लोगि, समझी”. मे पति जी की बात को सुन के बहुत ही शर्मा गयी और सोच ने लगी के जब मे घर से कॉलेज जाऊंगी को ये लंड मेरी चूत मे होगा, जब मे कॉलेज मे कुछ भी काम करूँगी तब भी ये लंड मेरी चूत मे होगा, मानो 24 घंटे मेरी चूत मे लंड तो रहेगा ही चाहे ये रब्बर का हो या मेरे पति जी का, मे मन ही मन मे हंस पड़ी. फिर पति जी ने मुझे लहनगा पहनाया बिना चड्डी के. मे कुछ बोल ना चाहती थी पर एक अच्छी पत्नी बनके लिए मुझे अपने पति की हर बात को मान के चलना है ये सोच के मे चुप रही. पति जी ने मुझे कहा “ जया अपने मंगल सूत्र को संभाल के छिपाके रखना के कोई देख ना ले”.
मेने कहा “ आप चिंता मत कीजिए, मंगल सूत्र पारसी की नज़र नही पड़ने दूँगी, इसे हमेशा अपने जिस्म से लगा के रखूँगी”. फिर पति जी ने कहा “ आज हमारी सुहागरात थी इस लिए मे तुम्हे कोई काम नही दे रहा, इस लिए मे आज अपनी पत्नी के लिए नाश्ता बनाता हू, तो मे जाके नाश्ता बनाता हू तुम अपने मम्मी पापा को बाइ कर के मेरे पास आ जाना, ओके”. मेने कहा “ ओके”. पति जी को में घर के दरवाजे तक छोड़ ने गयी और जल्दी से दरवाजा बंद करके अपने मम्मी पापा के पास गयी और उन्हे कॉलेज जाने के लिए बाइ करके सीधे अपने पति जी के पास जा ने लगी. मेने सीढ़िया उतरते हुए सोचा कि आज से पहले मे जिसे अंकल कहती थी वोही मेरे पति बन जाएँगे ऐसा मेने सपने भी नही सोचा था और मेरा भी एक सपना था कि मे किसी अच्छे से लड़के से शादी करूँगी ना कि एक बुढ्ढे इंसान से शादी कर लूँगी और हमेशा के लिए उनकी हो जाउन्गी. मे जब पति जी के याने के मेरे ससुराल मे गयी तो पति जी पूरे नंगे ही खड़े थे और मुझे दरवाजे से ही उठा के सीधे रसोई के रूम ले जाके डिन्निंग टेबल पर सुला दिया, मेरे दोनो पैर हवा मे लटक रहे थे और दोनो हाथो से डिन्निंग टेबल की किनारियो के पकड़ लिया था ताकि मे गिर ना जाऊ. पति जी ने ये देखते ही मेरे दोनो पैरो को अपनी कमर पे लगा के मेरे बिचमे आके अपना नाज़ुक सा लंड मेरी चूत के पास रख दिया, पति जी ने मेरी चूत मे घुसे रब्बर के लंड को बाहर निकाल दिया और अपना गरम लोहे के जैसा लंड मेरी चूत मे डाल दिया. मेरी चूत मे रब्बर का लंड जाने से कब से पानी निकाल रहा था, सो पति जी का लंड आसानी से मेरी चूत मे एक ही झटके मे अंदर तक घुस गया. पति जी मेरे उपर झुक गये और मेने अपने दोनो हाथो को उनके गले मे डाल दिया, ऐसा करते ही मेरी गन्ड थोड़ी सी हवा मे आ गयी और पति का लंड अब और मेरे अंदर समा रहा हो ऐसा मुझे लग रहा था, मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, पति जी के लंड को मे अपनी चूत मे और अंदर तक लेना चाहती थी. मुझे बहुत बहरहमी से चूम ते हुए पति जी ने अपने लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे. कुछ ही समय मे मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और सीधा उनके लंड को भिगो के चूत से बाहर आने के लिए आगे बढ़ा लेकिन पति जी मुझे बहुत ज़ोर से दबोचते हुए लंड को चूत मे और गहराई तक ले गये और रुक गये, ऐसा करते ही मेरी चूत का पानी मेरे अंदर ही रह गया और पति जी ने लंड को उसे डूबा दिया. मानो एक ग्लास मे पानी भरा हो और उसमे बड़ा सा चमचा डाल दिया हो. मुझे डिन्निंग टेबल पे करीब 10 मिनट तक चोद ने के बाद पति जी ने अपना पानी मेरी चूत मे ही छोड़ दिया और तुरंत ही रब्बर के लंड को मेरी चूत मे डाल दिया ताकि हम दोनो का मिक्स हुवा पानी बाहर ना निकल जाए. फिर पति जी ने एक प्लेट आमलेट बनाई और हम दोनो ने उसे ब्रेड के साथ खा लिया. पति जी ने मुझे कहा “ जया मे आज तुम्हारे लिए नाश्ता नही बना सका, ये 100 रुपये रख लो और बाहर से नाश्ता कर लेना और जो पैसे बचे उसे अपने पास ही रख लेना और अपने जिस्म को और सुंदर करने के लिए इतेमाल करना, क्यूंकी अब तुम एक छोटी सी बच्ची मे से औरत बन गयी हो और हर औरत को अपने पति जी के लिए सजना सवरना बहुत अच्छा लगता है”. मेने ने कहा “ पति जी आज से मे अपने जिस्म का बहुत ही अच्छे से ख़याल रखूँगी, अब मे कॉलेज चलती हू मुझे देर हो रही है और वैसे भी कॉलेज से आते ही मे आपकी पत्नी बन जाऊंगी और अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए आप से लिपट के खूब मज़े करूँगी.” इतना कहने के बाद मे कॉलेज चली गयी. रास्ते मे चलते हुए पति का रब्बर का लंड मेरी चूत मे दब रहा था और मेरी चूत मे गुद गुडी हो रही थी, इसलिए मे थोड़ा सा अपने पैरो को फेला कर चल रही थी. मे जब कॉलेज मे पढ़ रही थी तब लंड चूत मे होने के बजह से मे ध्यान से पढ़ रही थी, क्यूंकी मे जब भी पति जी को याद करती तो मेरी चूत मे उतेज्ना बढ़ने से लंड मेरी चूत मे अंदर दबाव बढ़ा रहा था, सो मे लंड को और अंदर नही लेना चाहती थी, क्यूंकी मेरे मूह से हल्के सी सिसकारी निकल रही थी, मे और ज़्यादा उतेज़ित नही होना चाहती थी सो में पति को याद ना करके अपनी पढ़ाई मे ध्यान लगाने लगी. रिसेस के दौरान मेने पति जी के दिए हुए पैसो से नाश्ता किया. हमारी कॉलेज की रिसेस 10:00 से 10:30 बजे होती है. रिसेस के ख़तम होते ही कॉलेज के चपरासी ने मुझे बोला “ जया तुम्हारे घर से फोन आया था कि तुम्हारी मम्मी की तबीयत खराब हो गयी है तो तुम्हे अभी ही घर जाना होगा”. मैं ये बात सुनके अपने क्लास मे जाके कॉलेज बॅग और छाता लेके घर की ओर चल पड़ी.
क्रमशः........
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