RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
गतान्क से आगे......
डेट 18-जून-2000. सुबह उठ ते ही मेने फ़ैसला कर दिया के मे मम्मी को अभी कुछ नही बताउन्गि क्यूंकी मुझे भी अजीब सा मज़ा आ रहा था और मे इसे रोकना नही चाहती थी. मम्मी को नही बताने की एक और बजह थी कि अंकल इस घर के मालिक है और अगर मेने उनके खिलाफ कुछ कहा तो मम्मी पापा मेरा विश्वास नही करेंगे, क्यूंकी वो मेरी किसी भी बात को कभी भी दिमाग़ पे नही लेते थे, क्यूंकी वो मुझे एक छ्होटी बच्ची ही समझ ते थे. मे बाथरूम मे नहा धोके फ्रेश हो कर अपना कॉलेज यूनिफॉर्म जोकि उपर एक शर्ट और नीचे पेंट, दोनो ही वाइट थे वो पहन्के और अपना कॉलेज बेग और छाता लेके कॉलेज जाने लगी. नीचे उतरते ही अंकल सामने खड़े थे कल वाली ड्रेस मे, मे नज़र झुकाते वाहा से आगे जाने लगी, अंकल ने मुझे पकड़ा के अपने जिस्म के साथ मुझे पूरा सटा दिया, लेफ्ट हाथ मेरे गर्दन पे और राइट हाथ मेरी कमर पे रख के मेरे होंठो को चूमने लगे. मेरे दोनो हाथो मे बॅग और छाता था. मेरे होंठो को 15 मिनट तब चूमने के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया. उन्होने मेरी दोनो बाजू को पकड़ कर मुझे उपर से नीचे देख रहे थे, मेरी नज़र नीचे की ओर थी. अंकल ने अपने पॉकेट मे से एक सोने की चैन निकाली और मेरी शर्ट की पॉकेट मे रख दी जोकि मेरे दिल के बहुत पास थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उनके इस प्यार से के वो मुझे इतनी कीमती सोने की चैन दे रहे थे. फिर मे वाहा से कॉलेज जाने के लिए निकल गयी और एक बार अंकल की ओर देख कर उन्हे हल्की सी मुस्कुराहट दी. कॉलेज मे रिसेस के टाइम मे मेने वो चैन अपने शर्ट के पॉकेट से निकाल के देखा, वो एक भारी सोने की चैन थी, उसमे एक लॉकेट भी था जिस का शेप दिल जैसा था, मे उसे देख के बहुत ही ज़यादा शर्मा गयी और उस चैन को अपने दिल से लगा दिया और मन ही मन मे शरमाने लगी. मेने सोने की चैन को वापस अपने स्कूल के बेग मे रख दी ता कि कोई देख ना ले. और आज भी जल्दी छुट्टी मिली थी सो मे जल्दी ही अपने घर जाने के लिए चल पड़ी.
मे जल्दी जल्दी चलके अपने घर पर जाना चाहती थी बलके आज जल्दी छुट्टी मिलने की बजह से मे अंकल के पास जाना चाहती थी. मे जैसे ही नीचे से गुज़री की अंकल वाहा खड़े थे शायद उन्हे मालूम था कि कॉलेज मे जल्दी छुट्टी मिलने वाली थी. मुझे वो उन्होने मेरी कमर पे हाथ रख के अपने घर मे ले गये. अंदर जाते ही उन्होने मेरे हाथो से कॉलेज बेग और छाता ले लिया और बाजू पे रख दिया. मे अंकल की छाती को देख रही थी जोकि ओपन थी और उन्होने नीचे आज पेंट की जगह एक बड़ी चढ्ढि पहनी हुई थी. उस वक़्त अंकल की निगाहे मेरी आँखे को देख रही थी वो देख रहे थे और जैसे ही मेने उपर की ओर देखा तो मेरी और उनकी नज़र एक हो गयी और मे शरम से लाल हो गयी और मेरा जिस्म कपने लगा मानो एक अजीब सी लहेर दौड़ रही हो पूरे जिस्म मे, और मेने आँखे नीचे झुका दी.अंकल ने डोर बंद कर दिया.हम दोनो सोफे की और बैठने के लिए बढ़े. अंकल ने अपना लेफ्ट हाथ मेरी गर्दन पर रख कर मुझे सोफे पे बिठा दिया और राइट हाथ मेरे छाती से तोड़ा नीचे ले जाके मेरी पीठ पे रख दिया और मेरे होंठो को चूमने लगे. फिर कल की ही तरह उन्होने अपना राइट लेग मेरी दोनो लेग के बीच मे रख दिया. मुझे आज कल से ज़्यादा मज़ा आ रहा था. उन्होने 15 मिनट मेरे होंठो को चूमने के बाद मुझे छोड़ दिया. अंकल ने अपना राइट हाथ जोकि मेरी पीठ पे था उसे मेरी गर्दन के पास लाके घुमाने लगे. मेरी नज़र उनके हाथ पे थी. फिर मे समझ गयी कि वो सोने की चैन ढूँढ रहे थे. मेने डरते और शरमाते हुए इशारो से बेग बताया और वो समझ गये कि सोने की चैन कॉलेज बेग मे है. वो उठ के बेग मे चैन ढूँढ रहे थे. मेरी हिम्मत नही हो रही थी के मे उन्हे वो चैन निकाल के दू. उन्हे मेरे कॉलेज बेग मे ज़्यादा बुक ना होने की बजह से वो सोने की चैन मिल गयी. अंकल वो चैन लेके मेरे पास आए और अपने घुटनो के बल बैठ के मेरी ओर देखने लगे, मे तिरछी नज़र से उन्हे देख रही थी, उन्होने चैन के लॉकेट को चूमा और मेरी तरफ आगे बढ़ गये. उन्होने बैठे बैठे ही अपने घुटनो के बल पे मेरे सामने आ गये. उनकी हाइट मेरे से 3 या 4 इंच ज़्यादा थी. उन्होने मेरी कमर पर हाथ रख के मुझे सोफे से उनकी और खिचा. उन्होने मेरे दोनो पाव को थोड़ा सा चौड़ा कर दिया और अपनी कमर के दोनो बाजू पे एक एक करके रख दिया. अंकल ने मेरे शर्ट का पहला बटन खोल दिया, मे बहुत ज़ोर्से काँप रही थी, फिर अंकल ने मेरे गर्दन के पीछे हाथ रहके वो चैन मेरे गले पे रख दिया. अंकल से चैन लॉक नही लग रहा था, वो उठ के जल्दी से सोफे पे आके मेरे पीछे बैठ गये और मेरे बालो को आगे करते हुए चैन का लॉक लगा दिया. उन्होने मुझे पीछे से मेरी कमर मे हाथ डाल के पकड़ लिया. मेरी पीठ उनकी छाती से लगी हुई थी और उनके हाथ मेरी कमर पे थे, उन्होने पहले मेरे राइट डाल को चूम लिया और फिर मेरे बालो को पीछे करते हुए मेरे लेफ्ट गाल को चूम लिया, इन दो नो चुंबन से मेरे दिल मे कुछ कुछ होने लगा और मैने शरम से अपना मूह अपने हाथो से छुपा लिया. अंकल पीछे से खड़े होके मेरे बाजू मे आके बैठ गये और कल की तरह अपने हाथ रख के और मेरे दोनो हाथ भी कल की जगह पे रख के मेरे होंठो को चूमने लगे. अंकल 5 मिनट के बाद मेरी गर्दन पे चूमने लगे जहा वो सोने की चैन लगी हुई थी, इससे मे काफ़ी कराह रही थी और मेने एक हाथ से उनके सिर को पकड़ लिया और उनके बालो मे हाथ फेरने लगी. अंकलने मेरा ये बर्ताव देख कर मेरी गर्दन पर हल्का सा काट दिया और मुझे छोड़ दिया. मेने अपनी शर्ट मे हाथ डाल के सोने की चैन के लॉकेट को अपने दिल के पास रख ते हुए पहला बटन बंद करके वही बैठी रही. फिर अंकल किचन मे चले गये और दो ग्लास जूस के बनाने लगे. अंकल हॉल मे आके मेरे हाथो को पकड़ कर मुझे किचन मे ले गये और डिन्निंग टेबल पे बिठा दिया और वो मेरे बाजू वाली चेअर पे बैठ गये. मेने किचन देखा वो भी हॉल की तरह बड़ा था और जो किचन मे होना चाहिए था वो सब कुछ था.
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