RE: Antarvasnasex आंटी के साथ मस्तियाँ
आंटी के तो होश ही उड़ गए। चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गई, उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी? घबराई हुई सी लगती हो।’
‘बाप रे… ये लंड है या मूसल..! किसी घोड़े का लंड तो नहीं लगा लिया..? और ये अमरूद..! उस साण्ड के भी इतने बड़े नहीं थे।’
‘आंटी इसकी भी मालिश कर दो ना।’ आंटी ने ढेर सा तेल हाथ में लेकर खड़े हुए लंड पर लगाना शुरू कर दिया, बड़े ही प्यार से लंड की मालिश करने लगीं।
‘राज तेरा लंड तो तेरे अंकल से कहीं ज़्यादा बड़ा है… सच तेरी बीवी बहुत ही किस्मत वाली होगी… एक लम्बा-मोटा लंड औरत को तृप्त कर देता है। तेरा तो…!’
‘आंटी आप किस बीवी की बात कर रही हैं? इस लंड पर सबसे पहला अधिकार आपका है।’
‘सच.. देख राज, मोटे-तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है। इसको मोटा-तगड़ा बनाए रखना। जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी।’
‘आप कितनी अच्छी हैं आंटी, वैसे आंटी इतने बड़े लंड को लवड़ा कहते हैं।’
‘अच्छा बाबा, लवड़ा.. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना। तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा। इतना मोटा और लम्बा लौड़ा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा।’
‘यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए।’
‘हट नालायक।’ आंटी बड़े प्यार से बहुत देर तक लंड की मालिश करती रहीं। जब मुझसे ना रहा गया तो बोला- आंटी आओ मैं भी आपकी मालिश कर दूँ।’
‘मैं तो नहा चुकी हूँ।’
‘तो क्या हुआ आंटी मालिश कर दूँगा तो सारी थकावट दूर हो जाएगी, चलिए लेट जाइए।’
आंटी को मर्द का स्पर्श हुए तीन महीने हो चुके थे, वो थोड़े नखरे करने के बाद मान गईं और पेट के बल चटाई पर लेट गईं।
‘आंटी ब्लाउज तो उतार दो.. तेल लगाने की जगह कहाँ है, अब शरमाओ मत.. याद है ना.. मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ।’
आंटी ने अपना ब्लाउज उतार दिया। अब वो काले रंग के ब्रा और पेटीकोट में थीं।
मैं आंटी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तेल लगाने लगा। चूचियों के आस-पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती थीं।
फिर मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगा। आंटी के मुँह से सिसकारी निकलने लगीं। वो आँखें मूंद कर लेटी रहीं।
खूब अच्छी तरह चूचियों को मसलने के बाद मैंने उनकी टाँगों पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे तेल लगाता जा रहा था, पेटीकोट को ऊपर की ओर खिसकाता जा रहा था। मेरा अंडरवियर मेरी टाँगों में फंसा हुआ था, मैंने उसे उतार फेंका।
आंटी की गोरी-गोरी मोटी जांघों के बीच में बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की।
धीरे-धीरे मैंने पेटीकोट आंटी के नितंबों के ऊपर सरका दिया। अब मेरे सामने आंटी के विशाल चूतड़ थे।
आंटी ने छोटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली कच्छी पहन रखी थी जो कुछ भी छुपा पाने में असमर्थ थी।
ऊपर से आंटी के चूतड़ों की आधी दरार कच्छी के बाहर थी, फैले हुए मोटे चूतड़ करीब पूरे ही बाहर थे।
चूतड़ों के बीच में कच्छी के दोनों तरफ से बाहर निकली हुई आंटी की लम्बी काली झाँटें दिखाई दे रही थीं।
आंटी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कच्छी में क़ैद कर रखा था। मैंने उन मोटे-मोटे चूतड़ों की जी भर के मालिश की, जिससे कच्छी चूतड़ों से सिमट कर बीच की दरार में फँस गई।
अब तो पूरे चूतड़ ही नंगे थे। मालिश करते-करते मैं उनकी चूत के आस-पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुट्ठी में भर लिया।
आंटी की कच्छी बिल्कुल गीली हो गई थी।
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