RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
“हट…नही करवाना….पायल कहा दिया…बिना पायल दिए ले चुका है…एक बार…पहले पायल…दे” कहते हुए उसके हाथ को झटके से हटाती हस दी. मुन्ना भी हस पड़ा और उसकी चुचि को पकड़ कस कर दबा दाँत पीसते बोला “कल ला दूँगा फिर…कम से कम पाँच बार लूँगा…”
“अफ…सीईई….कमिने छ्चोड़….घड़ी देख….क्या टाइम हुआ…” मुन्ना ने घड़ी देखी. सुबह के 4:30 बज रहे थे टाइम का पता ही नही चला था. पहले तो दोनो मा-बेटा पर पर चढ़ने उतरने का नाटक करते रहे फिर कौन पहल करे, इसी लूका-छिपि और एक बार की चुदाई में सुबह के साढ़े चार बज गये. शीला देवी हर्बरा कर उठ गई क्यों कि वो जानती थी कि गाओं में लोग जल्दी सोते है तो जल्दी उठ भी जाते थोरी देर में सड़को पर लोग चलने लगेंगे और थोरा बहुत उजाला भी हो जाएगा ऐसे में पकड़े जाने की संभावना ज़यादा है. मुन्ना को बोली “चल जल्दी बाकी जो करना होगा कल करेंगे….अंधेरा रहते घर….” मुन्ना का मन तो नही था मगर मजबूरी थी चुप-चाप उठ कर अपनी लूँगी ठीक कर खड़ा हो गया. शीला देवी सारी पहन रही थी उसके पास जा कर उसकी कमर पकर पेट सहलाता हुआ बोला “…है बड़ा दिल कर रहा था दुबारा लेने…का….बरी खूबसूरत….”
“छ्चोड़…पकड़े गये तो…फिर कभी मौका भी नही मिलने वाला…चल जल्दी…” और उसका हाथ हटा जल्दी से बाहर की ओर चल दी. मुन्ना भी पिछे पिछे चल पड़ा. तेज कदमो से चलते हुए दोनो घर पहुच चुप-चाप बिना आवाज़ किए अपने-अपने कमरे में चले गये. थोरी देर तक तो दोनो को नींद नही आई, रात की मीठी यादों ने सोने नही दिया मगर फिर दोनो सो गये. सुबह मुन्ना को तो कोई उठाने नही आया मगर शीला देवी को मजबूरन उठना पड़ा. करीब दस बजे दिन में मुन्ना उठा जल्दी से नहा धो कर खाना खाया और फिर बाहर निकल गया. शीला देवी वापस अपने कमरे में घुस गई और जा कर सो गई. शाम में खाना खाने के समय मुन्ना और शीला देवी मिले. चुप चाप खाना खाया फिर अपने अपने कमरो में चले गये. कमरे में घुसने से पहले शीला देवी और मुन्ना की आँखे एक दूसरे से मिली तो मुन्ना ने इशारा करने की कोशिश की मगर शीला देवी ने होंठ बिचका कर के दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया. शाम का आठ बज चुके इसलिए लूँगी पहन बैठ गया. बगीचे पर पहुचने के लिए बेताब था मगर शीला देवी तो कमरे में घुसी पड़ी थी. मुन्ना अपने कमरे से निकल कर शीला देवी के कमरे के पास पहुच गया. दरवाज़ा धीरे से खोलते हुए अंदर झाँक कर देखा तो पाया की शीला देवी बिस्तर पर आँखो पर हाथ रख लेटी हुई थी. उसके पास जा कर हिला कर उठाया. शीला देवी ने ओह आह..करते हुए आँखे खोली और पुचछा क्या बात है. मुन्ना मुँह बनाते हुए बोला “क्या…मा…मैं वाहा इंतेज़ार कर रहा था और तुम यहा…”. थोड़ा मुस्कुराती थोड़ा मुँह बनाती बोली “क्यों…इंतेज़ार कर रहा है…”
क्रमशः........................ .........
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