RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
गाँव का राजा पार्ट--14
कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम
गतान्क से आगे...............
आधे घंटे बाद जब शीला देवी को होश आया तो खुद को नंगी लेटी देख हर्बरा कर उठ गई. चुदाई का नशा उतरने के बाद होश आया तो अपने पर बड़ी शरम आई. बगल में बेटा भी नंगा लेटा हुआ था. उसका लटका हुआ लॉरा और उसका लाल सुपाड़ा उसके मन में फिर से गुद-गुड़ी पैदा कर गया. आहिस्ते से बिस्तर से उतर अपने पेटिकोट और ब्लाउस को फिर से पहन लिया और मुन्ना की लूँगी उसके उपर डाल जैसे ही फिर से लेटने को हुई कि मुन्ना की आँखे खुल गई. अपने उपर रखे लूँगी का अहसास उसे हुआ तो मुस्कुराते हुए लूँगी को ठीक से पहन लिया. शीला देवी भी शरमाते सकुचाते उस से थोरी दूर पर लेट गई. दोनो मा-बेटे एक दूसरे से आँख मिलाने की हिम्मत जुटा रहे थे. चुदाई का नशा उतरने के बाद जब दिल और दिमाग़ दोनो सही तरह से काम करने लगा तो अपने किए का अहसास हो रहा था. थोरी देर तक तो दोनो में से कोई नही बोला पर फिर मुन्ना धीरे से सरक कर शीला देवी की ओर घूम गया और उसके पेट पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे हाथ चला कर सहलाने लगा. फिर धीरे से बोला “मा….क्या हुआ…” शीला देवी कुच्छ नही बोली तब फिर बोला “इधर देख ना….” शीला देवी मुस्कुराते हुए उसकी तरफ घूम गई. मुन्ना उसके पेट को हल्के-हल्के सहलाते हुए धीरे से उसके पेटिकोट के लटके हुए नारे के साथ खेलने लगा. नारा जहा पर बाँधा जाता वाहा पर पेटिकोट आम तौर पर थोरा सा फटा हुआ होता है या यू समझिए कि गॅप सा बना होता है. नारे से खेलते-खेलते मुन्ना ने अपनी उंगलियाँ धीरे से उसमे सरका कर चलाई तो गुद-गुडी होने पर उसके हाथ को हटाती बोली “क्या करता है…हाथ हटा…” मुन्ना ने हाथ वाहा से हटा कमर पर रख दिया और थोरा और आगे सरक शीला देवी की आँखो में झाँकते हुए बोला “…मज़ा आया…” शरम से शीला देवी का चेहरा लाल हो गया उसकी छाती पर के मुक्का मारती हुई बोली “...चुप…गधा कही का…” मुन्ना समझ गया कि अभी पहली बार है थोरा तो सरमाएगी ही उसकी नाभि में उंगली चलाता हुआ बोला “मुझे तो बहुत मज़ा...आया…बता ना तुझे कैसा लगा…”
“हाई, नही छोरे…तू पहले हाथ हटा…”
“क्यों…अभी तो…बता ना…मा..”
“..धात…छोड़…वैसे आज कोई आम चुराने वाली नही आई..” शीला देवी ने बात बदलने के इरादे से कहा.
“तूने इतनी मोटी-मोटी गलियाँ दी…कि वो सब…”
“चल…मेरी गालियो का…असर…उनपे कहा से….होने वाला…”
“क्यों इतनी मोटी गलियाँ सुन कर कोई भी भाग जाएगा…मैने तो तुझे पहले कभी ऐसी गलियाँ देते नही सुना”
“वो तो…वो तो ऐसे ही…बस…पता नही…शायद गुस्सा…बहुत ज़यादा…”
“अच्छा गुस्से में कोई ऐसी गलियाँ देता है….वैसे बरी…मजेदार गलियाँ दे रही थी…मुझे तो पता ही नही था…”
“….चल हट बेशरम…”
“….. उन बेचारियों को तो तूने….”
“अच्छा…वो सब बेचारियाँ हो गई…सच -सच बता….लाजवंती थी ना…” आँखे नचती शीला देवी ने पुचछा. हस्ते हुए मुन्ना बोला “तुझे कैसे पता…तूने तो उसका बॅंड बजा…” कहते हुए उसके होंठो को हल्के से चूम लिया. शीला देवी उसको पिछे धकेलते हुए बोली “हट….बदमाश…तूने अब तक गाओं में कितनो के साथ…” मुन्ना एक पल खामोश रहा फिर बोला “क्या..मा…किसी के साथ नही..”
“चल झूठे….मुझे सब पता…है सच सच बता” कहते हुए फिर उसके हाथ को अपने पेट पर से हटाया. मुन्ना ने फिर से हाथ को पेट पर रख उसकी कमर पकड़ अपनी तरफ खींचते हुए कहा “साची साची बताउ…”
“हा साची…कितनो के साथ…” कहती हुई उसकी छाती पर हाथ फेरा. मुन्ना उसको और अपनी तरफ खींचता हुआ अपनी कमर को उसके कमर से सटा धीरे से फुसफुसता हुआ बोला “याद नही पर..बारह तेरह होंगी…”.
“हाई…दैयया…इतनी सारी…कैसे करता था मुए…मुझे तो केवल लाजवंती और बसंती का पता था…”कहते हुए उसके गाल पर चिकोटी काटी.
“वो तो तुझे इसलिए पता है ना क्योंकि तेरी जासूस आया ने बताया होगा…बाकियों को तो मैने इधर उधर कही खेत में कभी पास वाले जंगल में कभी नदी किनारे निपटा दिया था….”
“कमीना कही का…तुझे शरम नही आती…बेशरम…” उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली.
“अब तो मा को…. ही निपटा…..” कहते हुए उसने शीला देवी को कमर से पकड़ कस कर भींचा. उसका खरा हो चुका लंड सीधा शीला देवी की जाँघो के बीच दस्तक देने लगा. शीला देवी उसकी बाँहो से छूटने का असफल प्रयास करती मुँह फुलाते हुए बोली “छ्चोड़…बेशरम…मुझे फसा कर…बदमास…” पर ये सब बोलते हुए उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान भी तेर रही थी. मुन्ना ने अपनी एक टांग उठा उसके जाँघो पर रखते हुए उसके पैरो को अपने दोनो पैरों के बीच करते हुए लंड को पेटिकोट के उपर से चूत पर सताते हुए उसके होंठो से अपने होंठो को सटा उसका मुँह बंद कर दिया. रसीले होंठो को अपने होंठो के बीच दबोच चूस्ते हुए अपनी जीभ को उसके मुँह में थेल उसके मुँह में चारो तरफ घूमते हुए चुम्मा लेने लगा. कुच्छ पल तो शीला देवी के मुँह से गो गो करके गोगियाने की आवाज़ आती रही मगर फिर वो भी अपनी जीभ को थेल थेल कर पूरा सहयोग करने लगी. दोनो आपस में लिपटे हुए अपने पैरों से एक दूसरे को रगर्ते हुए चुम्मा-चाती कर रहे थे. मुन्ना ने अपने हाथ कमर से हटा उसकी चुचियों पर रख दिया था और ब्लाउस के उपर से उन्हे दबाने लगा. शीला देवी ने जल्दी से अपने होंठो को उसके चुंबन से छुड़ाया, दोनो हाँफ रहे थे और दोनो का चेहरा लाल हो गया था. मुन्ना के हाथों को अपनी चुचियों पर से हटाती हुई बोली “इश्स…क्या करता है…”. मुन्ना ने शीला देवी के हाथ को पकड़ अपनी लूँगी के भीतर घुसा अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया. शीला देवी ने अपना हाथ पिछे खींचने की कोशिश की मगर उसने ज़बरदस्ती उसकी मुत्हियाँ खोल अपना गरम तप्ता हुआ खरा लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया. लौरे की गर्मी पा कर उसका हाथ अपने आप लंड पर कसता चला गया.
“….तेरा मन नही भरा क्या…” लंड को पूरी ताक़त से मरोर्ति दाँत पीसती बोली.
“हाई…..नही भरा…एक बार और करने दे…ना…” कहते हुए मुन्ना ने उसके घुटनो तक उठे हुए पेटिकोट के भीतर झटके से हाथ घुसा दिया. शीला देवी ने चिहुन्क कर लंड को छ्चोड़ पेटिकोट के भीतर घुसते उसके हाथो को रोकने की कोशिश करते हुए बोली “इससस्स…..क्या करता है…कहा हाथ घुसा रहा…” मुन्ना ज़बरदस्ती हाथ को उसकी जाँघो के बीच ठेलता हुआ बोला “हाई….एक बार और…देख ना कैसे खड़ा है…”
“उफफफ्फ़…हाथ हटा….बहुत बिगड़ गया है तू…” तब तक मुन्ना का हाथ उसके जाँघो के बीच चूत तक पहुच चुका था. चूत की झांतो के बीच से रास्ता खोजते हुए चूत की छेद में बीच वाली उंगली को धकेला. शीला देवी की चूत पनिया गई थी. थोरा सा ठेलने पर ही उंगली कच से बूर में घुस गई. दो तीन बार कच कच उंगली चलाता हुआ मुन्ना बोला “हाई…पनिया गई है…तेरी चू…” शीला देवी उसकी कलाई पकड़ रोकने की कोशिश करती बोली “अफ…छ्चोड़..ना..क्या करता है…वो पानी तो पहले का है…”. एक हाथ से लूँगी को लंड पर हटाता हुआ बोला “पहले का कहा से आएगा…देख इस पर लगा पानी तो कब का सुख गया…”. नंगा खड़ा लंड देखते ही शीला देवी शरमाई आँखे चुराती कनिखियों से देखती हुई बोली “तेरी लूँगी से पुच्छ गया होगा…मेरा अंदर गिरा था कैसे सूखेगा…” कहते हुए मुन्ना के हाथ को पेटिकोट के अंदर से खींच दिया. पेटिकोट जाँघो तक उठा चुका था. लंड को अपने हाथ से पकड़ दिखाता हुआ मुन्ना बोला “….दुबारा…गिराने का दिल कर रहा है…आराम से जाएगा…इस..बार चिकनी हो गई है…तेरी चू…”
“चुप…बेशरम…बहुत देर हो चुकी है…”
“हाई…मया…एक बार में मन नही भरा…एक बार और…”
“रात भर तू यही करता रहता था क्या…”
“…तीन…चार…बार तो करता ही...”
“….मुआ…तभी दिन भर सोता था…रंडियों के चक्कर में”
“….अब उनका चक्कर छ्चोड़ दिया…अब केवल तेरे साथ…ही…एक बार और…” कहते हुए फिर से उसके पेटिकोट के भीतर हाथ घुसाने की कोशिश की.
|