RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
पर शीला देवी ने कोई जवाब नही दिया. खिड़की खुली थी कमरे में बिजली का बल्ब जल रहा था, बाहर जोरो की बारिशा शुरू हो चुकी थी. मौसम एक दम सुहाना हो गया था और ठंडी हवाओं के साथ पानी की एक दो बूंदे भी अंदर आ जाती थी. मुन्ना कुच्छ पल तक उसके तलवे को सहलाता रहा फिर बोला "मा…ब्लाउस तो बदल लो….गीला ब्लाउस पहन…"
"उ…रहने दे थोरी देर में सुख जाएगा..दूसरा ब्लाउस कहा लाई..जो…"
"तौलिया लपेट लेना…" शीला देवी ने कोई जवाब नही दिया.
मुन्ना हल्के हल्के पैर दबाते हुए बोला "आम नही खाओगि…"
"ना रहने दे मन नही है…"
"क्या मा… क्यों उदास हो रही हो…"
"ना मुझे सोने दे…तू आम. खा.."
"ओह हो…तुम भी खाओ ना…. कहते हुए मुन्ना ने आम के उपरी सिरे को नोच कर शीला देवी के हाथ में एक आम थमा दिया और उसके पैर फिर से दबाने लगा. शीला देवी अनमने भाव से आम को हाथ में रखे रही. ये देख मुन्ना ने कहा "क्या हुआ…आम अच्छे नही लगते क्या…चूस ना…पेर पर चढ़ के तोड़ा और इतनी मेहनत की…चूसो ना"
मुन्ना की नज़रे तो शीला देवी की नारियल की तरह खड़ी चुचियों से हट ही नही रही थी. दोनो चुचियों को एकटक घूरते हुए वो अपनी मा को देख रहा था. शीला देवी ने बड़ी अदा के साथ अनमने भाव से अपने रस भरे होंठो को खोला और आम को एक बार चूसा फिर बोली "तू नही खाएगा…"
"खाउन्गा ना…." खाते हुए मुन्ना ने दूसरा आम उठाया और उसको चूसा तो फिर बुरा सा मुँह बनाता हुआ बोला "ये तो एक दम खट्टा है…" .
"ये ले मेरे आम चूस…बहुत मीठा है…" धीमी आवाज़ में शीला देवी अपनी एक चुचि को ब्लाउस के उपर से खुजलाती हुई बोली और अपना आम मुन्ना को पकड़ा दिया. "मुझे तो पहले ही पता था…तेरा वाला मीठा होगा…" धीरे से बोलते हुए मुन्ना ने शीला देवी के हाथ से आम ले लिया और मुँह में ले कर ऐसे चूसने लगा जैसे चुचि चूस रहा हो. शीला देवी के अब चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लिए बोली "हाई…बड़े मज़े से चूस रहा है... मीठा है ना….". शीला देवी और मुन्ना के दोनो के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट खेल रही थी.
मुन्ना प्यार से आम चूस्ता हुआ बोला "हा मा…बहुत मीठा है…तेरा आम…ले ना तू भी चूस…"
"ना तू चूस… मुझे नही खाना…" फिर मुस्कुराती हुई धीरे से बोली "बेटा अपने..पेड़ के आम..खाया कर…"
"मिलते…नही…" मुन्ना उसकी चुचियों को घूरते हुए बोला.
"कोशिश…कर के देख…" उसकी आँखो में झकति शीला देवी बोली. दोनो को अब दोहरे अर्थो वाली बातो में मज़ा आ रहा था. मुन्ना अपने हाथ को लूँगी के उपर से लंड पर लगा हल्के से सहलाता हुआ उसकी चुचियों को घूरता हुआ बोला "तू मेरा वाला…चूस… खट्टा है…..औरतो को तो खट्टा…."
"हा..ला मैं तेरा…चूस्ति हू…खट्टे आम भी अच्छे होते…" कहते हुए शीला देवी ने खट्टा वाला आम ले लिया और चूसने लगी. अब शीला देवी के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई थी, अपने रसीले होंठो से धीरे-धीरे आम को चूस रही थी. उसके चूसने की इस अदा और दोहरे अर्थो वाली बात चीत ने अब तक मुन्ना और शीला देवी दोनो की अंदर आग लगा दी थी. दोनो अब उत्तेजित होकर वासना की आग में धीरे धीरे सुलग रहे थे. पेड़ के उपर चढ़ने पर दोनो ने एक दूसरे के पेटिकोट और लूँगी के अंदर छुपे माल को देखा था ये दोनो को पता था. दोनो के मन में बस यही था की कैसे भी करके पेटिकोट के माल का मिलन लूँगी के हथियार के साथ हो जाए. मुन्ना अब उसके कोमल पैरो को सहलाते हुए उसके एक पैर में पड़ी पायल से खेल रहा था शीला देवी आम चूस्ते हुए उसको देख रही थी. बार-बार मुन्ना का हाथ उसकी कोमल, चिकनी पिंदलियों तक फिसलता हुआ चला जाता. पेटिकोट घुटनो तक उठा हुआ था. एक पैर पसारे एक पैर घुटने के पास से मोड हुए शीला देवी बैठी हुई थी. कमरे में
पूरा सन्नाटा पसरा हुआ था, दोनो चुपचाप नज़रो को नीचे किए बैठे थे. बाहर से तेज बारिश की आवाज़ आ रही थी. आगे कैसे बढ़े ये सोचते हुए मुन्ना बोला
"…तेरा पायल मैं कल ला दूँगा सुबह जाउन्गा और…."
"रहने दे मुझे नही चाहिए तेरी पायल…."
"…मैं अच्छी वाली पायल…ला…"
"ना रहने दे, तू….पायल देगा…फिर मेरे से…उसके बदले…" धीरे से मुँह बनाते हुए शीला देवी ने कहा जैसे नाराज़ हो
मुन्ना के चेहरे के रंग उड़ गया. धीरे से हकलाता हुआ बोला "बदले में…क्या…मतलब…"
आँखो को नचाती मुँह फुलाए हुए धीरे से बोली "....लाजवंती को भी….पायल...." इस से ज़्यादा मुन्ना सुन नही पाया, लाजवंती का नाम ही काफ़ी था. उसका चेहरा कानो तक लाल हो गया और दिमाग़ हवा में तैरने लगा, तभी शीला देवी के होंठो के किनारों पर लगा आम का रस छलक कर उसकी चुचियों पर गिर पड़ा. शीला देवी उसको जल्दी से छाती पर से पोच्छने लगी तो मुन्ना ने गीला तौलिया उठा अपने हाथ को आगे बढ़ाया तो उसके हाथ को रोकती हुई बोली
"…ना ना रहने दे…अभी तो मैने तेरे से पायल लिया भी नही है जो…"
ये शीला देवी की तरफ से ये दूसरा खुल्लम खुल्ला सिग्नल था कि आगे बढ़. शीला देवी के पैर की पिंदलियों पर से काँपते हाथो को सरका कर उसके घुटनो तक ले जाते हुए धीरे से बोला "प...पायल दूँगा तो….तो दे...गी…"
धीरे से शीला देवी बोली "…प..आयल देगा..तो…? "
".आम…सा…आफ…करने…देगी…" धीरे से मुन्ना बोला. आम के रस की जगह आम सॉफ करने की बात शायद मुन्ना ने जानभूझ कर कही थी.
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