RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
गाँव का राजा पार्ट -12
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा पार्ट -12 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
मुन्ना का दिल किया कि ब्लाउस में कसे दोनो आमो को अपनी मुट्ठी में भर कर मसल दे पर मन मार कर टॉर्च अपनी मा के हाथ में पकड़ा नीचे गिरे आमो को उठा लिया और अपनी मुट्ही में भर दबाता हुआ उसकी पठार जैसी सख़्त नुकीली चुचियों को घूरता हुआ बोला "पक गये है…चूस चूस…खाने में…". शीला देवी मुस्कुराती हुई शरमाई सी बोली "हा..चूस के खाने लायक…इसस्स…ज़यादा ज़ोर से मत दबा….सारा रस निकल जाएगा….आराम से खाना".
चलते-चलते शीला देवी ने एक दूसरे पेड़ की डाल पर टॉर्च की रोशनी को फोकस किया और बोली "इधर देख मुन्ना…ये तो एक ड्म पका आम है…. इसको भी तोड़…थोड़ा उपर है…तू लंबा है…ज़रा इस बार तू चढ़ के…" मुन्ना भी उधर देखते हुए बोला "हा है तो एकदम पका हुआ और काफ़ी बड़ा भी…है…तुम चढ़ो ना…चढ़ने में एक्सपर्ट बता रही थी उस समय"
"ना रे गिरते-गिरते बची हू…फिर तू ठीक से टॉर्च भी नही दिखाता…कहती हू हाथ पर तो दिखाता है पैर पर"
"हाथ हिल जाता है…."
धीरे से बोली मगर मुन्ना ने सुन लिया "तेरा तो सब कुच्छ हिलता है…तू चढ़ ना…उपर…"
मुन्ना ने लूँगी को दोहरा करके लपेटा लिया. इस से लूँगी उसके घुटनो के उपर तक आ गई. लंड अभी भी खड़ा था मगर अंधेरा होने के कारण पता नही चल रहा था. शीला देवी उसको पैरों पर टॉर्च दिखा रही थी. थोड़ी देर में ही मुन्ना काफ़ी उँचा चढ़ गया था. अभी भी वो उस जगह से दूर था जहा आम लटका हुआ था. दो डालो के उपर पैर रख जब मुन्ना खड़ा हुआ तब शीला देवी ने नीचे से टॉर्च की रोशनी सीधा उसके लूँगी के बीच डाली. चौड़ी चकली जाँघो के बीच मुन्ना का ढाई इंच मोटा लंड आराम से दिखने लगा. लंड अभी पूरा खड़ा नही था पेर पर चढ़ने की मेहनत ने उसके लंड को ढीला कर दिया था मगर अभी भी काफ़ी लंबा और मोटा दिख रहा था. शीला देवी का हाथ अपने आप अपनी जाँघो के बीच चला गया. नीचे से लंड लाल लग रहा था शायद सुपरे पर से चमड़ी हटी हुई थी. जाँघो को भीचती होंठो पर जीभ फेरती अपनी नज़रो को जमाए भूखी आँखो से देख रही थी.
"अर्रे...रोशनी तो दिखाओ हाथो पर…."
"आ..हा..हा.. तू चढ़ रहा था….इसलिए पैरों पर दिखा…." कहते हुए उसके हाथो पर दिखाने लगी. मुन्ना ने हाथ बढ़ा कर आम तोड़ लिया. "लो पाकड़ो…". शीला देवी ने जल्दी से टॉर्च को अपनी कनखो में दबा कर अपने दोनो हाथ जोड़ लिए मुन्ना ने आम फेंका और शीला देवी ने उसको अपनी चुचियों के उपर उनकी सहयता लेते हुए कॅच कर लिया. फिर मुन्ना नीचे उतर गया और शीला देवी ने उसके नीचे उतर ते समय भी अपने आँखो की उसके लटकते लंड और अंडकोषो को देख कर अच्छी तरह से सिकाई की. मुन्ना के लंड ने चूत को पनिया दिया. मुन्ना के नीचे उतर ते ही बारिश की मोटी बूंदे गिरने लगी. मुन्ना हर्बराता हुआ बोला "चलो जल्दी…भीग जाएँगे...." दोनो तेज कदमो से खलिहान की तरफ चल पड़े. अंदर पहुचते पहुचते थोड़ा बहुत तो भीग ही गये. शीला देवी का ब्लाउस और मुन्ना की बनियान दोनो पतले कपड़े के थे, भीग कर बदन से ऐसे चिपक गये थे जैसे दोनो उसी में पैदा हुए हो. बाल भी गीले हो चुके थे. मुन्ना ने जल्दी से अपनी बनियान उतार दी और पलट कर मा की तरफ देखा पाया की वो अपने बालो को तौलिए से रगड़ रही थी. भींगे ब्लाउस में कसी चुचियाँ अब और जालिम लग रही थी. चुचियों की चोंच स्पस्ट दिख रही थी. उपर का एक बटन खुला था जिस के कारण चुचियो के बीच की गहरी घाटी भी अपनी चमक बिखेर रही थी. तौलिए से बाल रगड़ के सुखाने के कारण उसका बदन हिल रहा था और साथ में उसकी मोटे मोटे मुममे भी. उसकी आँखे हिलती चुचियों ओर उनकी घाटी से हटाए नही हट रही थी. तभी शीला देवी धीरे से बोली "तौलिया ले…और जा कर मुँह हाथ अच्छी तरह से धो कर आ…". मुन्ना चुप चाप बाथरूम में घुस गया और दरवाजा उसने खुला छोड़ दिया था. कमोड पर खड़ा हो मूतने के बाद हाथ पैर धो कर वापस कमरे में आया तो देखा कि शीला देवी बिस्तर पर बैठ अपने घुटनो को मोड़ कर बैठी थी और एक पैर की पायल निकाल कर देख रही थी. मुन्ना ने हाथ पैर पोछे और बिस्तर पर बैठते हुए पुचछा….
"क्या हुआ…."
"पता नही कैसे पायल का हुक खुल गया…"
"लाओ मैं देखता हू…" कहते हुए मुन्ना ने पायल अपने हाथ में ले लिया.
"इसका तो हुक सीधा हो गया है लगता है टूट…" कहते हुए मुन्ना हुक मोड़ के पायल को शीला देवी के पैर में पहनाने की कोशिश करने लगा पर वो फिट नही हो पा रहा था. शीला देवी पेटिकोट को घुटनो तक चढ़ाए एक पैर मोड़ कर, दूसरे पैर को मुन्ना की तरफ आगे बढ़ाए हुए बैठी थी. मुन्ना ने पायल पहना ने के बहाने शीला देवी के कोमल पैरों को एक दो बार हल्के से सहला दिया.
शीला देवी उसके हाथो को पैरों पर से हटा ते हुए रुआंसी होकर बोली "रहने दे…ये पायल ठीक नही होगी…शायद टूट गयी है…"
"हा…शायद टूट गयी…दूसरी मंगवा लेना…"
एकदम उदास होकर मुँह बनाती हुई शीला देवी बोली "कौन ला के देगा पायल…तेरे बाप से तो आशा है नही और ….तू तो…" कहते हुए एक ठंडी साँस भरी. शीला देवी की बात सुन एक बार मुन्ना के चेहरे का रंग उड़ गया. फिर हकलाते हुए बोला "ऐसा क्यों मा…मैं ला दूँगा…इस बार जब शहर जाउन्गा…इस शनिवार को शहर से…"
"रहने दे…तू क्यों मेरे लिए पायल लाएगा…" कहती हुई पेटिकोट के कपड़े को ठीक करती हुई बगल में रखे तकिये पर लेट गई. मुन्ना पैर के तलवे को सहलाता और हल्के हल्के दबाता हुआ बोला "ओह हो छोड़ो ना…मा…तुम भी इतनी मामूली सी बात…."
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