RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
इस बार उसने जीभ को पूरी खाई में उपर से नीचे तक चलाया और गांद के सिकुदे हुए छेद के पास ला कर जीभ को रोक दिया और कुरेदने लगा. उर्मिला देवी के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की घर में बैठे बिठाए उसकी गांद चाटने वाला मिल जाएगा. मारे उत्तेजना के उसके मुँह से आवाज़ नही निकल रही थी. गु गु की आवाज़ करते हुए अपने एक हाथ को पिछे ले जा कर अपना चूतरो को खींच कर फैलाया. राजू समझ गया था कि मामी को मज़ा आ रहा है और अब समय की कोई चिंता नही. उसने गांद के छेद के ठीक पास में दोनो तरफ अपने दोनो अंगूठे लगाए और छेद को चौड़ा कर जीभ नुकीली कर पेल दी. गांद की छेद में जीभ चलाते हुए चूतरो पर हल्के हल्के दाँत भी गढ़ा देता था. गांद की गुदगुदी ने मामी को एकद्ूम बेहाल कर दिया था. उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी "ओह राजू क्या कर रहा है…..बेटा…..उफफफफफफफ्फ़……मुझे तो लगता था तुझे कुच्छ भी नही…..पगले सस्स्स्स्सीईए उफफफफफफ्फ़ गान्ड चाटता रह हाईईईईईईई…….मेरी तो समझ में नहियीईई………". समझ में तो राजू की भी कुच्छ नही आ रहा था मगर गांद पर चुम्मिया काट ते हुए बोला
"पुच्च पुच्च…मामी सीईए….मेरा दिल तो आपके हर अंग को चूमने और चाटने को करता है…..आप इतनी खूबसूरत हो…मुझे नही पता गांद चाटी जाती है या नहीइ…हो सकता है नही चाती जाती होगी मगर…..मैं नही रुक सकता…..मैं तो इसको चुमूंगा और चाट कर खा जाउन्गा जैसे आपकी चूत….."
"सीईई…..एक दिन में ही तू कहा से कहा पहुच गया…..उफफफ्फ़ तुझे अपनी मामी की गांद इतनी पसंद है तो चाट….चूम……उफफफफफ्फ़ सीईई राजू बेटा……बात मत कर…मैं सब समझती हू…….तू जो भी करना चाहता है करता रह…..कुत्तीई…गांद में ऐसे ही जीभ पेल कर चातत्तटटटटटतत्त."
राजू समझ गया कि रात वाली छिनाल मामी फिर से वापस आ गई है. वो एक पल को रुक गया अपनी जीभ को आराम देने के लिए मगर उर्मिला देवी को देरी बर्दाश्त नही हुई. पीछे पलट कर राजू के सिर को दबाती हुई बोली "अफ रुक मत…….जल्दी जल्दी चाट.." मगर राजू भी उसको तड़पाना चाहता था. उर्मिला देवी पिछे घूमी और राजू को उसके टी-शर्ट के कॉलर से पकड़ कर खींचती हुई डाइनिंग टेबल पर पटक दिया. उसके नथुने फूल रहे थे, चेहरा लाल हो गया था. राजू को गर्दन के पास से पकड़ उसके होंठो को अपने होंठो से सटा खूब ज़ोर से चुम्मा लिया. इतनी ज़ोर से जैसे उसके होंठो को काट खाना चाहती हो और फिर उसकी गाल पर दाँत गढ़ा कर काट लिया. राजू ने भी मामी के गालो को अपने दांतो से काट लिया. "अफ कामीने निशान पर जाएगा…..रुकता क्यों है….जल्दी कर नही तो बहुत गाली सुनेगा….और रात के जैसा चोद दूँगी" राजू उठ कर बैठता हुआ बोला "जितनी गालियाँ देनी है दे दो…." और चूतर पर कस कर दाँत गढ़ा कर काट लिया.
"उफफफफ्फ़….हरामी गाली सुन ने में मज़ा आता है तुझे…….."
राजू कुच्छ नही बोला, गांद की चुम्मियाँ लेता रहा "…आ ह पुछ पुच्छ." उर्मिला देवी समझ गई की इस कम उमर में ही छोकरा रसिया बन गया है.
चूत के भज्नाशे को अपनी उंगली रगड़ कर दो उंगलियों को कच से चूत में पेल दिया चूत एक दम पासीज कर पानी छोड़ रही थी. चूत के पानी को उंगलियों में ले कर पिछे मुड़ कर राजू के मुँह के पास ले गई जो की गांद चाटने में मसगूल था और अपनी गांद और उसके मुँह के बीच उंगली घुसा कर पानी को रगड़ दिया. कुच्छ पानी गांद पर लगा कुच्छ राजू के मुँह पर.
"देख कितना पानी छ्चोड़ रही है चूत अब जल्दी कार्रर्र्र्ररर …."
पानी छोड़ती चूत का इलाज़ राजू ने अपना मुँह चूत पर लगा कर किया. चूत में जीभ पेल कर चारो तरफ घूमाते हुए चाटने लगा.
"ये क्या कर रहा है सुअर्रर…….खाली चाट ता ही रहेगा क्या… मदर्चोद.उफ़फ्फ़ चाट गांद चूत सब चाट लीईए……..भोसड़ी के……..लंड तो तेरा सुख गया है नाआअ…..हरामी….गांद खा के पेट भर और चूत का पानी पीईए ……..ऐसे ही फिर से झार गई तो हाथ में लंड ले के घुम्नाआ……"
अब राजू से भी नही रहा जा रहा था जल्दी से उठ कर लंड को चूत के पनियाए छेद पर लगा ढ़ाचक से घुसेड दिया. उर्मिला देवी का बॅलेन्स बिगड़ गया और टेबल पर ही गिर पड़ी, चिल्लाते हुए बोली "हराम्जादे बोल नही सकता था क्या……..तेरी मा की चूत में घोड़े का लंड……गांदमरे…..आराम सीईई"
पर राजू ने संभालने का मौका नही दिया. ढ़ाचा ढ़च लंड पेलता रहा. पानी से सारॉबार चूत ने कोई रुकावट नही पैदा की. दोनो चूतरो के मोटे मोटे माँस को पकड़े हुए गाप-गप लंड डाल कर उर्मिला देवी को अपने धक्को की रफ़्तार से पूरा हिला दिया था उसने. उर्मिला देवी मज़े से सिसकारिया लेते हुए चूत में गांद उचका उचका कर लंड लील रही थी. फ़च फच की आवाज़ एक बार फिर गूँज उठी थी. जाँघ से जाँघ और चूतर टकराने से पटक-पटक की आवाज़ भी निकल रही. दोनो के पैर उत्तेजना के मारे कांप रहे थे.
"पेलता रह….और ज़ोर से माआआअरर…बेटा मार…..फाड़ दे चूत….मामी को बहुत मज़ा दे रहा हाईईईई……..ओह चोद……देख री मेरी ननद तूने कैसा लाल पैदा किया है……तेरे भाई का काम कर रहा है…आईईईईईईईई..फ़ाआआआद दियाआआआअ सल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीई ने"
"ओह मामी आअज्जजज्ज आपकी चूत….सीईईईईईईईई…मन कर रहा इसी में लंड डाले….ओह…..सीईईई मेरे मामा की लुगाई…….सीईइ बस ऐसे ही हमेशा मेरा लंड लेती….."
"हाई चोद…..बहुत मज़ा……सेईईईईईई गांड्चतु….. तू ने तो मेरी जवानी पर जादू कर दिया..."
"हाई मामी ऐसे ही गांद हिला-हिला के लॉडा लो……..सीईईईईई, जादू तो तुमने किया हाईईईई....अहसान किया है…..इतनी हसीन चूत मेरे लंड के हवाले करके…..पक पाक….लो मामी…ऐसे ही गांद नचा-नचा के मेरा लंड अपनी चूत में दबोचो…….सीईईईईईई"
"....रंडी की औलाद ....अपनी मा को चोद रहा है कि मामी को....ज़ोर लगा के चोद ना भोसड़ी के……..देख..देख तेरा लंड गया तेरी मा की चूत में... डाल साला…पेल साले ....पेल अपनी मा की चूत में.....रंडी बना दे मुझे....चोद अपनी मामी की चूत....रंडी की औलाद..... साला .....मादर्चोद".... .फ़च.... फ़च....फ़च... और एक झटके के साथ उर्मिला देवी का बदन अकड़ गया.."ओह ओह सीईए गई मैं गई करती हुई डाइनिंग टेबल पर सिर रख दिया.
झरती हुई चूत ने जैसे ही राजू के लंड को दबोचा उसके लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी फॅक फॅक करता हुआ लंड का पानी चूत के पसीने से मिल गया. दोनो पसीने से तर बतर हो चुके थे. राजू उर्मिला देवी की पीठ पर निढाल हो कर पड़ गया था. दोनो गहरी गहरी साँसे ले रहे थे. जबरदस्त चुदाई के कारण दोनो के पैर काप रहे थे. एक दूसरे का भार संभालने में असमर्थ. धीरे से राजू मामी की पीठ पर से उतर गया और उर्मिला देवी ने अपनी साड़ी नीचे की और साड़ी के पल्लू से पसीना पोछती हुई सीधी खड़ी हो गई. वो अभी भी हाँफ रही थी. राजू पास में परे टवल से लंड पोछ रहा था. राजू के गालो को चुटकी में भर मसलते हुए बोली
"कामीने…..अब संतुष्टि मिल गई…..पूरा टाइम खराब कर दिया और कपड़े भी…"
"पर मामी मज़ा भी तो आया…सुबह सुबह कभी मामा के साथ ऐसे मज़ा लिया…" मामी को बाँहो में भर लिपट ते हुए राजू बोला. उर्मिला देवी ने उसको परे धकेला "चल हट ज़यादा लाड़ मत दिखा तेरे मामा अच्छे आदमी है. मैं पहले आराम करूँगी फिर मार्केट जाउन्गी और खबरदार जो मेरे कमरे में आया तो, तुझे टुशण जाना होगा तो चले जाना.."
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