RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
चूत पर रखे पेटिकोट के कपड़े को एक बार अपने हाथ से उठा कर फिर से नीचे रखा जैसे वो उसे अच्छी तरह से ढक रही हो और बोली "पागल हो गया है क्या……..जा सो जा". उर्मिला देवी के कपड़ा उठाने से चूत की झांतो की एक झलक मिली तो राजू का लंड सिहर उठा, खड़ा तो था ही. उर्मिला देवी ने सामने बैठे राजू के लंड को अपने पैर के पंजो से हल्की सी ठोकर मारी.
"बहनचोड़………खड़ा कर के रखा है..." राजू ने अपना हाथ उर्मिला देवी के जाँघो पर धीरे से रख दिया और जाँघो को हल्के हल्के दबाने लगा जैसे कोई चमचा अपना कोई काम निकलवाने के लिए किसी नेता के पैर दबाता है और बोला "ओह मामी………बस एक बार अच्छे से दिखा दो……सो जाउन्गा फिर.." उर्मिला देवी ने राजू का हाथ जाँघो पर से झटक दिया और झिरकते हुए बोली "छोड़…..हाथ से कर ले…….खड़ा है इसलिए तेरा मन कर रहा……निकाल लेगा तो आराम से नींद आ जाएगी…….कल दिखा दूँगी"
"हाई नही मामी……..अभी दिखा दो ना"
"नही मेरा मन नही…….ला हाथ से कर देती हू"
"ओह मामी…..हाथ से ही कर देना पर……..दिखा तो दो….." अब उर्मिला देवी ने गुस्सा होने का नाटक किया.
"भाग भोसड़ी के……..रट लगा रखी है दिखा दो…दिखा दो….
"हाई मामी मेरे लिए तो…… प्लीज़……" अपने पैर पर से उसके हाथो को हटाते हुए बोली
"चल छोड़ बाथरूम जाने दे"
राजू ने अभी भी उसके जाँघो पर अपना एक हाथ रखा हुआ था. उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे. तभी उर्मिला देवी ने जो सवाल उस से किया उसने उसका दिमाग़ घुमा दिया.
"कभी किसी औरत को पेशाब करते हुए देखा है……."
"क क क्क्या मामी…."
"चूतिया एक बार में नही सुनता क्या……..पेशाब करते हुए देखा है……किसी औरत को……."
"न न्न्नाही मामी……अभी तक तो चूत ही नही…..तो पेशाब करते हुए कहा से……"
"ओह हा मैं तो भूल ही गई थी…..तूने तो अभी तक……चल ठीक है….इधर आ जाँघो के बीच में…..उधर कहा जा रहा है…" राजू को दोनो जाँघो के बीच में बुला मामी ने अपने पेटिकोट को अब पूरा उपर उठा दिया, गांद उठा कर उसके नीचे से भी पेटिकोट के कपड़े को हटा दिया अब उर्मिला देवी पूरी नंगी हो चुकी थी. उसकी चौड़ी चकली झांतदार चूत राजू की आँखो के सामने थी. अपनी गोरी रानो को फैला कर अपनी बित्ते भर की चूत की दोनो फांको को अपने हाथो से फैलाती हुई बोली "चल देख …"
राजू की आँखो में भूके कुत्ते के जैसी चमक आ गई थी. वो आँखे फाड़ कर उर्मिला देवी की खूबसूरत डबल रोटी के जैसी फूली हुई चूत को देख रहा था. काले काले झांतो के जंगल के बीच गुलाबी चूत.
"देख ये चूत की फांके है और उपर वाला छ्होटा छेद पेशाब वाला और नीचे वाला बड़ा छेद चुदाई वाला………यही पर थोड़ी देर पहले तेरा लंड…….
"ओह मामी कितनी सुंदर चूत है……एकद्ूम गद्देदार फूली हुई.."
"देख ये गुलाबी वाला बड़ा छेद…..इसी में लंड…..ठहर जा हाथ मत लगा…."
"ओह बस ज़रा सा च्छू कर……."
"बहनचोड़…अभी बोल रहा था दिखा दो…..दिखा दो और अब छुना है…." कहते हुए उर्मिला देवी ने राजू के हाथो को परे धकेला. राजू ने फिर से हाथ आगे बढ़ते हुए चूत पर रख दिया और बोला "ओह मामी प्लीज़ ऐसा मत करो….अब नही रहा जा रहा प्लीज़…….." उर्मिला देवी ने इस बार उसका हाथ तो नही हटाया मगर उठ कर सीधा बैठ गई और बोली "ना….रहने दे, छोड़ तू आगे बढ़ता जा रहा है…..वैसे भी मुझे पेशाब लगी"
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