RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"क्यों लोग जब नया कपड़ा पहनते है तो दिखाते नही है क्या" कह कर उर्मिला देवी ने अपने एडियों का दबाब जाँघो पर थोड़ा सा और बढ़ा दिया, पैर की उंगलिया से हल्के से पेट के निचले भाग को कुरेदा और मुस्कुरा के सीधे राजू की आँखो में झाँक कर देखती हुई बोली, "दिखा ना कैसा लगता है, फिट है या नही"
"छोड़ो ना मामी"
"अर्रे नये कपड़े पहन कर दिखाने का तो लोगो को शौक होता है और तू है की शर्मा रहा है, मैं तो हमेशा नये कपड़े पहनती हू तो सबसे पहले तेरे मामा को दिखाती हू, वही बताते है कि फिटिंग कैसी है या फिर मेरे उपर जचता है या नही, अभी तेरे मामा नही है........"
"पर मामी ये कौन सा नया कपड़ा है, अपने भी तो नई पॅंटी खरीदी है वो आप दिखाइएंगी क्या". उर्मिला देवी भी स्मझ गई की लड़का लाइन पर आ रहा है, और पॅंटी देखने के चक्कर में है. फिर मन ही मन खुद से कहा की बेटा तुझे तो मैं पॅंटी भी दिखौँगी और उसके अंदर का माल भी पर ज़रा तेरे अंडरवेर का माल भी तो देख लू नज़र भर के फिर बोली
"हा दिखौँगी ना तेरे मामा को तो मैं सारे कपड़े दिखाती हू"
"धात मामी.... तो फिर जाने दो मैं भी मामा को ही दिखौँगा"
"अर्रे तो इसमे शरमाने की क्या बात है, आज तो तेरे मामा नही है इसलिए मामी को ही दिखा दे," और उर्मिला देवी ने अपने पूरे पैर को सरका कर उसके जाँघो के बीच में रख दिया जहा पर उसका लंड था. राजू का लंड खड़ा तो हो ही चुका था. उर्मिला देवी ने हल्के से लंड की औकात पर अपने पैर को चला कर दबाब डाला और मुस्कुरा कर राजू की आँखो में झाँकते हुए बोली "क्यों मामी को दिखाने में शर्मा रहा है क्या"
राजू की तो सिट्टी पिटी गुम हो गई थी. मुँह से बोल नही फुट रहे थे. धीरे से बोला "रहने दीजिए मामी मुझे शर्म आती है" उर्मिला देवी इस पर थोड़ा झिरकने वाले अंदाज में बोली "इसीलिए तो अभी तक इस रब्बर की बॉल से खेल रहा है" राजू ने अपनी गर्दन उपर उठाई तो देखा की उर्मिला देवी अपनी चुचियों पर हाथ फिरा रही थी. राजू बोला "तो और कौन सी बॉल से खेलु"
"ये भी बताना पड़ेगा क्या, मैं तो सोचती थी तू स्मझदार हो गया होगा, चल आज तुझे समझदार बनाती हूँ".
"हाई मामी मुझे शरम आ रही है" उर्मिला देवी ने अपने पंजो का दबाब उसके लंड पर बढ़ा दिया और ढाकी च्छूपी बात करने की जगह सीधा हमला बोल दिया "बिना अंडरवेर के जब खड़ा कर के घूमता था तब तो शरम नही आती थी,…….. दिखा ना". और लंड को कस के अपने पंजो से दबाया ताकि राजू अब अच्छी तरह से समझ जाए की ऐसा अंजाने में नही बल्कि जान-बूझ कर हो रहा है. इस काम में उर्मिला देवी को बड़ा मज़ा आ रहा था. राजू थोड़ा परेशान सा हो गया फिर उसने हिम्मत कर के कहा "ठीक है मामी, मगर अपने पैर तो हटाओ".
|