RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
आया की बात अभी पूरी नही हुई थी कि चौधरैयन ने बीच में बोल पड़ी "ओह मेरी तो किस्मत ही फुट गई, मेरा बेटा रंडियों पर पैसा लूटा रहा है, किसी को लहनगा तो किसी हरम्जदि को पायल बाँट रहा है, कह कर आया को फिर से एक लात लगाई और थोड़े गुस्से से बोली "हरम्खोर, तू ये सारा नाटक वाहा खड़ी हो के देखे जा रही थी, तुझे ज़रा भी मेरा ख्याल ना आया, एक बार जा के दोनो को ज़रा सा धमका देती दोनो भाग जाते". आया ने मुँह बिचकाते हुए कहा "शेर के मुँह के आगे से नीवाला छीनने की औकात नही है मेरी मालकिन मैं तो बस चुप चाप तमाशा देख रही थी". कह कर आया चुप हो गई और चूत की मालिश करने लगी. चौधरैयन के मन की उत्सुकता दबाए नही दब रही थी कुच्छ देर में खुद ही कसमसा कर बोली "चुप क्यों हो गई आगे बता ना"
"फिर क्या होना था मालकिन, लाजवंती वही घास पर लेट गई और छ्होटे मालिक उसके उपर, दोनो गुत्थम गुत्था हो रहे थे. कभी वो उपर कभी मालिक उपर. छ्होटे मालिक ने अपना मुँह लाजवंती चोली में दे दिया और एक हाथ से उसके लहंगे को उपर उठा के उसकी चूत में उंगली डाल दी, लाजवंती के हाथ में मालिक का मोटा लंड था और दोनो चिपक चिपक के मज़ा लूटने लगे. कुच्छ देर बाद छ्होटे मालिक उठे और लाजवंती के दोनो टांगो के बीच बैठ गये. उस छिनाल ने भी अपने साड़ी को उपर उठा दिया और दोनो टाँगो को फैला दिया. मुन्ना बाबू ने अपना मुसलांड सीधा उसकी चूत के उपर रख के धक्का मार दिया. साली चुड़क्कड़ एक दम से मिम्याने लगी. इतना मोटा लंड घुसने के बाद तो कोई कितनी भी बड़ी रंडी हो उसकी हेकड़ी तो एक पल के लिए गुम हो ही जाती है. पर मुन्ना बाबू तो नया खून है, उन्होने कोई रहम नही दिखाया, उल्टा और कस कस के धक्के लगाने लगे"
"ठीक किया मुन्ना ने, साली रंडी की यही सज़ा है" चौधरैयन ने अपने मन की खुंदक निकाली, हालाँकि उसको ये सुन के बड़ा मज़ा आ रहा था कि उसके बेटे के लंड ने एक रंडी के मुँह से भी चीखे निकलवा दी.
"कुच्छ धक्को के बाद तो मालकिन साली चुदैल ऐसे अपनी गांद को उपर उच्छालने लगी और गपा गॅप मुन्ना बाबू के लंड को निगलते हुए बोल रही थी 'हाई मालिक फाड़ दो, हाई ऐसा लंड आज तक नही मिला, सीधा बच्चेदानी को छु रहा है, लगता है मैं ही चौधरी के पोते को पैदा करूँगी, मारो कस कस्के', मुन्ना बाबू भी पूरे जोश में थे, गांद उठा उठा के ऐसा धक्का लगा रहे थे कि क्या कहना, जैसे चूत फाड़ के गांद से लंड निकाल देंगे, दोनो हाथ से चुचि मसल रहे थे और, पका पक लंड पेल रहे थे. लाजवंती साली सिसकार रही थी और बोल रही थी 'मलिक पायल दिलवा देना फिर देखना कितना मज़ा कर्वौन्गि, अभी तो जल्दी में चुदाई हो रही है, मारो मालिक, इतने मोटे लंड वाले मालिक को अब नही तरसने दूँगी, जब बुलाओगे चली आउन्गि, हाई मालिक पूरे गाओं में आपके लंड के टक्कर का कोई नही है'. इतना कह कर आया चुप हो गई.
आया ने जब लाजवंती के द्वारा कही गई ये बात की पूरे गाओं में मुन्ना के लंड के टक्कर का कोई नही है सुन कर चौधरैयन के माथे पर बल पड़ गये. वो सोचने लगी कि क्या सच में ऐसा है. क्या सच में उसके लरके का लंड ऐसा है जो की पूरे गाओं के लंडो से बढ़ कर है. वो थोड़ी देर तक चुप रही फिर बोली "तू जो कुच्छ भी मुझे बता रही है वो सच है ना"
"हा मालकिन सो फीसदी सच बोल रही हू"
"फिर भी एक बात मेरी समझ में नही आती कि मुन्ना का इतना बड़ा कैसे हो सकता है जितना बड़ा तू बता रही है"
"क्यों मालकिन ऐसा क्यों बोल रही हो आप"
"नही ऐसे ही मैं सोच रही हू इतना बड़ा आम तौर पे होता तो नही, फिर तेरे मलिक के अलावा और किसी के साथ.................." बात अधूरी छ्होर कर चौधरैयन चुप हो गई. आया सब समझ गई और धीरे से मुस्कुराती हुई बोली "आरे मालकिन कोई ज़रूरी थोड़े ही है कि जितना बड़ा चौधरी साहब का होगा उतना ही बड़ा छ्होटे मालिक का भी होगा, चौधरी साहब का तो कद भी थोड़ा छ्होटा ही है मगर छ्होटे मालिक को देखो इसी उमर में पूरे 6 फुट के हो गये है". बात थोड़ी बहुत चौधरैयन के भेजे में भी घुस गई, मगर अपने बेटे के अनोखे हथियार को देखने की तमन्ना भी शायद उसके दिल के किसी कोने में जाग उठी थी.
|