RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
त्रिकाल ने दोनो की बातें सुनकर अपने आदमी को दोबारा इशारा किया और उस आदमी ने झट से एक चाकू निकाल कर नंगी रस्सी मे बँधी रत्ना के गर्दन पर टिका दिया.
“हा..हा..हा..त्रिकाल को साम दाम दंड भेद...हर वो चाल आती है जो एक शैतान कर सकता है....अब तुम दोनो लड़के अपनी माँ की सलामती चाहते हो तो वो त्रिशूल को दूर फेंक दो.
निशा दूर से बाज़ी पलट ता हुआ देख रही थी. उसका मन ज़ोरो से घबरा रहा था. करण और अर्जुन भी अपने आपको बेबस महसूस कर रहे थे.
“मेरी फिकर मत करो बेटा....मैने बहुत जलालट भरी जिंदगी जी है....मेरे मरने से कुच्छ फ़र्क नही पड़ेगा....पर इस दुष्ट का मरना बहुत ज़रूरी है..” चाकू के नोक पर भी रत्ना चिल्लाते हुए बोली.
लेकिन दोनो अपनी मा के साथ ऐसा होते नही देख सकते थे इसलिए अर्जुन ने वो त्रिशूल अपने हाथो से दूर फेंक दी.
त्रिशूल दूर होते ही त्रिकाल ज़ोरो से हँसने लगा, “मूर्ख हो तुम दोनो....मरोगे सब के सब....हा..हा..हा..”
और त्रिकाल एक मन्त्र पढ़ने लगा. त्रिकाल ने फिर एक काला जादू किया और करण अर्जुन एक कुर्सी पर रस्सी से बँधे बैठ गये.
त्रिकाल हँसता हुआ रत्ना के पास गया और उसकी मुलायम चुचियो को मसल्ते हुए बोला, “आज की रात बड़ी शुभ है....आज की रात मे मेरे दिमाग़ मे तेरे और तेरे इस परिवार के लिए कुछ ख़ास है....हा..हा..हा.”
“छोड़ दे कुत्ते मेरे दोनो बेटो को...मई तेरी रखेल बन कर बारह साल से तेरी जिस्मानी भूक मिटाते आई हू....आज मैं तेरे सामने हाथ जोड़ती हू...भीक मांगती हू....मेरे दोनो बेटो को छोड़ दे....चाहे तो मेरी जान ले ले..” रत्ना गिडगिडाते हुए बोली.
“तेरी जान लेकर मैं क्या करूँगा कुतिया....बारह साल से तू मेरी रखेल थी...आज मैं तुझे और तेरी बेटी को तेरे बेटो की रखैल बनाउन्गा....हा...हा...हा..”
यह बात सुनकर करण और अर्जुन के चहरे दहशत से भर गये. रत्ना का सर शर्म से झुक गया. काजल को उस दरिंदे की वह्शिपन पर विश्वास नही हो रहा था. निशा की यह सब देख कर रूह काँप गयी.
त्रिकाल ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा और तन्त्र मन्त्र करने लगा. उसके हाथो मे रत्ना और काजल की मिट्टी के बने दो पुतले थे जिसपर त्रिकाल ने वूडू नाम का काला जादू किया था. वो जैसा जैसा पुतले पर करता वैसा वैसा असली मे रत्ना और काजल के साथ होता.
इसका सीधा असर रत्ना पर हुआ जो त्रिकाल के सम्मोहन मे आ गयी थी और अब उसकी गुलाम थी. यही हाल काजल भी था. दोनो त्रिकाल की बातें किसी पुतले की थाह मान रहे थे.
“तो खेल शुरू किया जाए.....हा..हा..हा..” त्रिकाल ने ठहाका लगाया.
किसी रोबोट की तरह चलते हुए रत्ना अपने बेटे करण के सामने आ गयी. करण अपनी माँ को ऐसे नंगी हालत मे देखकर अपन मूह फेर लिया. रत्ना किसी पुतले की तरह करण का लॉडा अपने मूह मे लेकर चूसने लगी.
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