RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
“तुम रामपुरा के बारे मे कैसे जानती हो....” अर्जुन ने पूछा.
“साहब मेरा ससुराल वही है....” चुड़ैल ने रहस्यमयी तरीके जवाब दिया.
“पर अभी तो वहाँ कोई नही रहता ना....” अर्जुन ने फिर पूछा.
“हाँ साहब जब से वहाँ अकाल पड़ा था, वाहा कोई नही रहता...सब कहते है वह गाँव श्रापित है....पर हम कभी कबार वहाँ जाते रहते है....इसीलिए मुझे वहाँ का रास्ता याद है..”
“तो क्या तुम्हे उस श्राप का डर नही है...”
“क्या साहब आप इतने पढ़े लिखे होकर इन अंधविश्वास पर यकीन करते हो...यह श्राप व्राप कुछ नही है बस मन्घडन्त बातें है...” चुड़ैल तांगा हाकते हुए बोली. उसे बाजू उठाने से उसके बगलो के पसीने का गंध करण और अर्जुन के नथुनो मे भर गया और उन दोनो के लंड उनके पॅंट के अंदर ही सलामी देने लगे.
चुड़ैल यह समझ गयी और रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराने लगी. उसे पता था था कि जो काम उसे दिया गया है वो उसे बहतारीन ढंग से कर रही है.
“तुमने अपना नाम नही बताया....” अर्जुन चुड़ैल के सम्मोहन मे फस चुका था और वो चुड़ैल से ज़्यादा ही चिपकने लगा ताकि उसकी जिस्म से आती पसीने की मादक गंध को सूंघ सके.
“जी मेरा नाम मोहिनी है साहब...” चुड़ैल ने जवाब दिया.
“तुम करती क्या हो...और तुम्हारे परिवार मे कॉन कॉन है...” अर्जुन धीरे से मोहिनी के कंधो पर हाथ रखता हुआ बोला. करण को यह सब बड़ा अजीब लग रह था. वो निशा से बहुत प्यार करता था इसीलिए अभी तक मोहिनी के सम्मोहन से आज़ाद था.
“साहब मैं तो बेचारी विधवा हू...मेरा मर्द यह तांगा चलाता था पर दो साल पहले उसको साँप काटने से मौत हो गयी तब मेरे सास ससुर ने मुझे उसका तांगा दे दिया चलाने को...” मोहिनी बड़ी अदा से बोल रही थी और तांगा हाकते जा रही थी.
अब तक काफ़ी रात हो चुकी थी. तांगा ना जाने कॉन से अंजान रास्ते पर चल रहा था. रास्ता इतना उबड़ खाबड़ था कि तांगा बुरी तरह हिचकोले खा रहा था. झींगुरो की आवाज़ आस पास की झाड़ियो से आ रही थी. घुप्प अंधेरे मे तांगे पर लगा लालटेन ही रोशनी का एक मात्र स्रोत था.
तभी तांगे ने एक ज़ोर का झटका खाया और उसका एक पहिया निकल कर दूर लुढ़क गया. करण और अर्जुन दोनो घबरा गये पर मोहिनी फिर अपनी रहस्यमयी मुस्कान हंसते हुए बोली, “साहब लगता है तांगा खराब हो गया है...मेरे घोड़े भी थक गये है...लगता है हमे आज रात यही पर बिताना पड़ेगा.”
चुड़ैल मोहिनी के सम्मोहन पाश मे जकड़ा अर्जुन खुश हो गया. करण को कुच्छ दाल मे काला नज़र आ रहा था. उसने बोला, “मोहिनी तुम एक काम करो हमे वापस जाने का रास्ता बता दो...हम दिन मे रामपुरा जाने का रास्ता अपने आप ढूँढ लेंगे..”
इसपर मोहिनी दाँत पीसती हुई बोली, “अरे साहब आप एक मर्द होकर घबरा रहे है जबकि मैं तो एक औरत हू....मेरी मानिए तो आप इस गुप्प अंधेरी रात मे वापस भी नही जा पाएँगे...”
“अरे भाई यह बोल रही है ना कि यह हमे कल सुबह रामपुरा पहुचा देगी तो इसमे टेन्षन की क्या बात है...” अर्जुन पूरी तरह से मोहिनी के काबू मे आ चुका था.
अब करण करता भी तो क्या करता. तीनो वही ज़मीन पर चादर बिच्छा कर लेट गये. मोहिनी के जिस्म से उठती मादक गंध को करण भी नज़रअंदाज नही कर पा रहा था. उसका लंड उसके पॅंट मे ही विकराल रूप लेने लगा. एक पल के लिए उसके मन मे निशा का चेहरा आया तो उसे मानो एक झटका सा लगा. उसे अपने आप पर शरम आई कि अपनी नयी नयी बीवी को घर छोड़ के आने के बाद वो एक पराई औरत के जिस्म की गंध सूंघ कर उत्तेजित हो रहा है.
पर अर्जुन के साथ मामला कुछ और ही था. उसके दिलो दिमाग़ पर मोहिनी ने जादू कर दिया था. किसी भावरे की तरह वो मोहिनी के आस पास मंडराने लगा था. करण को लगा कि अर्जुन शायद दिल से मोहिनी को पसंद करने लगा है.
|