RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
अब त्रिकाल पायल की तरफ मुड़ा. इसे देख कर पायल के रोंगटे खड़े हो गये और वो रस्सी से बँधी छटपटाने लगी और इधर उधर हाथ पाँव मारने लगी. त्रिकाल ने चुटकी बजाई और पायल के जिस्म पर बँधी रस्सी गायब हो गयी पर इससे पहले वो भाग पाती त्रिकाल के विशाल हाथो ने उसे कमर से उठा लिया.
“हा...हा...हा...क्या चिकना माल है पटक कर चोदने लायक है...इसे तो मैं अभी के अभी भोगुंगा...”
त्रिकाल का हाथी जैसे लंड पर सुनीता देवी का खून लगा हुआ था. उसने फिर से तन्त्र किया और इस बार पायल के जिस्म से उसके कपड़े गायब हो गये.
उसने ज़बरदस्ती पायल को भी अपनी माँ की तरह कुतिया जैसे चौपाया बनाया और अपने हल्लाबी लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. पायल को लग रहा था कि उसकी माँ की तह वो भी मर जाएगी.
तभी त्रिकाल ने एक जर्दस्त झटका मारा और उसका लॉडा पायल की कुवारि बुर की चीथड़े उड़ाता हुआ अंदर घुस गया.
“आअहह...........” यह पायल की आख़िरी चीख थी क्यूकी उसके बाद वो कभी नही उठी. खून की नादिया तो ऐसे बह रही थी जैसे वहाँ कोई मौत का नंगा नाच हुआ हो.
“दोनो कुतिया माँ बेटी एक झटके मे ही मर गयी....हा..हा..हा.” त्रिकाल हंसता हुआ पायल की लाश से अपना खून से सना लंड निकाला और आचार्य की तरफ एक बार देखा और चिल्लाया, “देख लिया त्रिकाल से दुश्मनी का नतीजा....हा.हा.हा.”
पर आचार्य के शरीर मे कोई हरकत नही हुई. अपनी बेटी की लाश देख कर उनको भी दिल का दौरा पड़ गया और उनकी भी वही मृत्यु हो गयी. इसे देख त्रिकाल विजय की हुंकार भरने लगा और चिल्लाया, “सत्य प्रकाश...तू भी मर गया....खैर अगर तू जिंदा होता तो मैं आज तेरी गान्ड मार के तुझे मृत्यु लोक भेजता...हा.हा.हा.." कहते हुए त्रिकाल का शरीर धुन्ध बन गया और हवा मे समा गया.
उसके जाते ही काले जादू का असर ख़तम हुआ तो आश्रम के सेवक आज़ाद हो गये. वो दौड़ते भागते आए तो देखा की सुनीता देवी की लाश नंगी पड़ी है और उनकी चूत से खून की नादिया बह रही है. पास ही में पायल की लाश भी नंगी पड़ी थी जिसकी चूत बुरी तरह से फटी हुई थी जिससे भी बहुत खून बह रह था. वो सब भाग कर आचार्य के पास गये तो उनकी भी मृत्यु हो चुकी थी. पूरे आश्रम मे मातम फैला हुआ था.
इधर दूर मुंबई जयपुर हाइवे पर अर्जुन की गाड़ी सरपट दौड़ रही थी. दोनो आचार्य सत्या प्रकाश और उनके परिवार के साथ हुए अनहोनी से अंजान थे. करण ने निशा को फोन कर के बोल दिया था कि उसका काम कुछ और दिनो तक चलेगा जिससे निशा और उदास हो गयी.
पूरा दिन गाड़ी चलाने के बाद वो दोनो जयपुर पहुचे. आधी रात का समय हो चुका था इसलिए वो दोनो वही एक होटेल मे रुक गये. पूरी रात वही होटेल मे बिताने के बाद वो दोनो सुबह देर तक सोते रहे क्यूकी वो ना जाने कितनी देर से लगातार गाड़ी चला रहे थे.
मुंबई के उलट यहाँ का मौसम उतना खराब नही था. बदल तो घने छाए थे लेकिन बारिश बस हल्की हल्की ही हो रही थी. वो दोनो किसी तरह इधर उधर से रामपुरा का पता पूछ रहे थे, लेकिन इतने पुराने गाँव के बारे मे किसी को कुछ नही पता था. शायद अब रामपुरा मे लोग भी नही रहते थे.
वहाँ से दूर त्रिकाल के गुफा मे जश्न का महॉल था. काजल और रत्ना के नंगे जिस्मो की नुमाइश हो रही थी. त्रिकाल काजल के सामने ही रत्ना पर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत मे हल्लाबी लंड को जड़ तक पेल रहा था. बारह साल से त्रिकाल से हर रोज़ चुदने के बाद रत्ना की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी.
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