RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
कमरे का दरवाज़ा खुला और करण निशा के कमरे के अंदर आ गया. उसके दिमाग़ मे अपनी माँ और बहन की बातें ही चल रही थी, इसीलिए वो काफ़ी गंभीर था.
“कहाँ रह गये थे इतनी देर....मैं कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हू...” निशा ने करण का हाथ पकड़ कर अपने मोटे मोटे स्तनो पर रख दिया.
करण ने बेमन से उसके चुचिया दबाने लगा. निशा इस बात को ताड़ गयी और बोली, “क्यू आज मेरी चूत मारने का मन नही है...?”
करण का आज बिल्कुल मूड नही था. “नही डार्लिंग आज मैं बहुत थक गया हू....आज मेरा मूड नही है...”
“क्यू बस एक रात मे ही मुझसे मन भर गया....” निशा व्यंग कसते हुए बोली.
“प्लीज़ जान ऐसे मत बोलो...तुम तो मेरी पत्नी हो...और भला पत्नी से कभी किसी का मन भर सकता है क्या...” करण ने प्यार से निशा का माथा चूमते हुए कहा.
“तो फिर मेरी प्यास बुझा दो मेरे राजा....” निशा फिर अपने रंग मे आ गयी और करण का हाथ फिर से अपने चुचियो पर रख कर दबाने लगी.
करण ने झल्लाते हुए अपना हाथ खीच लिया, “कितनी प्यास लगती है तुमको...कल ही दो बार चोद चुका हू...फिर से आज तुम्हारी चूत गीली हो गयी....अब मैं क्या करू..दो दो लंड उगा लूँ क्या...” करण ने गुस्से मे आकर कह तो दिया लेकिन उसे अगले ही पल अपनी ग़लती का एहसास हो गया.
निशा को यह बात एकदम से चुभ गयी. उसको लगा कि वो किसी रंडी की तरह करण के सामने अपनी इज़्ज़त लूटा रही है. करण ने निशा के साथ ऐसा बर्ताव कभी नही किया था. निशा की आँखो से आँसू छलक आए.
“आइ..आइ आम सॉरी निशा...मेरे कहने का वो मतलब नही था....प्लीज़ बात को समझा करो...आज मेरा मूड नही था....प्लीज़ आइ आम सॉरी निशा...”
निशा ने कुछ नही कहा बस उसके आँखो से आँसू बहते रहे. करण को लग रहा था कि वो अपनी जीभ चाकू से काट ले क्यूकी इसी जीभ ने ग़लत समय पर ग़लत शब्द निशा से कह दिए थे.
“सुनो एक और बात कल सुबह ही मुझे और अर्जुन को कुछ ज़रूरी काम के सिलसिले मे एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ेगा....तुम यहाँ आराम से रह सकती हो..”
इससे ज़्यादा निशा को दर्द देने वाली चीज़ क्या हो सकती थी. उसे अचानक अपने घर से इतनी दूर आकर अपने मम्मी पापा की याद आने लगी थी. अचानक वो अपने आपको बड़ी तन्हा मान ने लगी थी.
“आइ आम सॉरी निशा बहुत ज़रूरी काम है नही तो मैं कभी भी तुम्हे छोड़ कर नही जाता...” करण ने समझाते हुए कहा.
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