RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
बाहर लिविंग रूम मे अभी भी करण और अर्जुन बैठे हुए थे. दोनो खामोश थे. अपनी बहन को याद करके दोनो बहुत मायूस भी थे. पर आचार्य कल से पहले लौटने वाले नही थे इसलिए उनके हाथ बँधे हुए थे.
“अर्जुन...मैं कुछ कहूँ.” करण ने शांति भंग करते हुए कहा.
“हाँ भाई बोलो ना....”
“मैं निशा को अपने साथ तुम्हारे घर लेकर आया हू...कही तुझे कोई प्राब्लम तो नही है ना...”
“ऐसी बातें बोलकर क्यू पराया कर रहे हो भैया....मैं आज तक अपनी फॅमिली को मिस करते आया हू...जबकि आज तो मेरा परिवार बढ़ा है...आज मेरे परिवार मे मेरी माँ, मेरी बहन और मेरे भैया के साथ मेरी भाभी भी जुड़ गयी है....मेरी भाभी समान माँ मेरे घर पहली बार आई है तो क्या मुझे कोई प्राब्लम होगी..”
आज पहली बार करण ने ध्यान दिया की अर्जुन ने उसे सिर्फ़ ‘भाई’ के बजाए आज पहली बार उसे ‘भैया’ बोला था. करण को लगा वो आज रो पड़ेगा. आज उसे उसकी प्रेमिका और उसका भाई दोनो मिल गये थे.
“पर भैया....अभी तक आप दोनो की शादी क़ानूनी तौर से मान्य नही है...घर पर सिंदूर और मन्गल्सुत्र पहनने से क़ानून आपक दोनो को पति पत्नी नही मानेगा....” अर्जुन ने कहा.
“तो हम क्या करे....”
“भाई तुम और भाभी कोर्ट मॅरेज कर लो....बाद मे कभी रीति रिवाज़ के साथ धूम धाम से शादी हो जाएगी...”
“अर्जुन तुमने ठीक कहा...आज कोर्ट मॅरेज कर लेते है और बाद मे धूम धाम से शादी करेंगे पर सिर्फ़ उस दिन जिस दिन काजल और माँ भी हमारे साथ होंगी...”
“हाँ भाई उस दुष्ट तांत्रिक का हम अंत करके ही रहेंगे....पर पहले तुम भी जाकर आराम कर लो...शाम तक हम कोर्ट पहुच जाएँगे...” अर्जुन के बोलने पर करण भी आराम करने एक कमरे मे चला गया.
वो भी रात के चुदाई समारोह से बहुत थक गया था. अर्जुन का फ्लॅट बॅचलर टाइप 1बीएचके का था. अर्जुन के कमरे मे निशा और करण सो गये और दूसरा लिविंग रूम था जिसपे अर्जुन सोफा लगाकर लेट गया.
करण भी कमरे मे जाके सो गया. निशा थकान की वजह से घोड़े बेच कर सो रही थी जब दोपहर को करण जगा तो निशा की खुली जुल्फे जो उसके गोरे खूबसूरत चेहरे पर छाई हुई थी, देख कर उसके सौंदर्य की निहारने लगा.
“उठो स्वीटहार्ट....देखो लंच का समय हो गया है...” करण हौले से निशा के होंटो को चूमते हुए बोला.
निशा एक अंगड़ाई लेकर उठी और समय देखा तो दोपहर के एक बज रहे थे. तीनो फ्रेश होकर पास के एक हाइ क्लास रेस्टोरेंट मे जाकर खाने चले गये. वहाँ से खाकर तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो मे बैठ गये और अर्जुन ने गाड़ी भगा दी.
“पर यह हम कहाँ जा रहे है....अर्जुन का अपार्टमेंट तो दूसरी तरफ है ना...” निशा चौंक्ति हुई बोली.
“सब्र करो डार्लिंग....” करण उसके होन्ट चूमते हुए बोला. अर्जुन शीशे मे सब देख रहा था और मुस्कुराए जा रहा था. निशा ने भी करण को आँख दिखा कर आगे बढ़ने से मना कर दिया.
गाड़ी थोड़ी देर बाद कोर्ट के सामने रुकी. तीनो उतर के अंदर चले गये.
“तुम मुझे यहाँ क्यू लाए हो...” निशा ने करण से पूछा.
“हम ने घर पर तो शादी कर ली...अब क़ानूनी तौर पर भी कर लेते है...” करण ने मुस्कुरा के कहा.
“ओह्ह हाँ मैं तो यह भूल ही गयी थी...” निशा ने झेम्प्ते हुए कहा. पर उसका मन उदास लग रहा था यह सोचकर कि अब तक तो उसके घरवालो को उसके भाग जाने का पता चल चुका होगा और उन पर क्या बीत रही होगी.
करण ने यह बात समझ ली और निशा के हाथ को पकड़ते हुए बोला, “सब ठीक हो जाएगा जान...” और उसने निशा को कोर्ट के कॅंपस मे लगे पीसीओ फोन पे ले गया और बोला, “अपने पेरेंट्स को फोन करके बोल दो कि तुम ठीक हो और करण के साथ हो...”
“पर वो तुम्हारा नाम जानकार बहुत बाधक जाएँगे....मुझे तो बहुत डर लग रहा है...” निशा घबराते हुए बोली.
|