RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
करण ने निशा के होंठो को छोड़ा और उसकी गर्दन चूमता हुआ ब्रा के स्ट्रॅप्स तक पहुच गया और ब्रा की स्ट्रेप को अपने दांतो मे भर कर खीचने लगा. करण की ऐसी हरकतें निशा को पागल बना रही थी. वो मन ही मन मे सोच रही थी कि करण को आख़िर सेक्स करने का ऐसा नायाब तरीका पता कैसे चला.
करण ने निशा की ब्रा के दोनो स्ट्रॅप्स को दांतो से खीच कर कंधो से उतार दिया और अपने हाथ को पीछे ले जाकर उसके खोल दिए. निशा के जिस्म से अब ब्रा भी अलग हो गयी थी जिससे उसके उन्नत स्तन उच्छल कर करण के सामने आ गये.
करण आज तक निशा के दूध को कपड़ो के उपर से देख कर उनकी कल्पना ही करता था, पर आज वो हिमालय के पर्वत की तरह उसके ओर मूह उठाए खड़े थे. करण निशा की नंगी मोटी कसी हुई चुचि को भूके शेर की तरह देख रहा था.
“तुम्हारे बूब्स बहुत टाइट है निशा....मन कर रहा है इनको बहुत प्यार करू...” करण निशा के नरम मुलायम कसे हुए बूब्स को को अपने हाथो मे भरता हुआ बोला.
“मेरे जिस्म पर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है जान....जो चाहे इनके साथ करो...” निशा ने मादकता से जवाब दिया जिसे सुनकर करण उसकी मुलायम दूध को कस कर मसालने लगा.
“निशा....यह कितने सॉफ्ट है...लग रहा है किसी मुलायम स्पंज के बॉल को दबा रहा हू...” करण दूध को मसल्ते हुए बोला.
निशा पर खुमारी पूरी तरह चढ़ चुकी थी. उसे नही पता था चुदाई मे इतना मज़ा आता है. उसने अपने रसीले होंठो पर जीभ फिराई और मादकता से कहा, “यह मुलायम होने के साथ साथ स्वादिष्ट भी है...क्या तुम इन दोनो को टेस्ट करोगे...”
करण निशा का इशारा समझ गया और गोरी गोरी चुचियो पर बड़े से भूरे निपल को मूह मे लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को मसल्ने लगा.
“म्म्म्मलम....म्म्माीआआ....मररर...गायईीई....आअहह...” निशा की चुचियो पर पहली बार किसी मर्द ने हाथ फेरा था और उसे चूसा था. वो वासना मे अपना सर इधर उधर पटक रही थी.
करण कभी निपल पर जीभ फेरता तो कभी उन्हे पूरा मूह मे लेकर चूसने लगता तो कभी निपल को दाँत से हल्के से काट लेता. निशा के लिए यह सब बहुत था, उसे लगा कि कारण अभी नही रुका तो वो सिर्फ़ चुचि चुसाइ से ही अपने चरम सीमा पर पहुच जाएगी.
करण अब दूसरे दूध को मसल्ने लगा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर निशा की गहरी चिकनी नाभि मे उंगली करने लगा. नाभि मे उंगली घुसते ही निशा गुदगुदी से पागल हो गयी और अपनी कमर को उपर के तरफ झटकने लगी.
करण अब हौले हौले निशा के जिस्म को चूमते हुए नीचे आने लगा. वो जहाँ जहाँ चूमता था निशा का वो हिस्सा उसके थूक से भीग जाता था. नीचे आकर उसने अपनी खुरदरी चीभ को नोकिला कर के निशा की गोरी नाभि मे घुमाने लगा.
“प्लीआसीए....कर्रांन्न....वहाँ...नहियिइ....” निशा नाभि मे चूसे जाने से गुदगुदी के कारण पागल सी हो रही थी. उसने करण का सर पकड़ कर अपनी नाभि से हटाना चाहा पर करण ज़बरदस्ती उसकी नाभि चूसने मे लगा रहा.
करण ने निशा की नाभि इतनी चूसी कि उसकी नाभि उसके थूक से लबालब भर गयी. नाभि चूसने के बाद वो निशा के जिस्म को चूमते और चाट ते हुए नीचे सरकने लगा जहा उसे निशा की कमर पर लिपटा सोने का चैन दिखाई दिया.
करण पर वासना इतनी सवार थी की वो उस सोने की चैन को ही अपने मूह मे लेकर चूसने लगा. करण के थूक से चैन हल्की रोशनी मे चमक उठी. निशा कारण का अपने प्रति यह दीवानगी देख कर मुस्कुराने लगी.
चैन को छोड़ कारण जब नीचे पहुचा तब उसे महसूस हुआ कि वो जन्नत के बिल्कुल नज़दीक है. जैसे ब्रा के स्ट्रॅप्स को उसने दांतो से खीचा था वैसे ही उसने पैंटी को भी दाँत से पकड़ कर उतारने लगा. करण की ऐसी मादक हरकतें देख कर निशा वासना से पागल हो गयी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि करण एक एक्सपर्ट की तरह उसके साथ कैसे सेक्स कर रहा था.
थोड़ी कोशिश के बाद आख़िर करण निशा की पैंटी को अपने दांतो से तोड़ा नीचे सरकाने मे कामयाब हो गया. उसे जो सामने दिखा वो उसके लिए सोने की खदान से कम नही था. निशा की चूत पर ढेर सारी झान्ट थी. झान्टो के जंगल के पीछे थी डबल पाव रोटी की तरह फूली हुई चूत की बड़ी बड़ी फांके जिसके बीच सिर्फ़ एक पतला सा चीरा था जो उसके कुवारि होने का गवाह था. चुदि चुदाई औरतो की चूत पर चीरा नही होता बल्कि उनकी चूत की फांके अलग अलग हो जाती है.
निशा की झाटों से भरी चूत देख कर करण उसकी सम्मोहन मे खो सा गया. उसने आज पहली बार किसी लड़की की असली चूत देखी थी. निशा करण को ऐसे अपनी बुर को सुध बुध खो कर देखने पर हँसने लगी. उसे अपनी औरत होने पर गर्व हो रहा था जो अपने सौंदर्य के सम्मोहन से किसी भी मर्द को फसा सकती थी.
टू बी कंटिन्यूड....
|