RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
करण ने निशा की तरफ बड़ी प्यार से देखा और हौले से उसके होंठो को चूम लिया और कहा, “कॉन कहता है सपने हक़ीक़त नही बन सकते...तुमने जो हमारी शादी का सपना देखा था वो ज़रूर सच होगा....और रही बात किसी मर्द को तुम्हे पहले छुने की तो मैं अभी कुछ ऐसा करता हू कि वो पहला और आख़िरी मर्द मैं बन जाउ...मैं तुम्हे अपना ज़रूर बनाउन्गा पर शादी के बाद..”
निशा की कुछ समझ मे नही आया. करण अपनी जगह से उठा और बेड के सहारे ज़मीन पर अपने घुटनो के बल बैठ कर, “डॉक्टर. निशा...विल यू मॅरी मी...” और करण ने अपनी सोने की अंगूठी निकाल कर निशा को पेश कर दी.
निशा ने करण की आँखो मे अपने लिए सारे जहाँ का प्यार देखा. उसके मूह से बस इतना ही निकला, “येस....” और वो खुशी के आँसू रोने लगी.
करण उठा और अपने गले से काले रंग का भगवान शिव का ताबीज़ निकालते हुए उसे निशा के गले मे पहनाने लगा और बोला, “यह रहा मन्गल्सूत्र...”
निशा को मानो अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था. उसकी शादी ऐसे भी होगी उसने कभी सोचा भी नही था लेकिन उसे तो बस करण चाहिए था भले ही वो कैसे भी मिले.
आख़िर मे करण ने पास मे रखे चाकू को उठाया और अपना अगुठा थोड़ा सा काटकर, खून से निशा की माँग भर दी और बोला, “लो भर दी तुम्हारी माँग मैने अपने खून से....और मैं वचन देता हू जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे अपनी धरम पत्नी मानूँगा और तुम्हारे हर सुख दुख मे तुम्हारा साथ दूँगा और तुम्हारी जान देकर भी रक्षा करूँगा....” माँग भर जाने का और एक सुहागन होने का सुख निशा आज पहली बार महसूस कर रही थी.
निशा ने करण द्वारा पहनाई हुई अंगूठी और ताबीज़ रूपी मन्गल्सुत्र को चूम लिया और बोली, “करण तुम्हे नही पता आज मैं कितनी खुश हू....मुझे तुम मेरे पेरेंट्स से भी ज़्यादा समझते हो....मैं तुम्हे अपनी जीवन मे पति पाकर धन्य हो हो गयी...और मैं भी तुमसे वादा करती हू कि एक अर्धांगिनी होने का हर फ़र्ज़ निभाउन्गि...अपने पति को तन और मन हर तरह से खुश रखने की कोशिश करूँगी...” और निशा और करण आलिंगन मे बँध जाते है.
“अब शादी हो गयी तो सुहागरात भी हो जाए...” हंसते हुए करण निशा को बाँहो मे भरता हुआ बोला. अभी तक अदा दिखाने वाली निशा अब थोड़ा सा शर्मा गयी और किसी बेल की तरह करण से लिपट गयी.
“मैने कहा ना कि पति को तन और मन से खुश रखना हर पत्नी का कर्तव्य है....तो चलो आज तुम्हे तन से खुश करती हू...” कहते हुए निशा ने करण को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी छाती पर चढ़ के बैठ गयी.
वो नाइटी मे कमाल की लग रही थी. उसने एक एक कर के करण की शर्ट के बटन्स को खोल दिया और टाइ भी उतार दी. करण के घाव देख कर उसके मन मे आया कि एक बार इसके बारे मे पूछे पर वो वासना मे डूब जाना चाहती थी इसलिए वह ख़याल मन से निकाल कर करण की मांसल छाती को प्यार से चूमने लगी.
करण ने भी अपने हाथो को नाइटी के अंदर से निशा की पैंटी और नंगी कमर पर चलाने लगा. निशा किसी मक्खन की तरह मुलायम थी. जहा हाथ लगाओ उसके चिकने गोरे बदन पर वो फिसल जाता.
निशा थोड़ा उपर हुई और करण के होंठो को चूसने लगी. दोनो की जीब एक दूसरे से मिलने को बेकरार थी. दोनो की जीभ मे लग रहा था कि कुश्ती प्रतियोगिता चल रही है. निशा ने अपने मूह का ढेर सारा थूक लिया और उसे करण के मूह मे डालने लगी. करण भी जैसे जन्मो का प्यासा, निशा की थूक की हर बूँद चाट चाट कर पी गया और बदले मे उसने भी ढेर सारा थूक निशा के मूह मे उगल दिया जिसे निशा भी मज़े से चाट के पी गयी.
करण ने अपना हाथ निशा की चुचियो के बीच की घाटी मे डाला और नाइटी की गाँठ खोल दी. नाइटी निशा के चिकने बदन पर फिसलते हुए गिर गयी. अब निशा केवल ब्रा और पैंटी मे थी. करण ने निशा को नीचे लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया.
इतना चिकना जिस्म करण ने आज तक नही देखा था. निशा पर रोए या बाल के नामो निशान नही थे, पर बगल (आर्म्पाइट) मे निशा के बहुत बाल थे. निशा ने जब देखा तो थोड़ा शर्मा गयी और बोली, “आइ आम सॉरी...मुझे पता नही था कि आज हम सुहाग रात मनाएँगे नही तो मैं इन बालो को शेव कर देती...”
करण ने मुस्कुराते हुआ अपने मूह को निशा की बगलो मे घुसा दिया और बोला, “मुझे बगल के बाल बहुत पसंद है...इनमे जब पसीना होता है तब इनमे से बड़ी मादक गंध आती है.” बोलते हुए करण निशा की बगल को अपना जीभ निकाल के चाटने लगा.
निशा के लिए यह नया तजुर्बा था. उसे यकीन नही हुआ कि करण को आर्म्पाइट के बाल अच्छे लगते है. उसने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया और करण की जीभ को अपनी बगल पर चलते महसूस करके मदहोश हो गयी. एक गुदगुदी जैसा एहसास हो रहा था उसे, लग रहा था जैसे वहाँ चींटिया रेंग रही हो. करण के थूक से निशा की कांख के बाल पूरे भीग गये थे जिसपे एसी की ठंडी हवा निशा को बहकाने लगी.
करण बड़ी शिद्दत से निशा की बगलो को चाट रहा था और रुक रुक कर उसकी बगल के बाल को मूह मे भर कर खींच भी देता था जिस से निशा का मज़ा दोगुना हो जाता.
“मेरे आर्म्पाइट मे क्या रखा है जो तुम इतने शिद्दत से वहाँ चाट रहे हो..” निशा मदहोश होते हुए बोली.
“तुम क्या जानो कि हम मर्दो को औरतो के पसीने से भरी आर्म्पाइट को चाटने और सूंघने से कितनी उत्तेजना होती है...” कहते हुए करण ने फिर से अपना मूह पूरा निशा की बगलो मे घुसा दिया.
तसल्ली से पाँच दस मिनिट निशा की दोनो कांखो को चाटने के बाद करण उपर उठा और निशा को देखने लगा जिसकी आँखो मे वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. उसने निशा के मोटे मोटे दूध को ब्रा के उपर से ही अपने दोनो हाथ मे भरा और अपनी पूरी ताक़त से मसल्ने लगा.
“ह......उम्म्म......नाहहिईिइ......कारण....धीरे करो दर्द हो रहा है मुझे...” सिसकी लेती हुई निशा बोली.
पर करण को आज रोकना बहुत मुश्किल था. वो निशा की मोटी चुचियो को मसल्ते हुए झुक कर निशा के लबो को वापस चूसने लगा. निशा की सिसकिया अब करण के मूह मे ही समाए जा रही थी.
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