RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
“निशा मॅटर्निटी क्लिनिक.....ह्म्म्मI अब तो अंदर जाना ही पड़ेगा....एक बार आचार्य के आ जाने के बाद मुझे यह मौका दोबारा नही मिलेगा....क्या पता ऐसी ख़तरनाक जगह से मैं वापस जिंदा लौट पाउ भी या नही...” एक गहरी साँस लेकर करण क्लिनिक के अंदर घुस गया.
करण ने आज एक ब्लॅक बिज़्नेस फॉर्मल सूट पहना था जिसमे सफेद शर्ट पर ब्लॅक टाइ उसपर बहुत जच रही थी, क्यूकी उसे पता था जिससे वो मिलने जा रहा है उसे करण पे फॉर्मल सूट्स बहुत पसंद थे.
करण किसी फिल्म के हीरो की तरह स्मार्ट और हॅंडसम था. जब वो रिसेप्षन तक पहुचा तो वहाँ पे बैठी रिसेप्षनिस्ट एक स्मार्ट और हॅंडसम आदमी को आँख फाडे देखती रह गयी.
करण के लिए यह सब आम बात थी. वह जहाँ जाता वही पर लड़किया उसपर फिदा हो जाती, पर वो सिर्फ़ एक लड़की पर फिदा था जिस से वो बहुत ज़्यादा प्यार करता था. उसने आँख फाड़ती रिसेप्षनिस्ट को देखा और मुस्कुरा कर बोला, “हेलो.....मुझे डॉक्टर. निशा से मिलना है...!!!”
“सर बिना अपायंटमेंट के आप निशा मेडम से नही मिल सकते.”
“जी मेरा उनसे मिलना ज़रूरी है...”
“सर आप अपना नाम बताइए मैं निशा मेडम से बात कर के देखती हू...”
“करण ऱाठोड...”
“ओके सर...जस्ट आ मिनिट.” और फिर रिसेप्षनिस्ट निशा के कॅबिन का फोन डाइयल करने लगी. करण यह सब देख कर मुस्कुरा रहा था.
“हेलो मेडम...यहाँ पर कोई करण सर आपसे मिलना आए है...अगर आप कहे तो मैं उन्हे आपके कॅबिन मे भेज दूं..”
फोन पर से कुछ आवाज़ आई जिसे सुनकर रिसेप्षनिस्ट करण से बोली, “आइ आम सॉरी सर निशा मेडम कह रही है कि वो किसी करण रठोड को नही जानती है..”
करण यह सुनकर चौंक गया, “लगता है अभी तक नाराज़ है मुझसे...” उसने मन मे सोचा.
“आप एक काम करिए मेरी उनसे फोन पर बात करा दीजिए...”
“आइ आम सॉरी सर, निशा मेडम के क्लियर इन्स्ट्रक्षन्स है कि कोई भी उनसे बात नही करेगा...अगर आपको बात ही करना है तो मैण आपको परसो का अपायंटमेंट दे सकती हू..”
“परसो तक का तो टाइम नही है मेरे पास...” करण फुसफुसाया.
“सर आपने कुछ कहा...???”
“जी नही मैने कुछ नही कहा.....आइ आम सॉरी..” करण पलट के जाने लगा जब सामने के कॅबिन का दरवाज़ा खुला और उसमे से एक खूबसूरत अप्सरा निकल के आई. निशा के हुस्न को देख कर यही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि जिस करण के पीछे मेडिकल कॉलेज की पूरी लड़किया भागती थी वो सिर्फ़ निशा के पीछे भागता था. निशा से खूबसूरत करण ने आज तक कोई लड़की नही देखी थी.
खूबसूरती और दिमाग़ का अनोखा संगम था निशा मे. वह इतनी सुंदर थी की मेडिकल कॉलेज मे पार्ट टाइम टीवी आड्स और फॅशन डिज़ाइनर्स के लिए मोडीलिंग और फोटोशूटस भी करती थी. लेकिन समय निकाल कर पढ़ती भी इतना थी कि अपने बॅच की टॉपर हुआ करती थी. कॉलेज मे सभी लड़के निशा पे फिदा थे. पर उसका दिल आया भी तो करण पर. जब करण और निशा के प्यार के बारे मे सबको पता चला तो ना जाने कितने लड़के लड़कियो के दिल टूटे थे.
साँचे मे ढला निशा का जिस्म जैसे भगवान ने खुद फ़ुर्सत मे बनाया था. वो आमिरा दस्तूर (आक्ट्रेस) की बिल्कुल ट्रू कॉपी लगती थी. 34-26-36 का साइज़ ज़ीरो फिगर और उसपर एक स्लिम ब्लू साड़ी उसे बिल्कुल कातिलाना बना रहा था. अब आँखे फाड़ के देखने की बारी करण की थी.
“निशा मेडम यही है करण राठोड...यह कह रहे है कि यह आपको जानते है...” रिसेप्षनिस्ट ने निशा को अपनी ओर आते हुए देखा.
“स्वाती....मैं इन्हे नही जानती...” निशा ने एक अदा से रिसेप्षनिस्ट को कहा पर उसकी आँखे करण को ही घूर रही थी.
“मेडम आप कहिए तो मैं सेक्यूरिटी बुलाऊ..?” रिसेप्षनिस्ट बोली.
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