RE: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया
स्वीटी ने मुझसे नजरें मिलाई और बोली, "बदमाश..." और फ़िर एक झटके में नाईटी अपने बदन से निकाल दी। ब्रा पहनी नहीं थी सो पैन्टी भी पूरी तरह से निकाल दी और फ़िर टायलेट की सीट पर बैठी, तो मैं बोला, "अब दिखा रही हो तो नीचे जमीन पर बैठ के दिखाओ न, अच्छे से पता चलेगा, नहीं तो कमोड की सीट से क्या समझ में आएगा।" स्वीटी ने फ़िर मेरे आँखों में आँखें डाल कर कहा, "गुन्डा कहीं के..." और जैसा मैं चाह रहा था मेरे सामने नीचे जमीन पर बैठ गई और बोली, "अब पेशाब आएगा तब तो..." और मेरी नजर उसकी खुली हुई बूर की फ़ाँक पर जमी हुई थी। गुड्डी भी सामने खड़ी थी और मैं था कि स्वीटी के ठीक सामने उसी की तरह नीचे बैठा था अपने लन्ड को पेन्डुलम की तरह से लटकाए। करीब ५ सेकेन्ड ऐसे बैठने के बाद एक हल्की सी सर्सराहट की आवाज के साथ स्वीटी की बूर से पेशाब की धार निकले लगी। मेरा रोआँ रोआँ आज अपनी छोटी बहन के ऐसे मूतते देख कर खिल गया। करीब आधा ग्लास पेशाब की होगी मेरी बहन, और तब उसका पेशाब बन्द हुआ तो दो झटके लगा कर उसने अपने बूर से अंतिम बूँदों को भी बाहर किया और फ़िर उठते हुए बोली, "अब खुश..."। मैंने उसको गले से लगा लिया, "बहुत ज्यादा..." और वहीं पर उसको चूमने लगा। मेरा लन्ड उसकी पेट से चिपका हुआ था। वैसे भी मेरे से लम्बाई में १०" छोटी थी वो। मैंने उसको अपने गोद में उठा लिया और फ़िर उसको ले कर बिस्तर पर आ गया। फ़िर मैंने गुड्डी को देखा जो हमारे पीछे-पीछे आ गई थी तो उसने मुझे इशारा किया को वो इंतजार कर सकती है, मैं अब स्वीटी को चोद लूँ।
मैंने स्वीटी को सीधा लिटा दिया और सीधे उसकी बूर पर मुँह रखने के लिए झुका। वो अपने जाँघों को सिकोड़ी, "छी: वहाँ पेशाब लगा हुआ है।" गुड्डी ने अब स्वीटी को नसीहत दिया, "अरे कोई बात नहीं है दुनिया के सब जानवर में मर्दजात को अपनी मादा का बूर सूँघने-चाटने के बाद हीं चोदने में मजा आता है। लड़की की बूर चाटने के लिए तो ये लोग दंगा कर लेंगे, अगर तुम किसी चौराहे पर अपना बूर खोल के लेट जाओ।" मैंने ताकत लगा कर उसका जाँघ फ़ैला दिया और फ़िर उसकी बूर से निकल रही पेशाब और जवानी की मिली-जुली गंध का मजा लेते हुए उसकी बूर को चूसने लगा। वो तो पहले हीं मेरे और गुड्डी की चुदाई देख कर पनिया गई थी, सो मुझे उसके बूर के भीतर की लिसलिसे पदार्थ का मजा मिलने लगा था। वो भी अब आँख बन्द करके अपनी जवानी का मजा लूटने लगी थी। गुड्डी भी पास बैठ कर स्वीटी की चूची से खेलने लगी और बीच-बीच में उसके निप्पल को चूसने लगती। स्वीटी को यह मजा आज पहली बार मिला था। दो जवान बदन आज उसकी अल्हड़ जवानी को लूट रहे थे। अभी ताजा-ताजा तो बेचारी चूदना शुरु की थी और अभी तक कुल जमा ४ बार चूदी थी और इस पाँचवीं बार में दो बदन उसके जवानी को लूटने में लगे थे। जल्दी हीं मैंने उसके दोनों पैरों को उपर उठा कर अपने कन्धे पर रख लिया और फ़िर अपना फ़नफ़नाया हुआ लन्ड उसकी बूर से भिरा कर एक हीं धक्के में पूरा भीतर पेल दिया। उसके मुँह से चीख निकल गई। अभी तक बेचारी के भीतर प्यार से धीर-धीरे घुसाया था, आज पहली बार उसकी बूर को सही तरीके से पेला था, जैसे किसी रंडी के भीतर लन्ड पेला जाता है। मैंने उसको धीरे से कहा, "चिल्लाओ मत...आराम से चुदाओ..."। वो बोली, "ओह आप तो ऐसा जोर से भीतर घुसाए कि मत पूछिए...आराम से कीजिए न, भैया..."। मैंने बोला, "अब क्या आराम से.. इतना चोदा ली और अभी भी आराम से हीं चुदोगी, हम तुम्हारे भाई हैं तो प्यार से कर रहे थे, नहीं तो अब अकेले रहना है, पता नहीं अगला जो मिलेगा वो कैसे तुम्हारी मारेगा। थोड़ा सा मर्दाना झटका भी सहने का आदत डालो अब" और इसके बाद जो खुब तेज... जोरदार चुदाई मैंने शुरु कर दी।
करीब ५ मिनट वैसे चोदने के बाद मैंने उसके पैर को अपने कमर पे लपेट दिया और फ़िर से उसको चोदने लगा। करीब ५ मिनट की यह वाली चुदाई मैंने फ़िर प्यार से आराम से की, और वो भी खुब सहयोग कर के चुदवा रही थी। इसके बाद मैनें उसके दोनों जाँघों के भीतरी भाग को अपने दोनों हाथों से बिस्तर पर दबा दिया और फ़िर उसकी बूर में लन्ड के जोरदार धक्के लगाने शुरु कर दिए। जाँघों के ऐसे दबा देने से उसका बूर अपने अधिकतम पर फ़ैल गया था और मेरा लन्ड उसके भीतर ऐसे आ-जा रहा था जैसे वो कोई पिस्टन हो। इस तरह से जाँघ दबाने से उसको थोड़ी असुविधा हो रही थी और वो मजा और दर्द दोनों हीं महसूस कर रही थी। वो अब आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह कर तो रही थी, पर आवाज मस्ती और कराह दोनों का मिला-जुला रूप था। मैंने उसके इस असुविधा का बिना कुछ ख्याल किए चोदना जारी रखा और करिब ५ मिनट में झड़ने की स्थिति में आ गया। मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसकी बूर के भीतर हीं माल निकाल दू~म, पर फ़िर मुझे उसका सुबह वाला चिन्तित चेहरा याद आ गया तो दया आ गई और मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा और उसकी नाभी से सटा कर अपना पानी निकाल दिया। पूरा एक बड़ा चम्मच निकला था इस बार। मैं थक कर हाँफ़ रहा था और वो भी दर्द से राहत महसूस करके शान्त पड़ गई थी। मैंने पूछा, "तुमको मजा मिला, हम तो इतना जोर-जोर से धक्का लगाने में मशगुल थे कि तुम्हारे बदन का कोई अंदाजा हीं नहीं मिला।" हाँफ़ते हुए उसने कहा, "कब का... और फ़िर बिस्तर पर पलट गई। बिस्तर की सफ़ेद चादर पर दो जगह निशान बन गया, एक तो उसकी बूर के ठीक नीचे, क्योंकि जब वो चुद रही थी तब भी उसकी पनियाई बूर अपना रस बहा रही थी और फ़िर जब वो अभी पलटी तो उसके पेट पर निकला मेरा माल भी एक अलग धब्बा बना दिया। मैंने हल्के-हल्के प्यार से उसके चुतड़ों को सहलाना शुरु कर दिया और फ़िर जब मैंने उसकी कमर दबाई तो वो बोली, "बहुत अच्छा लग रहा है, थोड़ा ऐसे हीं दबा दीजिए न..." मैंने उसके चुतड़ों पर चुम्मा लिया और फ़िर उसकी पीठ और कमर को हल्के हाथों से दबा दिया। वो अब फ़िर से ताजा दम हो गई तो उठ बैठी और फ़िर मेरे होठ चूम कर बोली, "थैन्क्स, भैया... बहुत मजा आया।" और बिस्तर से उठ कर कंघी ले कर अपने बाल बनाने लगी जो बिस्तर पर उसके सर के इधर-उधर पटकने के कारण अस्त-व्यस्त हो गए थे।
मैंने अब गुड्डी पर धयान दिया तो देखा कि वो एक तरफ़ जमीन पर बैठ कर हेयर ब्रश की मूठ अपने बूर में डाल कर हिला रही है। उसके बूर से लेर बह रहा था। उसने मुझे जब फ़्री देखा तो बोली, "चलो अब जल्दी से चोदो मुझे...सवा ११ हो गया है और अभी दो बार मुझे आज चुदाना है तुमसे."। मैं थक कर निढ़ाल पड़ा हुआ था, लन्ड भी ढ़ीला हो गया था पर गुड्डी तो साली जैसे चुदाई का मशीन थी। मेरे एक इशारे पर वो बिस्तर पर चढ़ गई और लन्ड को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी। वो अब स्वीती को बोली, "तुम्हारी बूर की गन्ध तो बहुत तेज है, अभी तक खट्टा-खट्टा लग रहा है नाक में"। स्वीटी मुस्कुराई, कुछ बोली नहीं बस पास आ कर गुड्डी मी बूर पर मुँह रख दी और उसके बूर से बह रहे लेर को चातने लगी। स्वीटी का यह नया रूप देख कर, जोरदार चुसाई से लन्ड में ताव आ गया और जैसे हीं वो कड़ा हुआ, गुड्डी तुरन्त मेरे कमर के दोनों तरफ़ पैर रख कर मेरे कमर पर बैठ गई। अपने दोनों हाथ से अपनी बूर की फ़ाँक खोली और मुझे बोली, "अब अपने हाथ से जरा लन्ड को सीधा करो कि वो मेरे बूर में घुसे।" मैं थका हुआ सा सीधा लेटा हुआ था और मेरे कुछ करने से पहले हीं मेरी बहन स्वीटी ने मेरे खड़े लन्ड को जड़ से पकड़ कर सीधा कर दिया जिससे गुड्डी उसको अपने बूर में निगल कर मेरे उपर बैठ गई।
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