RE: raj sharma stories भाभी का दूध
दूसरे दिन,दिन का खाना देने के बाद भाभी बेड पर बैठ कर टी.वी. देखने लगी, मैं भी खाना खाने के बाद उसी बेड पर लेट गया लगभग भाभी के पास.और सोने का बहाना करने लगा थोड़ी देर बाद मैं खिसक कर और लगभग उनसे चिपक गया.
भाभी - क्या हुआ,नींद नहीं आ रही क्या
मैं - हूँ...तकिये मैं घुस के सोने की आदत है ना इसलिए थोड़ा आपके पास घुस गया.
भाभी - आच्छे से सो जाओ
मैं - आपकी गोदी में सिर रख लूँ.
भाभी - रख लो लेकिन सिर्फ़ सिर ही रखना.
मैं -मतलब
भाभी - कुच्छ नहीं सो जाओ चुप चाप
मैं थोड़ी देर लेटा रहा पर उनकी खुश्बू मुझे जितना सुकून दे रही थी उतना ही उत्तेजित भी कर रही. मैं धीरे से उनसे और चिपक गया अब मेरा मूह भाभी के पेट से चिपका था और भाभी के दूध मेरे इतना करीब कि मैं अगर अपना मूह थोड़ा सा भी उपर करूँ तो शायद वो मुझसे टच हो जाते.मेरे साँसें गर्म हो चुकी थी और मैं उसे जान बूझ कर भाभी के दूधों के पास 'जहाँ ब्रा ख़तम होती है' छ्चोड़ रहा था.भाभी की साँसें भी तेज हो रही थी.तभी मैने अपना आपा खो दिया और अपना एक हाथ भाभी की कमर पे कस कर और चिपक गया और ब्रा के नीचे वाले हिस्से से टच हो गया.भाभी को मानो एकदम कुर्रेंट लग गया हो.उन्होने तुरंत मुझे झिड़क दिया.
मैं - क्या हुआ
भाभी - चलो उठो
मैं -क्या हुआ
भाभी -ये क्या कर रहे हो
मैं -कुच्छ नहीं,मुझे आपकी खुश्बू बहोत अच्छि लगती है.वोही सूंघ रहा था.
भाभी - चलो अब जाओ.हमने कहा था ना सिर्फ़ सोना.
पर मुझे पता नहीं कौन सा भूत सवार था मैने उठते उठते भाभी को एक पप्पी कर दी.
भाभी सुन्न हो के मुझे बस देखती रही और कुच्छ नहीं बोली.मुझे लगा मैने ये क्या कर दिया.मैं उठा.और अपने दोस्तों से मिलने बाहर चला गया.
रात को मैं जब घर लौट के आया तो बड़ा डरा हुआ था.भाभी ने मुझे खाना दिया मैं खाना खा के अपने बिस्तर पर लेट गया .भाई के सोने के थोड़ी देर में भाभी आई और मेरे पैर की साइड जो सोफा लगा था उसमे बैठ गई.मैने उनको देख कर थोडा मुस्कुरा दिया.
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