RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
वे मसलते हुए बोले- हाँ, बहुत तड़फाया है इन्होंने ! इतना तो तेरी चूत ने
भी नहीं तड़फाया।
तो मैंने हंस कर कहा- तो क्या करोगे इनका? कही उखाड़ मत ले जाना इनको !
वे बोले- इतनी प्यारी चीज को प्यार करूँगा !
और सीधे मेरे स्तनों पर मुँह लगा दिया और उन्हें चूसने लगे।
मैं सिहर गई, मेरे सारे शरीर में आनन्द की तरंगें उठने लगी !
वो बारी बारी से दोनों को चूस रहे थे, एक चूसते, तब तक दूसरे को हाथों से
दबाते और फिर उन्होंने अपना मुँह पूरा खोल कर मेरे पूरे स्तन को मुँह में
भर लिया और उसे साँस के साथ और अन्दर खींचने लगे। मेरा स्तन उनकी साँस के
साथ उनके मुँह में खींचा जा रहा था और मुझे आनन्द आ रहा था।
आज हम दोनों बिना किसी डर से सेक्स कर रहे थे इसलिए बहुत ज्यादा आनन्द आ रहा था।
मैंने कहा- अब इन्हें छोड़ो, कोई और आपकी जीभ का इंतजार कर रहा है।
उन्होंने स्तन छोड़े, फटाफट मेरी चड्डी उतारी, मेरे पाव खड़े कर उन्हें
थोड़ा चौड़ा किया और सीधे मेरी चूत में अपना मुँह घुसा दिया !
मैं पहले से ही स्तन चुसवा कर गर्म हो गई थी, अब मेरी किलकारियाँ निकल
रही थी। कमरे में ए.सी. टी.वी. पंखे सब चल रहे थे, दरवाज़ा बंद था और
साऊँड प्रूफ भी था इसलिए में खुल कर आ...ह आ..ह कर रही थी, उनकी सधी हुई
जीभ मेरी संवेदना को जगा रही थी। उनके चूत चूसने का ढंग निराला है, वे
काफी पूर्वक्रीड़ा करते हैं, अपने पर उनका गज़ब का काबू है।
थोड़ी देर में मैं स्खलित हो गई, मैंने उनको रोक दिया पर उनका मन अभी चूत
चाटने से भरा नहीं था इसलिए थोड़ा रुक कर फिर से अपनी जीभ मेरी चूत में
घुसा दी। मेरी सिसकारियाँ फिर शुरू हो गई। आज मुझे पता चला कि बिना डर के
सेक्स में कितना मज़ा आता है।
वो फिर मेरी चूत को बुरी तरह से चूस रहे थे जैसे स्तन को मुँह में भरा
वैसे मेरी सारी चूत को काफी हद तक मुँह में भर रहे थे ! मुझे फिर आनन्द
की तरंगें मेरे बदन में महसूस हो रही थी, मैंने उन्हें कहा- जाओ अपन मुँह
बाथरूम में धोकर आओ और कुल्ला भी कर आओ, बस बहुत हो गया यह चाटना और
चूसना ! अब आगे की कार्यवाही करो !
मैंने जितनी देर चूत चटवाई, मैक्सी को शर्म से अपने मुँह पर रखी थी मुझे
शर्म आ रही थी और जीजाजी आज तीन ट्यूबलाईट की रोशनी में आराम से मेरी चूत
को देख रहे थे। हालाँकि मैंने उन्हें कई बार लाईट बंद करने कहा जिसे
उन्होंने अनसुना कर दिया।
वे बाथरूम में मुँह धोने गए मैंने दीवार पर टंगी घड़ी में समय देखा तो एक
बजकर पचास मिनट हुए थे।
कुछ ही पलों में जीजाजी आ गए, अपनी लुंगी और चड्डी खोली और मेरी टांगें
अपने कंधे पर ली अपने लण्ड के सुपारे को थोड़ा थूक से चिकना किया, मेरी
चिकनी चूत में सरका दिया।
मैं मैक्सी मुँह पर ढके ढके ही कराह उठी- आ...ह्ह्ह्हह
थो...डा...धी...रे.. डालो दुखता है !
उन्होंने सहमति जताते हुए मेरी गाण्ड थपथपा दी और फिर उन्होंने मेरे
चेहरे की तरफ देखा और बोले- यह चेहरा क्यूँ ढक रही हो? आज तो मैं चुदते
हुए तेरे चेहरे के भाव देखूँगा। ऐसा कह कर मेरे चेहरे से जबरदस्ती मैक्सी
को हटा दिया। मुझे उनके सामने देखने में शर्म आ रही थी इसलिए मैंने पलंग
पर पड़े होटल वाले तौलिये को अपने मुँह पर ओढ़ लिया पर आज जीजाजी किसी
समझौते के मूड में नहीं थे, उन्होंने मुझ से चोदते चोदते ही तौलिया छीना
और दूर सोफे पर फेंक दिया। अब मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और जीजाजी मेरे
गालों, आँखों की बंद पलकों और होटों को चूमने लगे।
कमर उनकी लगातार चल रही थी !
अब मेरी चूत ने भी उनका लण्ड अपने अन्दर खपा लिया था इसलिए मुझे दर्द
नहीं हो रहा था और दनादन अन्दर-बाहर हो रहा था !
थोड़ी देर में उन्होंने आसन बदल लिया, मेरी टांगें सीधी कर दी और मेरे
पैरों पर अपने पैर जमाकर कूद-कूद कर मुझे चोदने लगे। थोड़ी देर के बाद
मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी रगड़पट्टी करने लगे। फिर पलंग के
किनारे पर घोड़ी बनाया और पंलग से नीचे खड़े हो कर पीछे से चोदने लगे।
फिर वापिस मुझे पलंग पर लिटा दिया। मुझे पता था आज इनको कोई डर नहीं है
इसलिए मेरी चुदाई लम्बी चलेगी।
मैं भी शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार थी इसलिए मैं उनको कुछ नहीं कह
रही थी, बस चुदा रही थी, जैसे वे मुझे इधर-उधर कर रहे थे, मैं हो रही थी।
और वो लगातार बस चोद रहे थे, और चोद रहे थे।
ए.सी. चल रहा था, तो भी उन्हें पसीने आ रहे थे जिसे वे बार बार पास पड़ी
लुंगी से पौंछ रहे थे, खासकर उनके ललाट और गर्दन के पास ज्यादा पसीना आ
रहा था।
ना जाने कितने आसन बदले, उन्होंने मुझे जैसे रुई की गुड़ीया समझ लिया हो
पर मैं भी उन्हें मज़ा दिलाना चाहती थी इसलिए मैंने उन्हें रोका नहीं !
मेरा पानी ना जाने कितनी बार निकला था, मुझे याद नहीं ! कम से कम 7-8 बार
तो निकला ही होगा !
थोड़ी देर बाद मुझे फ़िर मज़ा आने लगता और मेरी चूत गीली हो जाती ! ऐसा कई
बार हुआ और फिर उनका स्खलन हुआ !
उनके मुँह से भैंसे के डकारने जैसी आवाज़ें निकली और स्खलन होते होते
उन्होंने धीरे धीरे 15-20 झटके और लगाये, फिर हटे, अपना कंडोम हटाया।
मैंने घड़ी की तरफ देखा 2 बज कर 40 मिनट !
इसका मतलब इन्होने पूरे 50 मिनट मेरी चुदाई की ! आसन बदलने में कोई 5
मिनट बिताये होंगे तो भी 45 मिनट मेरी चुदाई हुई थी, जो कभी धीरे, कभी
मंथर गति से और कभी खूब तेज़ चली थी।
मैं अर्ध बेहोशी में पहुँच गई थी।
वे बाथरूम से वापिस आये और मुझे खड़ा करके कहा- बाथरूम जा कर आओ।
मैं बाथरूम में चूत धोकर आई और पलंग पर लेट गई और कहा- मेरा गाँव जाने का
पूरा कार्यक्रम खराब कर दिया ! आपने इतनी देर चुदाई की कि मेरी गाड़ी भी
चली गई और मुझे चलने लायक नहीं छोड़ा।
वे हंसने लगे, कहा- आज मेरे मन माफिक चुदाई हुई है, हम गाँव कल चलेंगे,
आज की रात अभी बाकी है जान। तुम आराम करो, मेरे मोबाईल में सेक्सी
फिल्में देखो, मैं अपने एक दोस्त से मिलकर आ रहा हूँ !
मैंने कहा- ठीक है !
वे बाहर गए, मैंने दरवाज़ा बन्द किया, कुण्डी लगाई और पलंग पर लेट गई और
थोड़ी देर बाद सामान्य होने के बाद मोबाईल में सेक्सी फिल्में देखने लगी
और जीजाजी के स्टेमिना के बारे में सोचने लगी कि इतनी मैराथन चुदाई कर वे
बाहर चले गए और मैं उठ भी नहीं पा रही हूँ !
वे बिल्कुल तरोताज़ा बाहर गए हैं। जीजाजी के जाने के बाद मैं मोबाईल पर
सेक्सी वीडियो देखने लगी। इन वीडियो को देख कर मैं हैरान रह गई !
उनमें एक लड़की के साथ कई लडकों की, बलात्कार की फिल्में, गुदा मैथुन,
लड़कियों द्वारा आपस में सेक्स और मैं यहाँ जिस चीज का जिक्र नहीं कर सकती
उनका सेक्स ! मैं तो अचंभित रह गई कि मैं कुएँ का मेंढक रह गई !
इस दुनिया में ऐसा ही होता है क्या?
जीजाजी का मोबाईल इन फिल्मों से भरा था, मुझे उनको देखने में ज्यादा मज़ा
आया जिसमें किसी लड़की को नींद की गोली खिला कर कोई सेक्स करता था !
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