RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
धीरे धीरे मैं
भी उनकी बातों में रूचि लेने लग गई थी। वो अपनी सेक्स की बातें बताते कि
उन्होंने कितनी लडकियों के साथ सेक्स किया है और तो और उन्होंने बताया की
होली के दिनों में अपने दोस्तों के साथ उन्होंने कई बार गधियों को भी
चोदा था ! और कई बार लड़कों की भी गाण्ड मारी थी, मुझे नहीं पता था कि कोई
गाण्ड भी मार या मरा सकता है !
मेरे सेक्स-ज्ञान में वृद्धि हो रही थी पर मैं यह बात मान नहीं रही थी तो
उन्होंने कहा- क्या बात करती हो? औरतें तो कुत्ते से और घोड़े से भी चुदवा
लेती हैं या एक साथ दो-दो तीन-तीन आदमियों से चुदवा लेती हैं।
यह मैंने कहीं नहीं सुना था इसलिए मैं उनकी बातें किसी बेवकूफ की तरह सुन
रही थी जैसे पाँचवीं में पढ़ने वाले बच्चे को कोई बी.ए. के सवाल पूछ रहे
हो !
मैं बार यही कहती कि ऐसा थोड़े ही होता है !
तो जीजाजी ने कहा- अबकी बार मैं अपने मोबाइल में ऐसी फिल्में लेकर आऊँगा
तब तुम देख लेना।
मैंने कहा- ठीक है !
वैसे मैंने कई बार ब्लू फिल्म अपने पति के साथ देखी थी पर जानवरों वाली
बात मुझे हज़म नहीं हो रही थी।
वो मुझे फोन करते और और हमारी बातें काफी लम्बी चलती जिनमें वो बार बार
मेरी चूत चाटने का जिक्र करते, मेरे खयालों में उनका चूत चाटना आ जाता और
मेरी सांसें गर्म हो जाती, मुँह से सिर्फ हूँ हु की आवाज़ निकलती और वे
मुझे बातो से ही गर्म कर देते।
फिर फोन पर ही यहाँ वहाँ अपना बदन छूने का कहते पर मुझे अपने हाथ से ऐसा
करना अच्छा नहीं लगता ! पर मुझे अपने आप मज़ा लेने आता है, मैं तकिये को
खड़ा करके या सोफे की किनारे पर अपनी चूत रगड़ती, थोड़ी देर और मेरा स्खलन
हो जाता। यह तरीका मुझे बहुत पहले से आता था, पतिदेव तो साल-छः महीने में
आते थे तो कभी कभी चुदने का ख्याल आ ही जाता था तो ऐसे ही अपने को
संतुष्ट कर लेती थी पर 2-4 महीनों में एक बार !
चुदने की मन में बहुत ज्यादा तब आती थी जब ऍम सी आने का समय आता पर मैं
अपने को काबू में कर लेती थी। पर अब जीजाजी से रिश्ते बन गए तो ये तो
रोज़ ही फोन पर सेक्सी बातें करते तो 8-10 दिनों में मुझे तकिये की सवारी
करनी ही पड़ती। उन्हें भी यह बात पता चल गई इसलिए वो बात करते करते कहते-
अब तकिये को खड़ा कर ले और थोड़ा चूत के दाने को तकिये पर रगड़ ले !
ऐसे ही बातें करते 15 दिन बीत गए।
तब जीजाजी ने कहा- दीपावली में वहाँ से कब रवाना होना है, मुझे बता देना
ताकि मैं तुमसे एक बार वहीं आकर मिल लूँ और जो मैंने तुम्हारे लिए मोबाइल
और सिम ली है वो तुम्हें दे सकूँ !
मैंने बताया कि मैं उस दिन ऑफिस से गाँव जाने के लिए निकलूँगी तो जीजाजी
ने कहा- अपने पापा और मम्मी को पहले मत बताना कि इस दिन आऊँगी।
मुझे यह बात समझ नहीं आई पर मैंने कहा- ठीक है, नहीं कहूँगी !
और उन्होंने कहा- तो बस स्टैण्ड पर बारह बजे आ जाना !
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊँगी !
साथ ही उन्होंने कहा- तुम मेहंदी लगा कर आना, मुझे तुम्हारे मेहंदी लगे
हुए हाथ बहुत अच्छे लगते हैं।
मैंने कहा- ठीक ! पर हम वहाँ थोड़ी देर ही मिल सकते हैं, फिर हम साथ ही बस
में बैठकर आ जायेंगे। आप अपना गाँव आये, तब उतर जाना और मैं अपने गाँव आ
जाऊँगी।
मेरा गाँव उनके गाँव से थोड़ा आगे है।
उन्होंने कहा- ठीक है।
मैं 12 बजे बस स्टैण्ड पहुँची तो वो वहाँ थे ही नहीं। मैंने उनको फोन
किया तो वो बोले- मैं स्टैण्ड के बाहर पहुँच गया हूँ, तुम भी इधर आ जाओ।
मेरे हाथ में जो बैग था, उसमें काफी सामान था इसलिए मैं उसे मुश्किल से
उठा कर चल रही थी पर बाहर जाते ही वे सामने मिल गए और मुझे देखते ही वो
देखते ही रह गए।
मैंने हरी साड़ी पहन रखी थी, काजल, बिंदी, मेहंदी, नेलपालिश यानि सब नखरे
कर रखे थे मैंने और मैं बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
मुझे देख कर उनका मुँह खुला का खुला रह गया और मैं अपनी सुन्दरता पर कुछ
शरमाई और कुछ गर्व महसूस किया।
वे बोले- कहीं मैं बेहोश ना हो जाऊँ ! तुम मुझे इतनी सुन्दर लग रही हो !
मैंने कहा- यह मेरा बैग उठाओ, इसका बोझ लगेगा तो होश आ जायेगा।
और मैं हंस पड़ी ! मेरी खिलाहट सुन वे भी मुस्करा दिए !
फिर हम वहाँ से रवाना हुए तो मैंने पूछा- अब हम कहाँ चल रहे हैं?
तो उन्होंने कहा- मैंने एक होटल में कमरा लिया है, वहाँ चल रहे हैं।
मैंने कहा- आपका दिमाग ख़राब है? होटल में कैसे चल सकते हैं? किसी ने देख लिया तो?
वे बोले- तुम चिंता मत करो, यहाँ हमें कोई नहीं जानता, और होटल में भी
मैंने तुम्हें पत्नी लिखवाया है।
मैंने कहा- नहीं, मैं होटल नहीं जाऊँगी !
तो वो मिन्नतें करके बोले- एक बार चलो तो सही, चाहे वहाँ रुकना मत।
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