RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
अधूरी जवानी बेदर्द कहानी--3
तभी होटल वाले का फोन आ गया- मैडम जी, आपके जीजाजी यहीं हैं क्या? या चले गए?
मैंने कहा- यहीं हैं।
तो उन्होंने कहा- खाना यहीं खाना है !
मैंने कहा- ठीक है, पर ये प्याज-लहसुन नहीं खाते !
उसने कहा- आप चिंता न करें, हम जैन खाना बना देंगे।
शाम सात बजे हम होटल के लिए रवाना हुए। आज मैंने सलवार-कुर्ती पहनी थी जब
मैं कपड़े बदलने के लिए बाथरूम जा रही थी तब जीजाजी ने कहा था- अब तो मेरे
सामने ही बदल लो !मैंने शरमा कर मना कर दिया और मैं बाथरूम से ही कपड़े
बदल कर आई थी।
सलवार कुर्ती में मैं कम से कम दस साल छोटी लग रही थी, मैं वैसे ही पतली
हूँ इसलिए कॉलेज की छात्रा सी लग रही थी, जीजाजी तो देखते ही रह गए और
उनकी निगाहें मुझ से हट ही नहीं रही थी, वो मेरी तारीफ पर तारीफ किये जा
रहे थे।
मैं काफी कुछ करीना की तरह लगती ही हूँ, ऐसा कई लोगो ने मुझे कहा था,
जीजाजी की तारीफें सुन कर मुझे ख़ुशी हो रही थी और मैं शरमा भी रही थी।
99 प्रतिशत औरतें तारीफ पर खुश होती हैं, भले ही झूठी ही हो, वैसे मेरी
तो वो सच्ची तारीफ ही कर रहे थे।
वो अवाक से थे सलवार कुर्ती में मेरी जवानी देख कर !
और हम बाज़ार में चल रहे थे मुझे लग रहा था कि अकेले होते तो वो मुझे मसल
देते। सारे समय उनकी निगाहें मुझ से हट नहीं रही थी।
होटल पहुँचे तो वहाँ साहब भी आये हुए थे, वो होटल के लॉन में कई लोगों से
घिरे हुए बैठे थे।
मैं सीधे होटल के अन्दर आ गई और जीजाजी के साथ कुर्सी पर बैठ गई।
होटल वाले ने आकर कहा- मैडम जी, साहब भी आये हुए हैं।
मैंने कहा- मैंने देख लिया है और उन्होंने भी हमें देखा है।
थोड़ी देर में साहब भी अन्दर आ गए और मेरे जीजाजी से हाथ मिला कर अपना
परिचय दिया। जीजाजी ने भी अपना परिचय दिया और वे बातें करने लगे, मैं
सिर्फ सुन रही थी। आज मुझे पता चला कि जीजाजी बोलने में कितने होशियार
हैं। उन्होंने साहब को भी प्रभावित कर दिया, मैं भी उनकी तरफ प्रशंसात्मक
दृष्टि से देखती रही।
तब होटल वाले ने कहा- आप सब खाना खा लीजिए।
तो साहब बोले- मैंने खाना अपने बंगले में बनवा लिया है, आप भी चलो, वहीं
खाना खाते हैं।
मैंने मना कर दिया, मुझे पता है कि वे मांस-मच्छी खाते हैं, मीणा हैं और
जीजाजी तो प्याज भी नहीं खाते।
फिर साहब चले गए और हम खाना खाने बैठे।
होटल मालिक भी हमारे साथ ही बैठा, उसने जीजाजी को बीयर को पूछा। मैंने
जीजाजी की तरफ देखा, जीजाजी ने मना कर दिया।
होटल वाला हंसा- कहीं आप साली जी से तो नहीं डर रहे हैं?
उन्होंने कहा- नहीं !
होटल वाला भी बड़ा आदमी था, उम्र में भी मुश्किल से 25 साल का था और मेरी
बहुत इज्जत करता था।
खाना खाने के बाद उसने पान का पूछा, उसको भी हमने मना कर दिया।
फिर उसने कहा- जीजाजी, आप मैडम के जीजाजी हैं तो हमारे भी जीजाजी हैं आप
आज यहीं सो जाओ मेरे होटल में ! मैडम का कमरा तो छोटा है !
तब मैं बीच में बोली- नहीं, वहाँ मकान मालिक का कमरा ख़ाली है, ये वही सोते हैं।
तो उसने कहा- ठीक है।
उसने खाना खाने आने के लिए जीजाजी को धन्यवाद दिया और कहा- कभी इधर आना
हो तो यहीं आना, आपका स्वागत है।
मुझे भी बड़ी ख़ुशी हुई उसका व्यवहार देख कर ! भले ही वो साहब के कारण था।
फिर हम वापिस अपने कमरे में आ गए। मैं अपनी मैक्सी लेकर बाथरूम में चली
गई बदलने के लिए, तब तक जीजाजी ने भी कपड़े उतार कर लुंगी लगा ली।
मैं भी कमरे में आई और बत्ती बुझा कर लेट गई।
मैंने कमरे में आते ही दरवाजा बंद कर दिया जबकि पिछली रात मैंने पूरा
दरवाज़ा खोल रखा था अपनी असुरक्षा की भावना के कारण।
और जीजाजी ने जबरदस्ती मेरी चूत चाटी तब दरवाजा खुला हुआ ही था पर मेरा
कमरा एक तरफ अलग को था कोई चल कर आये तभी आ सकता है।
जीजाजी ने जब मुझे पकड़ा तो कमरे की रोशनी तो वैसे भी बन्द थी और रात के
दो-ढाई बजे थे, किसी के देखने का कोई सवाल ही नहीं था, पर जब उन्होंने
मुझे चोदना शुरू किया तब उन्होंने गेट को थोड़ा ढुका दिया था। पर आज कोई
ऐसी बात नहीं थी इसलिए मैंने कमरे में आते ही दरवाजा बंद कर कुण्डी लगा
ली थी, जीजाजी उस बिस्तर पर एक तरफ लेटे हुए थे और एक तरफ मैं भी लेट गई।
मैंने जिंदगी में कभी सेक्स के लिए कभी पहल नहीं की थी, अगर वो चुपचाप
रात भर सोये रहते तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता और मैं भी आराम से सो
जाती।
मेरी सक्रिय यौन जीवन को काफ़ी साल हो चुके थे पर मैंने अपने पति से भी
कभी पहल नहीं की, सेक्स मुझे कभी अच्छा ही नहीं लगा था।
हाँ जब वो छेड़ना शुरू करते तो उनकी संतुष्टि कराते कराते कभी मुझे भी मज़ा
आ जाता पर मेरे लिए यह कोई जरुरी काम नहीं था।
मैं सीधी सो रही थी कि जीजाजी ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे भी अपनी तरफ
मोड़ लिया और बांहों में भर लिया।
मैं थोड़ी कसमसाई, फिर मैंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। मुझे पता चल गया
था कि अब इनको नहीं रोक सकती, जहाँ मैं और वो तन्हाई में हैं तो मेरा
विरोध कोई मायने नहीं रखता, रात के अँधेरे में जब दो जवान जिस्म पास हों
तो सारे इरादे ढह जाते हैं।
अब मुझे दीदी नहीं दिख रही थी, जीजाजी नहीं दिख रहे थे दिख रहा तो मेरा
प्यारा आशिक दिख रहा था जिसने मुझे जिंदगी का वो आनन्द दिया था जिससे मैं
अब तक अनजान थी।
जीजाजी मेरे गले गाल और कंधे पर चुम्बनों की बौछार कर रहे थे, उन्होंने
कई बार मेरे लब भी चूसने चाहे पर मैंने उनका मुँह पीछे कर दिया, मुझे ओंठ
चूसना-चुसवाना अच्छा नहीं लगता था, एक तो मेरी साँस रुक जाती थी दूसरा
मुझे दूसरे के मुँह की बदबू आती थी।
जीजाजी मेरे सारे बदन पर हाथ फेर रहे थे। मैंने मैक्सी खोली नहीं थी, ना
ही ब्रेजियर खोला, वो ऊपर से ही मेरे छोटे छोटे नारंगी जैसे स्तन दबा रहे
थे, मेरे शरीर पर बहुत कम बाल आते हैं, मेरे साथ वाली लड़कियाँ पूछती हैं
कि मैंने हटवाए हैं क्या? जबकि कुदरती मेरे बाल कम आते हैं टाँगों पर तो
रोयें भी नहीं हैं थोड़े से जहाँ आते हैं वो ऊपर की तरफ ! चूत तो वैसे भी
मेरी चिकनी रहती है।
मेरे जीजाजी मेरे चिकने बदन की तारीफ करते जा रहे थे और हाथ फेरते जा रहे
थे। उनका हाथ मेरे चिकने बदन पर फिसल रहा था, मेरी मेक्सी कमर पर आ गई
थी, उनकी लुंगी भी फिसल कर हट गई थी, वे सिर्फ चड्डी पहने हुए थे।
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