RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
मुझे आज पता चला कि कोई आदमी इतनी काम कला में निपुण भी हो सकता है !
आज तक मेरे पति ने ऐसा मुझे तैयार नहीं किया था।
मुझे मेरे जीजाजी बहुत प्यारे लग रहे थे कि उन्हें मेरे आनन्द की कितनी
चिंता है और उनमें रुकने का कितना स्टेमिना है।
उनके थोड़ी देर के प्रयास से मैं फिर से गर्म हो गई थी, मैं तब तक तीन बार
झड़ चुकी थी जो मेरी जिन्दगी में पहला मौका था एक रात में। मेरे पति के
साथ तो कभी कभी ही चरम सुख मिलता था।
अब मैं जीजाजी को अपने ऊपर खींचने की कोशिश करने लगी, वे समझ गए,
उन्होंने मेरी सूखी चूत को थूक से गीला किया और अपना लण्ड मेरी चूत में
सरका दिया एक ही झटके में !
मैं थोड़ा उछली फिर शांत हो गई। मेरी टांगें मेरे सिर के ऊपर थी। मेरे
जीजाजी मेरी टांगों नीचे से हाथ डाल कर मुझे दोहरी कर अपने हाथ मेरे वक्ष
तक ले आये और वे धक्के के साथ स्तन भी दबा रहे थे, मेरे आनन्द की कोई
सीमा नहीं थी।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैं फिर झड़ने के करीब थी। अब लगातार चुदाई
से मेरी चूत में जलन भी होने लगी थी, चूत कुछ सूज भी गई थी।
मैंने जीजाजी को कहा- आपको कोई बीमारी है क्या? आधे घंटे से चोद रहे हो
और आपके एक बार भी पानी नहीं निकला?
यह सुनकर हँसे और कहा- मेरा अपने दिमाग पर काबू है, चाहूँ तो 5-7 मिनट
में पानी निकाल सकता हूँ और चाहूँ तो 30-40 मिनट तक भी चोद सकता हूँ।
मुझे बड़ा अचम्भा हुआ !
फिर मैंने कहा- मैं थक गई हूँ, ऐसा लगता है कि मुझे 3-4 जनों ने मिलकर
चोदा है, अब आप अपना पानी निकाल लो !
उन्होंने कहा- ठीक है, तुम दो मिनट तक पड़ी रहो।
फिर उन्होंने तूफानी रफ़्तार से धक्के मारने शुरू किये। मैं दांत भींच कर
सहन कर रही थी राम राम करते।
फिर उनका पानी छूटा तो उन्होंने मुझे इतनी जोर से भींचा कि मेरी हड्डियाँ बोल उठी।
आज मुझे पता चला कि मेरे जीजाजी में रीछ जैसी ताकत थी, मन ही मन में उनके
प्रति प्रंशसा का भाव जगा।
कुछ देर मेरे बदन पर लेटे रहने के बाद वो उठ कर बाथरूम में चले गए, मैं
उठी तो मुझे लगा मेरी चूत सुन्न हो गई है, टटोल कर देखा तो पता चला कि है
तो सही।
फिर उनके आने के बाद मैं बाथरूम गई और वहा बैठ कर जब मैंने मूतना शुरु
किया तो मेरी चूत जल उठी, मुझे पता चल गया कि आज मेरी चूत का बजा बज गया
है।
पर अभी तो साढ़े तीन ही बजे थे, अभी रात बाकी थी और मेरी चूत का तो बाजा और बजना था।
मैं जब बाथरूम से वापिस आई तो जीजाजी लेटे हुए थे, लुंगी तो नहीं लगी हुई
थी पर अंडरवियर पहना हुआ था।
मैं भी जाकर पास में लेट गई और अपनी एक टांग उनकी कमर पर रख दी।
उन्हें शायद नींद आ रही थे, वे कसमसाए और मुझे बांहों में भर कर बोले- अब
सो जाओ।मैंने उन्हें कहा- ऐसे मेरी नींद खुल जाती है तो फिर मुश्किल से
ही आती है्।
तो उन्होंने मेरी तरफ मुँह करके मुझे चूम लिया और कहा- चलो अब नहीं सोते
हैं, बातें करते हैं।
अब उन्होंने पूछा- तुम्हें कैसा लगा?
तो मैंने कहा- मुझे नहीं पता कि अच्छा हुआ या बुरा !
फिर उन्होंने मुझे कहा- मुझे डर लग रहा था कि कहीं तुम कोई उल्टा कदम न
उठा लो लेकिन अब जब तुम्हें खुश देखा तो मेरी परेशानी ख़त्म हो गई !
फिर उन्होंने पूछा- तुम मान कैसे गई?
तो मैंने कहा- अगर मुझे पता होता कि आप ऐसा करोगे तो मैं आपको यहाँ
बुलाती ही नहीं और यह अनजान शहर नहीं होता, मेरा या आपका घर होता तो मैं
आपको भगा देती। पर खैर मेरी किस्मत में ही यही लिखा था। आप तो सो गए थे,
फिर यह आपको क्या सूझा?
तो उन्होंने कहा- तुमने जो मैक्सी पहनी थी, उसकी बांहों के पास कट है, जब
भी तुम मोबाईल पर बात करती वो कंधे नंगे हो जाते और मैं किसी के कंधे
देखकर उत्तेजित हो जाता हूँ। पहले तो मैं सो गया पर रात को दो बजे मुझे
पेशाब लगा, तब तुम नींद में मेरे नजदीक सो रही थी। फिर मेरी वासना जाग
उठी और मेरे दिमाग में यही था कि इसका पति काफी समय से बाहर है, मुझे
इसको संतुष्ट करना है। इसलिए मैंने तुम्हें पकड़ लिया।
फिर उन्होंने मुझे पूछा तो मैंने बताया कि पिछले छः माह से मेरे पति ने
फोन नहीं किया इसका मुझे गुस्सा था और जब मैं नौकरी पर जाती हूँ तो सबकी
नज़र मुझ पर होती है तो मैंने सोचा कि सेक्स करना ही है तो जीजाजी के साथ
ही करूँ, कम से कम मेरे परिवार के तो हैं, मेरी बदनामी तो नहीं करेंगे।
और जब आपने जबरदस्ती मेरी चूत चाटी तो मैं पागल हो गई और मैंने सारा
विरोध छोड़ दिया। फिर जब आप अपना नहीं कर रहे थे तो मुझे आप पर दया आई कि
बेचारे ने चाट कर इतना आनन्द दिया और इतनी दूर से आए हैं तो इन्हें भी
इनाम मिलना चाहिए, इसलिए मैंने आपको अपने ऊपर खींचा।
बातें करते जा रहे थे और मेरे जीजाजी मुझे सहलाते भी जा रहे थे। हमें
बाते करते करीब 20 मिनट हो गए थे कि अचानक वे उठे, अपनी चड्डी एक टांग से
बाहर निकाली, अपने सुपारे के ऊपर थूक लगाया और मेरी चूत में डाल दिया।
मैं चिहुंक उठी क्योंकि सूजन से मेरी चूत का छोटा सा दरवाजा भी बंद हो
गया था पर सुपारा घुसा तब ही दर्द हुआ, अन्दर जाने के बाद अच्छा लगा।
मैंने कहा- अभी तो आपने किया है ! फिर से?
उन्होंने कहा- मुझे सिर्फ़ तुम्हें आनन्द देना है, मेरे लिए जरुरी नहीं है !
और इस बार वो मेरे ऊपर आड़े लेट गए उनका लण्ड घुसा हुआ था और उनका सर और
पांव मेरे ऊपर नहीं थे, वे मुझे टेढ़े होकर चोद रहे थे, उनके लण्ड का बीच
का हिस्सा बार बार मेरे चूत के चने से घर्षण कर रहा था।
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