RE: Sex Kahani गाओं की मस्ती
गतान्क से आगे............
उस दिन शाम को जगन अपने दोस्त देव के घर गया और दोनो नीम के पेऱ नीचे बैठ कर मिल कर इधर उधर की बातें करने लगे. देवकी अपने घर के काम काज मे ब्यस्त थी और चोरी चोरी जगन को देख रही थी. जैसे शाम होने लगी जगन देव से बोला कि मैं चलता हूँ और अपने घर की तरफ चल परा. देवकी अपने घर की गेट के पास जगन के लिए इंतेजर कर रही थी. जैसे जगन पास आया देवकी धीरे से बोली,
"जगन आज रत को 10.00 बजे मेरे घर पर आना, पिछला दरवाजा खुला रहेगा और मैं तुम्हारी इन्तिजार करूँगी" और देवकी अपने घर चली गयी. जगन को देवकी की बहादुरी पर ताज्जुब हुआ. उसको इसमे ख़तरा लगने लगा, लेकिन उसको एह सोच करके कि आज रात वो फिर देवकी को चोद पाएगा वो बहुत खुश हुआ और रात को देवकी के पास जाने का निस्चाया कर लिया. वो अपने घर गया और नहा धो कर एक साफ सुथरा धोती और कमीज़ पहन कर करीब 10.00 बजे रात को देवकी के घर के पिछवारे पहुँच गया. जगन वहाँ इंटिजार करने लगा. उसको वहाँ कोई नही दिखा. अंदर एक माटी के तेल का दिया जल रहा था और पिछवारे का दरवाजा आधा खुला था लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही सुनाई पर रहा था.
"जगन भाई शहाब अंदर आ जाइए," जगन को देवकी की दबी जवान सुनाई दिया. देवकी अनदर से निकल कर आई और जगन को अपने साथ अंदर एक दूसरे कमरे में ले गयी. दूसरे कमरे मे ज़मीन पर बहुत साफ सुथरा बिस्तर लगा हुआ था और उसपर दो तकिया भी लगा हुआ था. जगन अपने दोस्त देव के बारे मे पूछा.
"वो जल्दी सो जाता है और वो जब सोता है तो भूकंप भी उसको जगा नही पाता, मगर फिर भी हम लोगों को चुप चाप रहना चाहिए," देवकी धीरे से जगन से बोली. फिर देवकी माटी के तेल वाली दिया कमरे में ले आई और धीरे से दरवाजा बंद कर दिया. देवकी तब जगन के पास आई और उसको अपने बाहों मे बाँधते हुए बोली,
"आज सुबह हम लोग जो कुच्छ भी किया जल्दी मे किया, फिर्भी मुझे बहुत मज़ा आया. अब हम चाहते हैं कि हम तुमसे फिर से वही मज़ा लूटे और तुम मुझे रात भर धीरे धीरे चोदो, क्यों चोदोगे ना?" जगन अपना सर हिला कर हामी भरी और बोला,
"मैं भी तुमको पूरा पूरा चखना चाहता हूँ, सुबह जो भी हुआ वो बहुत जल्दी जल्दी हुआ". जगन ने देवकी को अपने पास खींच लिया और उसके पीठ पर हाथ फेरने लगा. उसने देवकी की होटो पर चुम्मा दिया और उसकी ब्लाउस के बटन खोलने लगा. जगन देवकी की ब्लाउस और ब्रा उतार कर उसकी सारी उतारना शुरू कर दिया. देवकी चुप चाप खरी हो कर अपना सारी उतरवाने लगी. जगन फिर धीरे से देवकी की पेटिकोट का नारा भी खोल दिया और देवकी की पेटिकोट उतार कर उसकी पैरों का पास गिर गया. अब देवकी पूरी तरह से जगन के सामने नंगी खरी थी. जगन तब एक कदम पिछे हाथ कर देवकी का नग्न रूप देखने लगा. हालंकी देवकी का बदन भरा पूरा था, लेकिन उसकी शरीर बहुत ही ठोस थी. देवकी की चूंची बरी बरी थी लेकिन लटकी नही थी.
चूंची की निपल करीब 1" लूंबी थी और काली थे. देवकी की निपल इस समय खरी खरी थी. जगन तब धीरे धीरे चल कर देवकी के पीछे गया और देवकी की गोल गोल शानदार भारी भारी चूतर और शानदार जांघों को देखने लगा.
"तुम बहुत ही सुंदर हो," जगन धीरे से बोला. जगन फिर से उसे पास खींच लिया और उसको अपने बाहों मे भर कर चूमने लगा. अब तक जगन का लंड खरा हो चुक्का था और अपने लिए देवकी की चूत को चाह रहा था. देवकी भी जगन के बाहों मे खरी खरी अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी.
"अब मेरी बारी है," देवकी बोली और जगन का शर्ट उतारने लगी. देवकी जगन के छाती पर अपना मूह मलते हुए धोती को खींच कर निकाल दिये और अब जगन भी देवकी के जैसा नंगा हो गया. जैसे ही देवकी जगन को अपने बाहों मे लिया उसको जगन का खरा हुआ लंड अपनी पेरू पर चुभने लगा. देवकी अपनी शरीर को जगन के नंगे शरीर से रगर्ने लगी. फिर देवकी झुक कर जगन के सामने अपने घुटनो पर बैठ गयी. अब जगन का खरा हुआ लंड देवकी के चहेरे से कुच्छ ही दूर था. देवकी लंड अपने दोनो हाथों से पकर लिया और उसका लाल लाल बरा सा सुपरा को खोल दिया. उस पर चुम्मा देते हुए बोली,
"कितना अक्च्छा है तुम्हारा यह सुपरा. कितना लंबा और मोटा और कितना करा. देखो देखो एह कैसे उछाल रहा है. मैं ऐसे ही एक लंड के लिए अब तक परेशान थी. ज़रूर भगवान ने इसे मेरे लिए बनाया है. क्या मस्त चीज़ है. इसको खा कर मेरी चूत पूरी तरह से मस्ती से भर उठेगी" वो बोलने लगी. देवकी तब लंड अपने दानो हाथों मे रख कर धीरे धीरे दबाने लगी और मसल मसल कर उसकी ताक़त और गर्मी का अंदाज़ा लगाने लगी. देवकी तब लंड अपने चहेरे और गालों पर रगर्ने लगी और फिर धीरे से उसको चूम लिया. देवकी नीचे झुक कर लंड उठा कर उसके अंडों को देखने लगी और उनको अपने हाथों मे ले कर ततौलने लगी.
"वाह कितना सुन्दर तुम्हारी एह सुपरियाँ है! एह बरे बरे है और भरे भरे है. मैं इनको जल्दी ही खाली कर दूँगी," देवकी मुस्कुरा कर बोली. वो पहले तो उनको छाती फिर एक को अप'ने मूह मे भर कर एक के बाद दूसरे को चूसने लगी. देवकी की चुसाइ इतनी धीमी थी कि जगन को पूरे शरीर मे झुरजूरी फैलने लगी. अंदो के बाद देवकी उसके लंड पर अपना मूह फेरने लगी और धीरे धीरे से सुपरे को अपने मूह मे ले लिया.
देवकी जगन के लंड को अपने हाथों मे पकर कर पूरे लंड पर अपनी जीव फिराने लगी. फिर देवकी खरी हो गयी. जगन देवकी के चूंची को च्छुआ, उसको इस समय सुबहा जैसी जल्दी नही थी इसलिए वो देवकी की चूंची धीरे धीरे छ्छू कर उसकी चूंची के सुंदरता को उसके ठोस पन को परखने लगा. उसने उन चूंची को अपने दोनो हाथों मे लेकर उनको तौलने लगा. देवकी को चुदाई की मस्ती काफ़ी चढ़ चुकी थी और इसलिए उसके चूंची तन कर खरी हो गयी थी. उसके चूंची के निपल भी तन कर खरी हो गयी थी.
जगन झुक कर देवकी की निपल को मूह मे ले कर चूसने लगा, लेकिन देवकी जगन को रोक दिया. फिर देवकी ज़मीन पर बिछे बिस्तेर पे लेट गयी और फिर जगन से अपने चूंची को पीने के लिए बोली. वो अपने दोनो हाथों से अपनी चूंची को साइड पकर कर उठा कर जगन को चूसने के लिए भेंट किया. जगन उन चुचियो को अपने दोनो हाथों से पकर कर दबाने लगा और फिर मसल्ने लगा. देवकी की चूंचिया जगन के हाथों से मसल्ने पर और बरी और करी हो गयी. जगन तब उन चूंचियो को बारी बारी से अपने मूह मे ले कर चाटने और चूसने लगा और देवकी मस्ती से अपने दोनो हाथों से अपनी चूंची उठा कर जगन से चुसवाने लगी. देवकी को मस्ती चढ़ चुकी थी और वो अप'नी दोनो जांघों को आपस मे रगड़ने लगी.
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