RE: Sex Kahani गाओं की मस्ती
अचानक जगन की तंद्रा टूटी और उसकी आँखों के साम'ने पिच्छले कुच्छ महीनों के सीन एक चलचित्रा की तरह घूम'ने लगे........... आज से 6 महीने पह'ले की बात है जब जगन एक 24 साल का एक गठीले बदन का नौजवान जो बीए करके पिच्छ'ले साल ही शहर से गाओं में वापस आया है. गाओं में आते ही ग्राम पंचायत के ऑफीस में उस'की अच्छी नौकरी लग गयी. एक तो पढ़ा लिखा ऊपर से बात व्यवहार का मीठा, सो जल्द ही गाओं में रुत'बे का आद'मी बन गया. जगन की शादी अभी नही हुई थी और इसी लिए वो गाओं की औरत और लड़कियो को घूर घूर कर देखता था. गाओं के कुँवारी लरकियाँ भी जगन को छुप छुप कर देखती थी क्योंकि वो एक तो अभी कुँवारा था और दूसरी तरफ उसका गाओं मे काफ़ी रुतबा था.
जगन इस बात से वाकिफ़ था और बारे इतमीनान से अपने लिए सुन्दर लड़की की तलाश मे था. जगन को नौकरी से काफ़ी आमदनी हो जाती थी और इसलिए उसको पैसे की कोई कमी नही थी. एक दिन जगन को सहर से सरकारी काम ख़तम करके लौट रहा था. वो जब अपने गाओं मे बस से उतरा तो उस समय दुपहर के करीब 1.00 बजा था. ऊन्दिनो गर्मी बहुत पड़ रही थी और मे का महीना था. उस वक़्त कोई भी आदमी अपने घर के बाहर नही रुकता था. इसलिए उस दोपहर के समय सरक काफ़ी सुनसान था और जगन को कोई सवारी गाओं तक मिलने की आशा नही थी. जगन बहादुरी के साथ आप'ने गाओं, जो कि करीब दो काइलामीटर दूर था, पैदल ही चल पड़ा.
वो काफ़ी ज़ोर-ज़ोर से चल रहा था जिससे कि जल्दी से वो अपने घर को पहुँच जाए. जगन चलते चलते गाओं के किनारे तक पहुँच गया. गाओं के किनारे देवकी का आम का बगीचा था जिसके चारों और एक छोटी सी खाई थी. जगन सोचा कि अगर आम के बगीचा के अनदर से जाया जाए तो थोरी से दूरी कम होगी और धूप से भी बचा जा सकेगा. एह सोच कर जगन ने एक छलान्ग से खाई पार की और आम के बगीचे की एक पग डंडी पर चल पड़ा. वो अभी थोरी दूर ही चला होगा कि सामने बगीचा का रखवाला, हरिया, की झोंपरी तक पहुँच गया. उस'ने सोचा कि वो हरिया के घर थोरी देर आराम कर पानी और छछ पी कर अपने घर जाएगा. जगन सोचा रहा था कि वो पहले नहर मे नहाएगा और पानी पिएगा. जगन जैसे ही हरिया की झोपरी के पास पहुँचा तो उसे बर्तन गिरने की आवाज़ सुनने मे आई.
"अरे , साव'धानी बरत, मेरे बर्तनो को मत तोड़," हरिया की आवाज़ सुनाई दिया.
"मॅफ करना हरिया, बर्तन मेरे हाथ से फिसल गया," एक औरत की आवाज़ सुनाई दिया. एह तो बरी अजीब बात है, जगन. सोचा क्यूंकी हरिया की पत्नी का देहांत कई साल पहले हो चूक्का था. अब एह औरत कॉन हो सकती है? जगन सोचने लगा. जगन बहुत उत्सुक हो गया कि एह औरत हरिया के घर मे कौन आई है. वो धीरे धीरे दबे पावं हरिया के घर की तरफ चल परा. वो एक आम के छोटे से पेड़ के पिछे जा कर खरा हो गया और वहाँ से हरिया के घर मे झाँकने लगा. उसने देखा कि हरिया अपने घर मे एक चबूतरे मे बैठ कर अपने आप को पंखा हांक रहा है.
"ओह! कितनी गर्मी है" एह कहते हुए एक औरत अंदर से बाहर आई. जगन उसको देख कर चौंक उठा. वो जगन का खास दोस्त, देव की पत्नी थी और उसका नाम देवकी था. जगन उनके घर कई बार जा चुक्का था. देवकी एक बहुत ही सुंदर और एक सरीफ़ औरत है. देवकी इस समय सिर्फ़ एक सारी पहन रखी थी और उसके साथ ब्लाउस नही पहन रखी थी और अपनी छाती अपने पल्लू से दाख रखी थी. पल्लू के उप्पेर से देवकी की चूंची साफ साफ दिख रही थी, क्योंकी सारी बहुत ही महीन थी. देवकी हरिया के पास आकर बैठ गयी. देवकी चबूतरे के किनारे पर बैठी थी, उसकी एक टांग चबूतरे के नीचे लटक रही थी और एक टांग उसने अपने नीचे मोर रखी थी. इस तरफ बैठने से उसकी सारी काफ़ी उप्पेर उठ चुकी थी और उसकी एक चूतर साफ साफ दिख रही थी.
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