RE: Sex amukta मस्तानी ताई
गतान्क से आगे...............
फिर अपने शरीर की प्यास बुझा के में और ताइजी घर की ओर चल पड़े, घर जा के देखा तो मा और दीदी हमारा खाने के लिए इंतज़ार कर रही थी, हम वहाँ पोहचे हाथ मूह धोया और खाना खाने बैठ गये, खाना खाने के बाद मुझे बड़ी नींद आराही थी, में अपने रूम में सोने चले गया, और बिस्तर पे जाके लेट गया, में ताइजी की गांद मारने के ख़याल से ही बेताब हुआ जा रहा था, मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, में उसे पॅंट के उपर से सहलाने लगा, अब में ताइजी की गांद चाटने के लिए और मारने के लिए तड़प रहा था, मेने अपना लंड बाहर निकाला और उसे सहलाने लगा, मुझे फिर किसी के आने की आवाज़ आई तो मेने तुरंत अपना लंड अंडर किया, और सोने का नाटक करने लगा, देखा तो मा आई थी रूम में, उन्होने मुझे आवाज़ दी बेटा सो गया क्या, मेने नींद में होने का बहाना करते हुआ कहा, कहो मा क्या बात है, वो बोली कुछ नही देख रही थी के सोया के नही, में पलंग पे सोया था, और मा नीचे चटाई बिछा के लेट गयी, वो लेटे लेटे पूछने लगी, के बेटा तुझे यहाँ अछा लगता है के नही, मेने ऐसे दिखाया के में यहाँ उनके और पापा के कहने से रुका हूँ और मुझे यहाँ रुकने में कोई इंटेरेस्ट नही है, में और मा एक दूसरे को देखे बिना ही बात कर रहे थे, तभी मेने साइड की करवट ली और मा की तरफ मुड़ा, और जैसे ही मुड़ा में उन्हे देखता ही रह गया, मा का पल्लू सरक गया था, और उनके बड़े बड़े बूब्स ब्लाउस से बाहर आने के लिए तड़प रहे थे, मुझे एक पल के लिए समझ ही नही आया के क्या हो रहा है, मुझे बड़ा अजीब लगा और अपने आप पे गुस्सा भी आया के में अपनी ही मा के बूब्स देख रहा हूँ, खैर में फिर सीधा होके सो गया और सोचने लगा के किस तरह से मेरी ज़िंदेगी पूरी तरह बदल गयी है गाओं आते ही, और अब मुझे चोदने के सिवाय और कुछ नही सूझ रहा है, पहले तो अपनी ताइजी और आज अपनी मा के बूब्स भी देख लिए, मा इन सब बातों से अंजान थी और वैसे ही लेटे हुए मुझसे बात कर रही थी, मेने बोहत कोशिश की पर अपना ध्यान मा के बूब्स से नही हटा पाया, इसी कशमश में मेरे आँख लग गयी, फिर कुछ देर बाद जब रूम में आवाज़ हुई तो मेरी आँख खुल गयी, मा अपने बॅग में सामान निकल कर कपबोर्ड में रख रही थी, मा की पीठ मेरी तरफ थी, में मा की तरफ गौर से देखा तो पाया के मा का शरीर गथिला था, और वो ताइजी से ज़्यादा फिट भी थी, मा की गांद गोल और भरी हुई थी और चुचियाँ भी बड़ी बड़ी थी, वो अपने काम में लगी हुई थी और में उनकी गांद का नज़ारा कर रहा था, मुझे बोहत अजीब भी लग रहा था और दूसरी तरफ ऐसा करने से मज़ा भी आरहा था, में अपने आप को मा की तरफ देखने से रोक नही पाया इसीलिए में वहाँ से बाहर चले गया, मेने महसूस किया के इन सब ख़यालों से मेरा लंड खड़ा हो रहा था, मेने नीचे आते ही ताइजी को ढूँढा, पर वो कहीं गयी हुई थी, में खेतों की तरफ निकल पड़ा ताकि अपना ध्यान मा की ओर से हटा सकूँ, चलते चलते में पंप हाउस तक पोहच् गया, मेने देखा के पार्वती कपड़े धो रही है, में वहीं खड़ा हो के देखने लगा, उसने अब तक मुझे नही देखा था, में उसे देखने लगा, उसने अपनी सारी घुटनो के उपर तक उठा रखी थी और पल्ला भी ठीक नही था, वो दिखने में इतनी सुंदर नही थी और थोड़ी पतली भी थी, गांद और चुचियाँ भी मा और ताइजी जितनी नही थी, में इतना चूत का पागल हो गया था के मुझे ठीक सी देखने वाली काम वाली की भी चूत चाहिए थी, कुछ दिन पहले मुंबई में अछी अछी लड़कियाँ छोड़ड़ दी थी और अब यहाँ साला गाओं की काम वाली भी मस्त लग रही थी, में कुछ देर खड़ा होके देखने लगा उसका कलर सावला था, वो जब भी कपड़ो पे धोका मारती तो उसकी गांद पीछे से उँची हो जाती, और उसके चुचियाँ घुटनो से दब के बाहर आने की कोशिश करती थी, मेरा बड़ा बुरा हाल था, मुझे चूत किसी भी कीमत पे चाहिए थी, मेने कुछ आवाज़ की, तो उसका ध्यान मेरी तरफ गया, उसने मुझे नमस्ते किया और अपना काम करने लगी, मेरे वहाँ होने पे भी उसने अपने कपड़े ठीक नही किए, वैसे एक बात बताउ दोस्तों गाओं की औरतें बड़ी तेज होती है, में भी बेशरम होके वहीं उसके आगे खड़ा होगया और यहाँ वहाँ देखने लगा, अब में उसके सामने खड़ा हुआ था तो उसकी झांघों के बीच का हिस्सा भी दिख रहा था,
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