Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर
06-21-2017, 11:05 AM,
#10
RE: Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर
उसके बाद जल्द ही राम सोने चला गया और ज्योति भी अपने बदन को अपने पेटीकोट से पोछकर नहाने के लिये चली गयी। वह बाथरूम में फव्वारे के नीचे खड़ी होकर अपने स्तनों और योनि को साफ़ करते अपने साथ दिन भर हुये घटना क्रम को सोच रही थी और फ़िर से उत्तेजित होने लगी थी। उसे पता था कि वह हमेशा से ही इस प्रकार के कठोर और निर्दयतापूर्ण संभोग की इच्छा रखती थी पर वह राम से यह कह नहीं पा रही थी। और अब जब राम ने अंततः उसे यह सुख दिया तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी क्योंकि वह मुझे अपना शरीर समर्पित कर चुकी थी। अब उसके मन में दोनों की चाह और बढ़ गयी थी इसलिये उसने निर्णय लिया कि इन परिस्थितियों का चतुरता पूर्वक उपयोग करके दोनों का उपभोग किया जाय। वह जानती थी कि आज बिस्तर पर राम के बर्ताव के पीछे उसके अनैतिक सम्बन्ध का शक ही है और किसी न किसी रूप में राम भी उसके मेरे साथ सम्बंध को लेकर उत्तेजना महसूस कर रहा था। ज्योति अपने सभी कुकृत्यों को येनकेनप्रकारेण न्यायसंगत बनाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि कभी भी उसने अपने आप को एक चरित्रहीन कामुक कुतिया के रूप में नहीं सोचा था। जबकि सच्चाई इसके विपरीत थी, वह एक कामुक कुतिया से किसी भी मायने में कम नहीं थी।

उसने अपना बदन पोछा फ़िर ब्रा और पैंटी के ऊपर गाउन पहन कर बाहर आ गयी। राम अभी भी अपने झड़े हुये और वीर्य से लिपे-पुते लिंग के साथ अधनंगी अवस्था में सो रहा था। ज्योति ने उसके ऊपर एक चादर डाली और दूसरे कमरे मे चली आयी जहाँ वह अपना मोबाइल भूल गयी थी। उसने मोबाइल पर मेरा एक संदेश देखा, जिसमे लिखा था “उम्मीद है कि सब शान्तिपूर्वक और ठीकठाक निपट गया”। वह पढ़कर थोड़ा मुस्कुराई और मुझे छेड़ने के अन्दाज़ में उत्तर दिया “हाँ सब ठीक है, अभी अभी एक मस्त सत्र ख़त्म हुआ है”। तुरन्त मेरा प्रश्न आया “कौन सा सत्र? प्लीज़ बताओ…”। उसने फ़िर छेड़ते हुये उत्तर दिया “वही उनके साथ लेन देन का सत्र”। मैनें पूछा “मेरे बारे में सोचा?” उसने कहा “नहीं”। पर जैसा कि जानते हैं कि पूरे सत्र के दौरान वह मेरे बारे में ही सोच रही थी। मैनें कहा “ये अच्छी बात नहीं है, रानी। अगली बार अपने पति से संभोग के समय मेरे बारे में जरूर सोचना, तुम्हें और अधिक आनन्द आयेगा जैसा कि आनन्द मुझे आता है जब मैं अपनी पत्नी की लेते हुये तुम्हारे बारे में सोचता हूँ”। यह संदेश पढ़कर ज्योति उत्तेजित हो गयी और पुनः उसकी योनि में खुजली होने लगी। उसे इस बात की अत्यधिक प्रसन्नता हो रही थी कि किस प्रकार से मेरे आने के बाद से उसका यौन जीवन बदल गया था। वास्तव में वह हमेशा से ही अन्दर से एक कामुक स्त्री थी पर कभी खुल न पायी और उसके जीवन में मेरे जैसे ही एक यौनाकर्षक व्यक्ति की आवश्यकता थी जोकि खुलने में सहयता करे।

उसने मुझे और छेड़ते हुये कहा “नहीं, मुझे तुम्हारे बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अपने पति से संतुष्ट हूँ और तुम भी अपनी पत्नी से सन्तुष्ट रहो”। दरअसल उसे मेरी पत्नी की योनि का जिक्र अच्छा नहीं लगा। यह प्यार में डूबी सभी औरतों की फ़ितरत है कि वह चाहतीं हैं कि उनका प्रेमी उनके सिवा किसी और से यौन सम्बन्ध न रखे। मैनें अपने अनुभव से जान लिया कि उसे मेरी यह बात पसन्द नहीं आयी, इसलिये मैनें जवाब लिखा “रानी, आज मैनें तुम्हारे साथ जो अनुभव किया वह पहले जीवन में कभी नहीं किया। तुम्हारा सुन्दर और कोमल शरीर मेरी बाहों में एकदम फ़िट होता है्। इतने दिनों से अपनी पत्नी के साथ तो मैं सिर्फ़ एक रस्म अदायगी ही कर रहा था और जैसे मेरे लंड को तुम्हारा प्यार मिलेगा मैं अपनी पत्नी की योनि की तरफ़ देखना भी बन्द कर दूँगा”। मैनें जानबूझ कर ऐसी भाषा का प्रयोग किया क्योंकि उसकी सारी शर्म ख़त्म करके उसे पूरी तरह से खोलना चाहता था। उसे मेरे ये शब्द थोड़े अजीब से लगे पर इन्हें मजे में लेते हुये वह बोली “नहीं तुम्हें मेरी तभी मिलेगी जब तुम उसकी लेना बन्द कर दोगे। तब तक मुझे दोबारा छूना भी नहीं”। वह झूठ बोल रही थी और उसी समय मेरी बाहों में आने को बेताब थी पर वह मुझे जताना चाहती थी कि वह मुझसे सच्चा प्यार करने लगी है और उसे मेरे अपनी पत्नी के साथ यौन सम्बन्धों से ईर्ष्या हो रही है।

मैनें भी एक सच्चे प्रेमी का नाटक करते हुये कहा “ठीक है, अब जब तक तुम मुझे नहीं कहोगी मैं अपनी पत्नी की नहीं लूँगा। अब प्लीज़ मुझे बताओ कि हम फ़िर से कब मिल सकते हैं।” वह मेरे झूठे उत्तर को पाकर खुश हो गयी और लिखा “मैं कल तुम्हारी दूकान पर आऊँगी १२ बजे के आसपास।” मैने सोचा कि दुकान मे तो उसकी लेना मुश्किल होगा इसलिये मैने लिखा “क्या मैं तुम्हारे घर आ जाऊँ १२ बजे?” उसने तुरन्त उत्तर दिया “नहीं, मैं ही आऊँगी क्योंकि हो सकता है कि वो कल घर पर ही रहें या फ़िर ऑफ़िस से जल्दी लौट आयें”। इसबीच मैं अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लिंग को रगड़ रहा था जोकि ज्योति की योनि की चाहत में तना जा रहा था। ज्योति भी एस एम एस करते हुये अपनी योनि को रगड़ना चाह रही थी। वह शीशे के सामने खड़े होकर मेक-अप कर रही थी और एक दम मौसमी चटर्जी जैसी दिख रही थी। वह जान गयी थी वह अपने कामुक शरीर और मादक अदाओं से किसी भी मर्द को अपना दीवाना बना सकती है। और अब जबकि वह खुल गयी थी उसके लिये मर्दों की कोई कमी नहीं थी बस वह चाहती थी कि सब कुछ सुरक्षित तरह से किया जाय जिससे कि उसके वैवाहिक जीवन बरबाद होने से बच जाय।

तभी उसके दरवाजे की घंटी बजी और वह अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आयी। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि दूधिया है। वह मेक-अप के साथ अपने गाउन में बहुत ही कामुक लग रही थी। दूधवाला एक गुज्जर था, लम्बा चौड़ा डीलडौल और बड़ी-बड़ी मूँछें। उसने पूछा “भैया, आज इतना देर क्यों कर दी?” और दूध का बर्तन लाने के लिये मुड़ी। गुज्जर हमेशा से ही उसे देखा करता था पर आज पहली बार वह उसे बिना बाँह के गाउन में देख रहा था। उसकी आँखों में चमक आ गयी और उसने ज्योति के पूरे शरीर को झीने गाउन में देखने की कोशिश की। उसे देख उसके मुँह में पानी आ गया और उसने अपने होठों पर जीभ फ़िराते हुये बोला “मेमसाहब, मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं थी इसीलिये देर हो गयी”। वह झूठ बोल रहा था क्योंकि वह ज्योति से देर तक बात करते हुये उसे निहारना चाहता था। ज्योति बर्तन लेकर लौटी और दूध लेने के लिये झुकी (क्योंकि वह नीचे बैठा था) और पूछा “क्या हुआ तुम्हारी पत्नी को?” झुकने से पहले उसने अपने गाउन को समेट कर अपने दोनों पैरों के बीच दबा लिया था और झुकने की वजह से उसके क्लीवेज साफ़ नज़र आ रही थी और गहरे गले के ब्लाउज़ मे से ब्रा मे लिपटे दोनों स्तनों के उभार दिख रहे थे। वह दूध डालते हुये उसके उरोजों को निहार रहा था और थोड़ा शर्माते हुये बोला “मेमसाहब, उसे माहवारी में कुछ दिक्कत है”। गुज्जर के इस सीधे जवाब को सुनकर ज्योति का चेहरा लाल हो गया और उसने उसकी आँखों की तरफ़ देखा जो कि उसके गाउन के अन्दर झाँक रहीं थीं। वह और झेंप गयी और बोली “भैया, उसका ध्यान रखा करो और जल्दी करो साहब अन्दर इन्तजार कर रहे हैं”। उसने तुरन्त अपनी आँखें हटाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा “मेमसाहब, जब पत्नी की तबियत खराब हो तो घर पर आदमी को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है” और उठकर जाने लगा। ज्योति अपने बदन पर गुज्जर की नज़र देखकर उत्तेजित हो गयी और उसने सोचा कि कभी कभी उसे अपना थोड़ा बदन दिखाकर उसमें उसकी रुचि को जीवित रखना चाहिये। तबतक मेरा एस एम एस आ गया कि “कल समय से आ जाना और वही गहरे गले वाला पार्टी ब्लाउज़ पहन कर आना”। उसने उत्तर दिया “ठीक है” और मन ही मन में मुस्कुराई और शीशे मे खुद को देखते हुये अपने स्तनों को थोड़ा सा दबाया। उसे पता था कि कल उसके स्तनों और पूरे बदन की ढंग से मालिश होने वाली है और वह भी एकदम मुफ़्त। वह अन्दर से काफ़ी खुले ख़्यालों वाली औरत बन रही थी पर अपने पति, प्रेमी और अन्य सभी लोगों के लिये वह शर्मीली, पुराने ख़यालात वाली भारतीय नारी ही बनी रहना चाहती थी।
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RE: Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर - by sexstories - 06-21-2017, 11:05 AM

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