RE: Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर
मैं फ़िर फ़ीता हटा कर उसके स्तनों को घूरने लगा। मैं उन्हें पकड़ कर मसल देना चाहता था पर बजाय इसके मैने बिना हाथ लगाये उसके निप्पलों को चूसना बेहतर समझा। मैने उसके दाहिने स्तन के निप्पल को अपने मुँह मे लेकर धीरे धीरे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। इससे उसके पूरे शरीर में गुदगुदी की एक कामुक लहर दौड़ गयी पर वह जैसे तैसे सीधे खड़ी रही। वह संभोग से पहले और इस प्रकार की काम क्रियाएं चाहती थी। अभी उसकी शादी को छः महीने ही हुये थे और उसके पति द्वारा भरपूर प्यार और काम इच्छाओं की पूर्ति के बावजूद वह मेरे सामने रति क्रीड़ा के लिये तैयार खड़ी थी। वह ये सब सोचकर वह अपने कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुचने के समय को बढ़ा रही थी पर साथ ही उसके मन में कहीं न कहीं दोष भावना भी आ रही थी। पर अब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैने अपने सामने निर्वस्त्र खड़ी प्यार की इस देवी का स्तनपान जारी रखा और अपने लिंग से उसके गर्भाशय को छूता रहा। अब मैने स्तनपान बन्द करके उसके दोनो स्तनों को अन्ने हाथों मे लिया और धीरे धीरे दबाता हुआ बोला “मैडम, सिर्फ़ दो महीनों में ही इनका आकार एक इंच बढ़ गया है, लगता है कि आपके पति इनकी खूब सेवा कर रहे हैं”। उसने मेरी मसाज़ और बातों का भरपूर आनन्द उठाते हुये सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया। अब मैने उसके निप्पलों को अपनी चुटकी में दबा कर पूरा खींचा। उसके पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी और उसे लगा कि उसकी योनि ने और पानी छोड़ दिया है। अब वह चाहती थी कि मैं अपने लिंग को उसकी योनि में प्रवेश कराऊँ इसलिये उसने अपनी आँखें खोलकर मेरे लिंग की तरफ़ देखा। यह देखकर मैने अपने लिंग को अपने हाथ में लेकर उसे हिलाते हुये उससे पूछा “रानी, तुम्हें ये अच्छा लगता है… हाँ… बोलो तुम्हें अच्छा लगता है”। मैं भी इतना उत्तेजित हो गया था कि मेरी आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी। उसने हाँ बोलकर अपनी आँखें फ़िर से बन्द कर लीं और अपने स्तनों की मसाज़ का आनन्द उठाने लगी। अब मैने अपना हाथ अपने लिंग से हटाकर उसके योनिमुख पर ले गया और दूसरे हाथ से उसके स्तनों की मसाज़ जारी रखी। उसे जन्नत का आनन्द आ रहा था, वह जानती थी कि उसकी काम इच्छाओं की पूर्ति के लिये मैं ही उपयुक्त आदमी हूँ।
तभी अचानक ज्योति का मोबाइल बजा और जिससे दोनों लोग घबड़ा गये। ज्योति ने सम्हलते हुये फ़ोन उठाया और नम्बर देखा। वह मुझसे बोली “वो हैं” और फ़िर राम से बात करने लगी। तब तक मैने उसके पीछे से आकर अपनी बाहों में ले लिया और उसके स्तनों को दबाते हुये उसकी गर्दन को चूमने लगा। वह बोली “राम मैं बस नहाने जाने ही वाली थी कि तुम्हारा फ़ोन आ गया मैने अभी कपड़े नहीं पहने हैं इसलिये ठंड लग रही है, जल्दी बताओ क्या बात है?” यह सुनकर राम भी उत्तेजित हो गया और बोला “ज्योति, आज ऑफ़िस में कोई काम नहीं है मैं सोच रहा था कि घर आ जाऊँ”। ज्योति थोड़ा घबड़ाई पर सामान्य दिखते हुये उसने बोला “राम इतनी शरारती न बनो, मन लगा कर ऑफ़िस में काम करो और अपने निश्चित समह पर ही घर आना। वैसे भी मैं कल की थकी हुयी हूँ और नहाकर सोने जा रही हूँ”। मुझे उनकी सारी बातें सुनाई दे रही थीं। ज्योति का चतुरता पूर्ण उत्तर सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मैने उसके गले पर एक जोरदार चुम्बन लेते हुये उसकी योनि पर भी एक चिंगोटी काट ली। ज्योति अपने आपपर नियंत्रण नहीं रख सकी और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। राम को दोनों आवाजें फ़ोन पर सुनाई दे गयीं, उसने पूछा “क्या हुआ ज्योति?” वह घबड़ा गयी और जल्दी से कोई बहाना सोचने लगी। वह बोली मैं नीचे वहाँ पर पर मरहम लगा रही थी परसों रात की तुम्हारी हरकतों की वजह से मुझे अभी भी वहाँ दर्द हो रहा है”। यह सुनकर राम ने कहा “ज्योति, तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया मैं अभी वापस आ रहा हूँ”। चाल उल्टी पड़ती देख वह तुरंत बोली “नहीं राम, अब ठीक है कोई खास दर्द नहीं है अब, तुम प्लीज़ ऑफ़िस में काम पर ध्यान दो और मुझे नहाने जाने दो, बाय, लव यू”। इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया और राहत की साँस ली। फ़िर से वह विवाहेतर सम्बन्ध में लीन होकर आनन्द लेने लगी। उधर राम यह सोचने लगा कि ज्योति अपना दर्द इसलिये छुपा रही थी ताकि उसका ऑफ़िस न छूटे। अतः उसने वापस घर जाने का निर्णय लिया।
ज्योति मेरी बाँहों में पिघल रही थी और सए इस बात की भनक भी नही थी कि उसका पति वापस घर आ रहा है। पर मुझे मेरा अनुभव बता रहा था कि शायद राम वापस आ जाय इसलिये मैने उससे कहा “ज्योति रानी हो सकता कि तुम्हारे पति को तुन्हारी चिन्ता हो रही हो और इसलिये वह वापस आ रहा हो”। अभी भी मैं उसके स्तनों के साथ खेल रहा था और मेरा तना हुआ लिंग उसके रसीले नितम्बों से छू रहा था। वह अपने होश खो चुकी थी और आँखें बन्द करके मेरे लिंग को अपने नितम्बों पर महसूस करते हुये अपने स्तनों की मसाज़ का मज़ा लेती रही। उसकी तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया न देख मैने उसके कान को धीरे से काटा और बोला “रानी, लगता है कि तुम अपने पति की आँखों के सामने मुझसे संभोग करना चाहती हो”। यह सुनते ही वह होश में आयी और अपनी आँखें खोलकर बोली “बाबू प्लीज़ मुझे जाने दो” पर उसने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया जिससे यह प्रतीत हो कि वह वास्तव में यही चाहती थी।
(क्रमश: …)
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