RE: Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर
वह अपने हाथ में पानी का गिलास ले कर लौटी और मुझे देने के लिये मेरे पास आयी। गिलास लेते समय मैने उसके हाथों को प्यार से सहला दिया। मैं उसके बदन को बड़ी कामुकता से निहारते हुये धीरे धीरे पानी पीने लगा। वह मुस्कुराते हुये इसका आनन्द उठा रही थी और इस बार बिना शर्माये हुये मेरी आँखों को उसके उरोजों और जांघों को निहारते हुये देख रही थी। जब मेरे और ज्योति के बीच यह सब चल रहा था तभी अचानक अल्पना कमरे में आ गयी। उसे देखकर हम दोनों सामान्य हो गये। अल्पना को देखकर मैं उसके प्रति सम्मोहित होने लगा। वह भी ज्योति के समान ही सुन्दर और कामुक थी पर उसका रंग थोड़ा साँवला था। तभी ज्योति ने बोला “दीदी ये मेरा दर्जी है, बाबू”। अल्पना मुझे देखकर थोड़ा मुस्कुराई और मैं नादान बनने की कोशिश करता हुआ वापस मुस्कुराते हुये नीचे देखने लगा। अल्पना बोली “ज्योति मैं पहले तुम्हारे कपड़े देखूँगी कि इसने कैसे सिले हैं अगर मुझे पसंद आते हैं तो मैं भी अपने ब्लाउज़ और सूट इसी से सिलवाउंगी”। यह सुनकर मेरी तो बाँछें खिल गयीं पर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुये मैने एकदम सामान्य दिखने का प्रयास किया और वहाँ से लौट आया।
पार्टी के दौरान सभी पुरुषों की नज़र ज्योति पर थी, वह काले कपड़ों में सभी पर कहर ढा रही थी। झीनी शिफ़ान की साड़ी से उसका गोरा बदन दिख रहा था। उसमे से उसकी क्लीवेज भी दिख रही थी। जब भी उसका पति राम उसे देखता था तो वह सावधानी पूर्वक उसे छुपाने की कोशिश करती थी पर उसे पूरा यकीन नहीं था कि वह राम की नज़रों से बच पायेगी। खासकर आनन्द ज्योति के आसपास ही रहने की कोशिश कर रहा था और मौका मिलते ही उसके बदन को यहाँ वहाँ छू लेता था। वह मेरे द्वारा किये गये उसके शरीर के नेत्रपान और मर्दन के बारे में सोचते हुये उसका आनन्द उठा रही थी। जब तक पार्टी समाप्त हुई सभी लोग थक चुके थे और राम ज्योति के बदन की आग को बिना बुझाये ही सो गया। राम खर्राटे मार कर सो रहा था जबकि ज्योति अभी भी अपने पार्टी के कपड़ों में ही थी। तभी मैने उसे एक एस एम एस भेजा “थिंक आफ़ मी व्हाइल गिविंग इट तो योअर हसबैंड (उसको अपनी देते समय मेरे बारे मे सोचना)”। उसका तुरन्त जवाब आया “वो तो पहले ही सो गये हैं, जितनी जल्दी हो सके मुझसे फ़ोन पर बात करो”। फ़िर उसने दूसरे कमरे में जाकर उसे अन्दर से बन्द कर लिया और बिस्तर पर लेटकर मेरे फ़ोन का इन्तजार करने लगी। जैसे ही फ़ोन बजा वह उसे तुरन्त उठाकर बोली “हाय बाबू”। मैने कहा “रानी, मेरी बहुत याद आ रही है क्या?” उसने केवल “हूम” बोला और अपनी योनि पर हाथ रख कर घर्षण करने लगी। मैने कहा “ठीक है मैं तुम्हें स्खलित होने में मदद करता हूँ”।
मुझसे बातें करते हुये उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। अब वह पूरी तरह से नंगी अपने बिस्तर पर लेटी हुयी थी। उसके एक हाथ में उसका फ़ोन था तो दूसरे हाथ में उसका स्त्रीत्व। उसने अपनी योनि को मसलना जारी रखा और मैं उसे अपने बारे मे याद दिलाकर उसे शीघ्र ही स्खलित होने में मदद करने लगा। उसके हस्तमैथुन के बाद जैसे ही योनि रस बाहर निकला वह भारी साँसों के साथ बोली “बाबू, मै तुमसे कल मिलती हूँ”। मुझे पता था कि ये कामुक गुड़िया मेरी कामुक रखैल बनने को तैयार है। मैं भी हस्तमैथुन से खुद को स्खलित करके सो गया।
(क्रमश: …)
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