RE: Kamukta Kahani लेडीज़ टेलर
ज्योति मैडम मेरी बाँहों में थीं, मैं जानता था कि यदि मैं चतुराई से चाल चलूँ तो यह औरत मुझे बहुत सुख देने वाली है। इसलिये मैने निर्णय लिया कि उसके रसीले बदन का भोग सावधानी और धैर्यपूर्वक किया जाय। उसका चेहरा मेरी छाती पर था और बाँहें मुझे घेरे हुये। मैं धीरे धीरे उसकी पीठ की मालिश कर रहा था, उसके ब्रा के पट्टे का अनुभव कर रहा था, उसकी नंगी रेशमी कमर को छू रहा था और फ़िर मेरे दोनों हाथ उसके भरे पूरे नितम्बों पर पहुँचे। मैं दोनों हाथों से कस कर उन्हें मसलने लगा और अपने पूरी तरह से उत्तेजित लिंग की ओर ढकेलने लगा। उसे भी इस सब में आनंद आ रहा था क्योंकि वह भी अपने बदन को मेरे इशारों पर हिला रही थी। मैं चाहता था कि वो मेरी बाँहों में रहते हुये नज़रों से नज़रें मिलाये इसलिये मैंने उससे कहा “मैडम मैं आपके होंठों का रस पीना चाहता हूँ”। वो कुछ नहीं बोली और अपना चेहरा भी ऊपर नहीं किया सिर्फ़ सिर हिला कर मना कर दिया। दरअसल उसे मुझसे नज़रें मिलाने में बहुत शर्म आ रही थी पर निश्चय ही वह अपनी जांघों के बीच मेरे उत्तेजित लंड के स्पर्श का आनन्द उठा रही थी क्योंकि उसके नित्म्बों से मेरे हाथ हटाने के बावजूद भी उसने मुझसे अलग होने का प्रयत्न नहीं किया। मुझे डर था कि कहीं कोई दूकान में आ न जाय और साथ ही मैं उसकी उत्तेजना शान्त किये बिना उसे अधूरा छोड़ना चाहता था ताकि वह घर जा कर मेरे बारे में सोचे इसलिये मैनें कहा “मैडम कोई आ जायेगा”। पर ये सुनने के बाद भी वह मुझसे अलग होने के लिये तैयार नहीं थी, शर्म और आनन्द दोनों ही कारण थे। अब मैने जबरन अपने दाहिने हाथ से उसका चेहरा ऊपर किया जबकि मेरा बाँया हाथ अभी भी उसके नितम्बों की मालिश में व्यस्त था। उसने अपनी आँखें बन्द कर रखीं थीं। मैनें कहा “ज्योति (पहली बार उसे नाम से बुलाया), अपनी आँखें खोलो”। उसने एक पल के आँखें खोलीं, मुस्कुराई और फ़िर आँखें बन्द कर लीं। मैने अपने बाँयें हाथ की उँगली उसके नितम्बों के बीच की लकीर में डालकर उसके होठों को चूमना शुरु कर दिया। थोड़े से विरोध के बाद उसने अपने होंठ खोल दिये और मुझे अपनी इच्छा से उनका पान करने की छूट दे दी। मैं सातवें आसमान पर था, उसके उरोज मेरे सीने से भींचे हुये थे, मैं उसके होंठों को चूसचूस कर सुखा रहा था और मेरे दोनों हाथ उसकी शिफ़ान की साड़ी के बीच उसकी पीठ के हर भाग को टटोल रहे थे। इसी बीच मेरे हाथ उसकी पैंटी की सीमाओं को महसूस करने लगे। मैने उसकी पैंटी की इलास्टिक को थोड़ा खींचकर उसे यह संकेत दे दिया कि मैं उसके साथ अभी और भी अन्तरंग सम्बन्ध स्थापित करना चाहता हूँ। अब सावधानी बरतते हुये और भविष्य की सम्भावनाओं को जीवित रखने के लिये मैनें उसे अपने आगोश से अलग लिया और उसका चेहरा ऊपर करके उसकी आँखों में देखकर उससे बोला “ज्योति मैं तुम्हारा ब्लाउज़ कल दे दूँगा अब अपना पल्लू ठीक कर लो”। वह पूरी तरह से भूल गयी थी कि वह मेरे सामने बिना पल्लू के और खुले हुये हुक वाले ब्लाउज़ में खड़ी है। उसने झेंपते हुये अपना पल्लू उठाया और जाने लगी, मैनें कहा “मैडम ब्लाउज़ का हुक लगा लीजिये”। वह फ़िर से रुकी और मेरी तरफ़ पीठ करके ब्लाउज़ का हुक लगाने लगी। तभी मैने उसे पीछे से अपनी बाँहों में लेकर बोला “मैडम आप बहुत सुन्दर और कामुक हैं” और इतना कहकर मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा। अभी भी वह कामुकता की आग में जल रही थी। मेरे दोनो हाथ उसकी नाभि से खेलते हुये उसके स्तनों तक पहुँच गये। फ़िर मैं दोनो हाथों से उसके स्तनों को प्यार से दबाने लगा। उसने हल्की सी आह भरी और उत्तेजित होकर अपना सिर ऊपर उठा लिया। जहाँ मेरा बाँया हाथ अभी भी उसके स्तनों को दबाने में व्यस्त था वहीं मैं अपने दाहिने हाथ को उसकी जांघों के बीच ले गया और बोला “मैडम, मैं आपका गीलापन कपड़ों के ऊपर से ही महसूस कर सकता हूँ”। उसने फ़िर एक आह भरी और मेरी उंगलियों पर एक धक्का लगाया। मेरा लिंग उसके नितम्बों से टकरा रहा था, मेरा बाँया हाथ उसके स्तनों की मसाज़ कर रहा था, मेरे होंठ उसकी गर्दन और गालों को चूम रहे थे और मेरा दूसरा हाथ उसकी योनि की मसाज़ कर रहा था; उसके दोनों हाथ काउन्टर पर टिके थे। मैं उससे अभद्र भाषा में बात करना चाहता था तो मैनें सोचा यही ठीक समय है इसे शुरू करने का। मैं बोला “ज्योति, मस्त जवानी है तेरी”। वह चुप रही और मेरे चुम्बनों और मसाज़ का आनन्द उठाती रही। फ़िर मैनें कहा “आज अपने पति से चुदवाते हुये मेरा ख़्याल करना”। यह सुनते ही वह होश में आयी और झटके से मुझसे अलग हो गयी, अपने कपड़े ठीक किये, पर्दा खोला और जल्दी से बिना कुछ बोले वहाँ से चली गयी।
(क्रमश: …)
|