RE: Antarvasnasex चिकनी भाभी
"तुम कितनी अच्छी हो भाभी." मैने खुश हो कर कहा. अब तो भाभी ने खुली छ्छूट दे दी थी. मैं किसी तरह की भी बात भाभी से कर सकता था. लेकिन कुच्छ कर पाने की अब भी हिम्मत नहीं थी. मैं भाभी के दिल में अपने लिए चुदाई की भावना जाग्रत करना चाहता था. भैया को गये अब करीब दो महीने हो चले थे. भाभी के चेहरे पर लंड की प्यास सॉफ ज़ाहिर होती थी.
एक बार सनडे को मैं घर पर था. भाभी कपड़े धो रही थी. मुझे पता था कि भाभी छत पर कपड़े सुखाने जाएगी. मैने सोचा क्यों ना आज फिर भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए जाएँ. पिछले दर्शन 3 महीने पहले हुए थे.
मैं छत पर कुर्सी डाल कर उसी प्रकार तौलिया लपेट कर बैठ गया. जैसे ही भाभी के छत पर आने की आहट सुनाई दी, मैने अपनी टाँगें फैला दी और अख़बार चेहरे के सामने कर लिया. अख़बार के च्छेद में से मैने देखा कि छत पर आते ही भाभी की नज़र मेरे मोटे, लंबे साँप के माफिक लटकते हुए लंड पे गयी. भाभी की साँस तो गले में ही अटक गयी.
उनको तो जैसे साँप सूंघ गया. एक मिनिट तो वो अपनी जगह से हिल नहीं सकी, फिर जल्दी कपड़े सूखने डाल कर नीचे चल दी.
"भाभी कहाँ जा रही हो, आओ थोड़ी देर बैठो." मैने कुर्सी से उठाते हुए कहा. भाभी बोली
"अच्छा आती हूँ. तुम बैठो मैं तो नीचे चटाई डाल कर बैठ जाउन्गि." अब तो मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड के दर्शन जी भर के करना चाहती है.
मैं फिर कुर्सी पर उसी मुद्रा में बैठ गया. थोड़ी देर में भाभी छत पर आई और ऐसी जगह चटाई बिछाई जहाँ से तौलिए के अंदर से पूरा लंड सॉफ दिखाई दे. हाथ में एक नॉवेल था जिसे पढ़ने का बहाना करने लगी लेकिन नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.
8 इंच लंबा और 3-1/2 इंच मोटा लंड और उसके पीछे अमरूद के आकर के बॉल्स लटकते देख उनका तो पसीना ही छ्छूट गया. अपने आप ही उनका हाथ अपनी चूत पर गया और वो उसे अपनी सलवार के उपर से रगड़ने लगी. जी भर के मैने भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए. जब मैं कुर्सी से उठा तो भाभी ने जल्दी से नॉवेल अपने चेहरे के आगे कर लिया, जैसे वो नॉवेल पढ़ने में बड़ी मगन हो.
क्रमशः...............
|