RE: Antarvasnasex चिकनी भाभी
वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और पॅंटी में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुन्दर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी चूतड़ और मोटी जंघें किसी नमर्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी.
ओर फिर वही छ्होटी सी पॅंटी, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी पॅंटी से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग पॅंटी में था. बेचारी पॅंटी भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में पॅंटी से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था.
मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी पॅंटी उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर पॅंटी उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े और गोल-गोल चूतड़ देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.
मेरे मन में सोचा कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेते होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की प्लॅनिंग पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और पॅंटी वहीं ज़मीन पर पड़ी थी.
मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी पॅंटी उठा लाया. मैने उनकी पॅंटी को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झार गया. मैने उस पॅंटी को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे.
लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी पॅंटी गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली…..
"आशु उठ. तू अंदर कैसे आया?"
मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते अंदर आ गया."
"तू कितनी देर से अंदर है?"
"यही कोई एक घंटे से."
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