RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
हमने बहुत देर तक चुदाई की. पहले धीरे धीरे हौले हौले. फ़िर बाद में सर कस के दीदी की मारने लगे. उनके चूतड़ हवा में उछल उछल रहे थे. दीदी कराह रही थी, पर चिल्लाई नहीं, शायद मैडम के डर से. मैं भी सर के साथ साथ ऊपर नीचे होता रहा. मैडम हम दोनों का हौसला बढ़ाते हुए हमारे बाजू में ही बैठी थीं. कभी दीदी को चूमतीं, कभी मुझे.
"बस ऐसे ही सर, बहुत ठीक कर रहे हैं आप. मेरे पास कैमेरा होता तो पिक्चर ले लेती, बहुत बिकता. क्या दिख रही है आपकी ये तिकड़ी सर, एक बड़ा ऊंचा पूरा पुरुष और उसके दोनों और ये चिकने जवान भाई बहन सैंडविच बनाते हुए. लीना मजा आ रहा है ना? आखिर हम दोनों के पास आये हुए स्टूडेंट बनकर तो हमारा तो फ़र्ज़ है तुम्हे पूरा आनंद देना और तुम दोनों का फ़र्ज़ है अपनी मैडम और सर के सुख का खयाल रखना"
सर जब झड़े तो चिल्ला उठे, इतना मजा उन्हें आया कि वे रोक नहीं पाये. आखिर पहली बार किसी और की गांड मारते हुए अपनी गांड चुदाने का ये पहला मौका था. उनके झड़ने के बाद भी मैंने उन्हें नहीं छोड़ा और चिपक कर कस कर मारता रहा. मैडम ने मुझे अलग करने की कोशिश की तो सर हांफ़ते हुए बोले "अरे मजा कर लेने दीजिये उसे मैडम, बहुत मेहनत की है बेचारे ने, बहुत सुख दिया है अपने टीचर को. भगवान भला करे बेटा तेरा, ऐसा ही सुख लेता रह और देता रह."
इस चुदाई के बाद मैडम सब के लिये चाय बना लायीं. दीदी लस्त पड़ी थी, उठ कर बैठ भी नहीं रही थी. उसका मुरझाया चेहरा देख कर मैडम बोलीं "आज तो इस कन्या को निचोड़ लिया पूरा आपने सर"
"हां मैडम, बहुत अच्छा लगा. पर अभी मन नहीं भरा, अभी तो तीन चार घंटे हैं शाम होने में. आज लीना को मैं पूरा भोग लूंगा, जब से इसे देखा है, मन तरस रहा है, आज तो मुराद मिल गयी है मुझे, क्यों लीना बेटी, तुझे अच्छा लगा कि नहीं?"
दीदी बस चुप थी, टुकुर टुकुर सर और मैडम को देखती रही. "अभी वो सकते में है सर, बेचारी तब से अकेले आप को झेल रही है, वैसे इसे बहुत सुख मिला होगा, मैं कहती हूं ना, अब आप आगे शुरू कीजिये जल्दी" मैडम ने सर को कहा.
चाय पीने और नाश्ता करने के बाद सर बोले "अब बेचारी को थोड़ा आराम देंगे"
"याने अब आप इसकी गांड नहीं मारेंगे सर?" मैंने उत्सुकता से पूछा.
मैडम हंस कर बोलीं "क्यों रे तुझे अब जल्दी है क्या? सर से लाड़ करवाना है दीदी जैसा?"
मैं झेंप गया. सर मुझे चूम कर बोले "अरे ये तो मेरा लाड़ला है. पर बेटे, तूने तो मजा ले लिया पिछले दो दिन, अब दीदी को लेने दे. मेरा मतलब ये है कि अब इसपर चढ़ूंगा नहीं, गोद में बिठाऊंगा. आ जा लीना"
दीदी किसी तरह उठी और सर की गोद में बैठने लगी. "ऐसे नहीं मेरी रानी, ये खूंटा तो भिदवा ले अपने बदन में" कहकर सर ने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा और थोड़ा सा अंदर कर दिया. "अब बैठ जा"
दीदी सिसक कर बोली "मैडम दुखता है"
"अरे इतनी देर से गांड मरवा रही है अब भी लेने में डरती है? फ़िकर मत कर, मैं मदद करती हूं" कहकर मैडम ने दीदी के कंधे पकड़े और जोर से सर की गोद में उसे बिठा दिया. लंड गप्प से दीदी के चूतड़ों के बाच ढंस गया और दीदी धम्म से सर की गोद में बैठ गयी. वो चीखती इसके मैडम ने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया.
"तू इधर आ अनिल, मेरे पास बैठ" कहकर सर ने मुझे पास बिठा लिया और मेरा चुम्मा लेने लगे. फ़िर मेरा मुंह चूसते चूसते ऊपर नीचे होकर गोद में बैठी दीदी की गांड मारने लगे. मैडम तुरंत हमारे सामने नीचे बैठ गयीं और दीदी की बुर से मुंह लगा दिया. एक दो बार चाटकर सिर उठाकर बोलीं "सर मैं कहती थी ना कि छोकरी को मजा आ रहा है. ये देखिये इसके बदन से तो रस की धार बह रही है, भले ये बिलख रही हो पर ये लड़कियां तो ऐसा नखरा करती ही हैं. आप शुरू हो जाइये"
उस दिन पूरे दिन ऐसी ही चुदाई चलती रही. दीदी की गांड में सर का लंड दिन भर रहा. कई आसनों में चुदाई की गयी, आखिर में सर ने दीदी को दीवार से सटा कर खड़ा किया और मारने लगे. दीदी तो बेहोश सी ही थी, उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. मैडम बोलीं ’लीना अब पस्त हो गयी है सर, अब इस लिटा कर मारिये, देखिये ना गिरने को है"
"आप चिंता न कीजिये मैडम, नहीं गिरेगी, मेरे खूंटे से जो टंगी है, ये देखिये" कहकर सर ने दीदी के बदन से अपने हाथ हटा लिया. दीदी वैसी की वैसे रही. उसके पैर हवा में झूल रहे थे, बस सर के लंड से टंगी हुई थी.
क्रमशः। ...........................
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