RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैडम ने जीभ अंदर डाल कर दीदी का गुदा साफ़ किया और फ़िर से उसमें थोड़ा मख्खन भर दिया. फ़िर सर को पकड़कर उन्हें खींच कर मुझसे अलग किया "चलो अब फ़िर से शुरू हो गये, इस लड़के को तो तुम ऐसे चिपटते हो कि आज का अपना काम भी भूल जाते हो."
"नहीं ऐसी बात नहीं है मैडम, आज तो बस लीना की गांड है और मैं हूं. असल में ये दोनों भाई बहन इतने प्यारे हं कि समझ में नहीं आता कि किस पर चढ़ूं और किसे छोड़ूं" सर उठकर दीदी के पास जाते हुए बोले.
"ठीक है सर. अब आप अपनी घोड़ी की सवारी फ़िर शुरू कीजिये, अब मैं आप को डबल मजा दिलाती हूं."
सर फ़िर दीदी पर चढ़ गये और उसकी गांड में अपना लंड उतार दिया. इस बार बस पांच मिनिट भी नहीं लगे. दीदी जरूर छटपटाई पर उसकी बोलती अब भी बंद थी, मुंह में सर की चप्पल जो थी.
"लीना, अब तेरे मुंह की चप्पल निकाल देती हूं. अगर चिल्लायी तो फ़िर ठूंस दूंगी. और इस बार पूरी अंदर तक डाल दूंगी, समझी ना? इतनी अच्छी प्यारी मस्त चुदैल छोकरी है, अब जरा नखरा छोड़ और सर को भी मजा लेने दे और खुद भी ले, सर जैसे लंड से गांड मराने का मौका किस्मत से मिलता है" मैडम ने मीठी फ़टकार लगायी.
दीदी के मंह से चप्पल निकली तो वो एक दो बार खांसी और फ़िर चुप हो गयी. "क्यों लीना बेटी, दर्द होता है?" सर ने प्यार से पूछा.
"हां सर" दीदी ने मुरझाये स्वर में कहा.
"अच्छी बात है, यह तो गवाही है तेरे कुंवारे बदन की. वैसे ऐसे खेलों में दर्द होने से भी मजा आता है, कम से कम दर्द देने वाले को जैसे मैं. मैंने तुझे बहुत सुख दिया था ना? बोल? मुझसे चुदने में मजा आता है ना?" सर ने पूछा.
"हां सर"
"तो दर्द भी सहन करना सीख. चिल्लायेगी नहीं तो हाथ पैर भी खोल दूंगा" कहकर सर शुरू हो गये. बड़े प्यार से हौले हौले वे दीदी के चूतड़ों के बीच अपना लंड अंदर बाहर करने लगे. दीदी थोड़ी सिसकी पर चुप रही.
"चलो. ये ठीक हुआ. अब जरा रुको" मैडम ने कहा और मेरे हाथ पैर खोल दिये. मेरे मुंह से चप्पल भी निकाल दी.
"चप्पल रहने दीजिये ना मैडम!" मैंने गुहार की. "बहुत अच्छी है, मुलायम और सौंधी सौंधी"
"अरे मेरे चप्पल के गुलाम, बाद में चाट लेना, कहीं भागी जा रही है क्या? मेरी और सर की ठीक से सेवा करेगा तो दे दूंगी तुझे, घर ले जाना और मन भर के चाटा करना. अब इधर आ और ये देख अपने सर का माल" मैडम ने सर की गांड पर हाथ रखकर कहा.
मैंने भी सर के गोरे कसे चूतड़ सहलाये.
"अच्छे हैं? वैसे तूने तो पहले भी इनका मजा लिया था" मैडम ने पूछा.
"हां मैडम, बहुत अच्छी गांड है सर की, मारने में मजा आया था"
"चल अब फ़िर मार. मैं मख्खन लगा देती हूं. पिछली बार तेल लगाया था ना? मख्खन से और मस्त सटकता है." मैडम ने मेरे लंड और सर के छेद में मख्खन चुपड़ा.
"मान गया मैडम आपको. आप कितना खयाल रखती हैं मेरा. ये तो कब से मेरे मन में था" सर अपने चूतड़ थोड़े हिलाकर बोले.
"अब लड़की के साथ साथ एक लड़का भी स्टूडेंट मिला है सर, इसका फ़ायदा तो लेना ही चाहिये. चल अनिल, आज सर को खुश कर दे"
मैडम बाजू में हटीं और मैं सर पर चढ़ गया. एक बार में आधा लंड गाड़ दिया उनकी गांड में. फ़िर पूरा पेला और उनपर सो गया.
"वाह मजा आ गया मेरे बेटे. अब मार मेरी. मैडम बहुत मस्त खड़ा है इसका, क्या बात है. डबल मजा आ गया. बस झड़ना नहीं मेरे शेर, बहुत देर मारना. समझ ले तू जब तक मेरी मारेगा तब तक मैं तेरी दीदी की कस के लूंगा. अब तू अगर चाहता है कि तेरी दीदी खूब लुत्फ़ उठाये अपनी गांड मरवाने का, तो तू मुझे वैसे ही चोद जैसे दीदी को चुदवाना चाहता है" सर दीदी की गांड में लंड पेलते हुए बोले.
मैं सर की गांड मारने लगा. लंड मस्त खड़ा था, मख्खन से फ़िसल भी मस्त रहा था.
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