RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-17
गतांक से आगे..............................
मैडम ने जोर लगा कर दीदी के मुंह में फ़िर सर की चप्पल ठूंस दी, फ़िर उसे जगाने में जुट गयीं. "लीना उठ ना, आंखें खोल, देख तेरे सर कितना प्यार करते हैं तुझ को. बोले कि बेचारी के होश में आने के बाद ही पूरा लंड डालूंगा नहीं तो तू बुरा मान जायेगी कि सर ने अकेले में मजा ले लिया.
दीदी को होश आ गया. जब वह हिलने डुलने लगी तो मैडम ने सर को आंख मारी. सर ने कहा "बस अब एक बार में पेल दूंगा, डर मत लीना, मैं जानता हूं कि तू मुझसे नाराज है कि क्या सर धीरे धीरे पुकुर पुकुर कर रहे हैं. तेरे जैसी चुदैल छोकरी तो एक साथ लेने को मरी जा रही होगी. ले मेरी रानी" करके सर ने लीना दीदी के चूतड़ पकड़े और घच्च से एक बार में अपना मूसल अंदर कर दिया और दीदी पर लेट गये.
दीदी अब ऐसी तड़पी कि किसी ने गला दबा दिया हो. कस के अपने बंधे हाथ पैर फ़कने की कोशिश करने लगी. उसका सिर अब किसी हलाल होते बकरे जैसा इधर उधर हो रहा था. मैडम ने अपना हाथ उसके पेट के नीचे डाला और टटोल कर देखा "सर, इसकी तो छाती तक घुस गया है लगता है, देखिये पेट के ऊपर कैसा सुपाड़े का आकार महसूस हो रहा है"
"मैडम, ये लंड तो बना ही है ऐसे सुंदर स्टूडेंट्स की सेवा के लिये. उनके बदन में गहरा घुसता है तो बड़ा सुकून मिलता है" कहकर सर लीना के बाल चूमने लगे. मैडम ने दीदी के बदन को छोड़ा और मुझपर चढ़ गयीं और मेरा लंड चूत में लेकर मुझे चोदने लगीं. "मेरा काम हो गया सर. बस अब आप हैं और आप की शिष्या है. क्यों रे अनिल, मजा आया?" कहकर लाड़ से मैडम मेरे चेहरे पर अपने तलवे रगड़ते हुए बोलीं. वे अपनी ऐड़ी से मेरे मुंह में अपनी चप्पल अब और अंदर घुसा रही थीं.
मेरा हाल बेहाल था. मैं स्वर्ग में था, लंड ऐसी तना था कि जैसे सितार के तार. आंखों से मैंने मैडम को कहा कि मैडम, बहुत अच्छा लगा और कमर उचकार कर उन्हें नीचे से चोदने लगा. मैडम मुस्कराते हुए बोलीं "और मजा ले अनिल, अभी नहीं छोड़ूंगी तुझे, अभी तो सर का एक काम करवाना है मुझे तुझसे"
सर ने अब दीदी के बदन को बांहों में भर लिया था और अपनी टांगें दीदी की कमर के आस पास कस ली थी. दीदी की गांड को अब वे बुरी तरह से चोद रहे थे, जैसे घोड़ी की सवारी कर रहे हों. थोड़ी ही देर में दीदी की मख्खन भरी गांड से ’फ़च’ ’फ़च’ ’फ़च’ आवाज आने लगी.
"कैसा लग रहा है सर? स्वाद ले लेकर चोदिये जरा. जल्दबाजी मत कीजिये" मैडम अपना हाथ चौधरी सर की पीठ पर फ़ेरते हुए बोलीं.
सर बोलने की स्थिति में नहीं थे. उनकी आंखें खुमारी से लाल हो गयी थीं. "ओह ... ओह ... ये तो जन्नत है ... स्वर्ग है मैडम .... आह .... अं ... अं ... ओह" कहते हुए सर दीदी की गांड पूरे जोर से मार रहे थे. उनकी स्पीड देखकर नहीं लगता था कि वे ज्यादा देर टिकेंगे. ऐसा ही हुआ. ’आह .... ओह .... आह .... आह" कहते हुए वे अचानक झड़ गये और दीदी के बालों को बुरी तरह चूमने लगे.
मैडम मुस्करा दीं और मुझे बोलीं "देखा तेरी दीदी की करामत? सर जैसे पक्के चोदू भी नहीं टिक पाये. कल मुझसे बोल रहे थे कि घंटे भर चोदेंगे"
सर हांफ़ते हुए पड़े रहे. फ़िर संभलने पर बोले "कोई बात नहीं मैडम, ये तो शुरुआत है. आज तो दिन भर लीना की लूंगा मैं. ये देखिये मेरा लंड भी बस ढोंग कर रहा है, बस जरा सा थक गया है" उन्होंने अपना लंड आधा बाहर खींच कर दिखाया. वो अब ही काफ़ी तना हुआ था.
"निकाल लीजिये सर. बहुत रसीला लग रहा है. अनिल को देखिये. बेचारा कैसे ललचा कर देख रहा है. क्यों रे अनिल?" मैडम ने मेरे गाल को अपने पैर के अंगूठे से कुरेदते हुए पूछा. मैंने जोर से मुंडी हिलाई.
सर ने लंड पुक्क से बाहर खींच लिया. उसपर मख्खन और उनके वीर्य का झाग लगा था. मैडम ने मेरी मुंह से अपनी चप्पल निकाली और उठ बैठीं "बहुत हो गया मैडम की चरण पूजा. अनिल, अब तू ये मिठाई चाट ले, मैं भी तो जरा देखूं मेरी प्यारी गुड़िया का हाल"
सर मेरे पास आकर बैठे और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया. उधर मैडम ने जाकर दीदी के चूतड़ खींच कर फ़ैलाये और बोली "वाह सर, आपने एकदम चौड़ा कर दिया मेरी गुड़िया को. कैसी छोटी सी थी इसकी ये म्यान, अब देखिये, मुंह बा कर कैसे तैयार है. फ़टी तो नहीं?" कहकर वे दीदी के गुदा को उंगली से हौले हौले टटोलने लगीं.
मेरे सिर को अपने पेट पर सटाकर सर बोले "अरे नहीं मैडम, ऐसे सुंदर छेद तो कोई फ़ाड़ता है क्या? बचा कर रखी है मैंने, तभी तो धीरे धीरे कर रहा था शुरू में, आप ही जल्दी कर रही थीं. लगता है आप ही चाहती थीं कि लीना की फ़ट जाये"
"नहीं सर, मैं क्यों चाहूंगी पर कुछ भी कहिये, जब आपने रीता की फ़ाड़ी थी तब भी बहुत मजा आया था देखने में. वैसे वो लड़की भी बदमाश थी, मुंहफ़ट भी थी, जबरदस्ती करना पड़ी थी, हाथ नहीं लगाने देती थी. आप ने उसकी पूरी खोल दी, बाद में कैसी डरती थी वो, साल भर मरवाती रही पर चूं नहीं की उसने. ये दोनों तो बहुत प्यारे हैं, खुद ही कैसे आ गये हमारी सेवा करने को. इनसे जबरदस्ती का क्या काम" मैडम झुकीं और दीदी की गांड चाटने लगीं.
सर का फ़िर से जोर से खड़ा हो गया था और मेरे गले तक उतर गया था. वे आगे पीछे होकर मेरे गले को चोद रहे थे. मैं भी मस्ती से चूस रहा था कि सर और का माल मिल जाये.
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