RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
"शाबास बेटे, अब तू पूरा तैयार हो गया है, देखा जरा सा भी नहीं चिल्लाया मेरा लंड लेने में. कमर दुखती है क्या ऐसे टांगें मोड़ कर?"
"हां सर" मैंने कबूल किया.
"पहली बार है ना! आदत हो जायेगी. ये आसन बड़ा अच्छा है कमर के लिये, योगासन जैसा ही है. तेरी कमर लड़कियों से ज्यादा लचीली हो जायेगी देखना. अब ये ले पूरा ...." कहकर उन्होंने सधा हुआ जोर लगाया और लंड जड़ तक मेरे चूतड़ों के बीच उतार दिया. एक दो बार वैसे ही उन्होंने लंड अंदर बाहर किया और फ़िर सामने से मेरे ऊपर लेट गये.
"हाय ... सर ...कितना प्यार लग रहा है अनिल इसी हालत में, इसके बाल लंबे कर दो तो कोई कहेगा नहीं इस हाल में कि लड़का है. अनिल, अपनी टांगों से सर के बदन को पकड़ ले बेटे" मैडम लस्त पड़ी दीदी की टांगों को फ़ैलाकर उनके बीच अपना मुंह डालते हुए बोलीं.
मैंने थोड़ा ऊपर उठकर सर की पीठ को बांहों में भींच लिया और अपने पैर उनकी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिये. बहुत अच्छा लग रहा था सर के सुडौल बदन से ऐसे आगे से चिपटकर. मेरा लंड उनके पेट और मेरे पेट के बीच दब गया था.
सर ने प्यार से मुझे चूमा और चोदने लगे. "अच्छा लग रहा है अनिल? या तुझे अनू कहूं. अनिल, थोड़ी देर को समझ ले कि तू लड़की है और चूत चुदा रही है" फ़िर मेरे गाल और आंखें चूमने लगे. वे मुझे हौले हौले चोद रहे थे, बस दो तीन इंच लंड बाहर निकालते और फ़िर अंदर पेलते.
कुछ देर मैं पड़ा पड़ा चुपचाप गांड चुदवाता रहा. फ़िर कमर का दर्द कम हुआ और मेरी गांड ऐसी खिल उठी जैसे मस्ती में पागल कोई चूत. गांड के अंदर मुझे बड़ी मीठी मीठी कसक हो रही थी. जब सर का सुपाड़ा मेरी गांड की नली को घिसता तो मेरी नस नस में सिहरन दौड़ उठती. मेरा लंड भी मस्ती में था, बहुत मीठी मीठी चुभन हो रही थी. मुझे लगा कि लड़कियों के क्लिट में कुछ ऐसा ही लगता होगा.
सर पर मुझे खूब प्यार आने लगा वैसा ही जैसे किसी लड़की को अपने आशिक से चुदवाने में आता होगा. मैंने उन्हें जम के अपनी बांहों में भींचा और बेतहाशा उन्हें चूमने लगा "सर .... मेरे अच्छे सर .... बहुत अच्छा लग रहा है सर..... चोदिये ना .... कस के चोदिये ना .... फ़ाड दीजिये मेरी गां .... चूत .... मेरी चूत को ढीला कर दीजिये सर ..... ओह सर ... आप अब जो कहेंगे मैं ... करूंगा सर .... आप .... आप मेरे भगवान हैं सर ....सर मैं आप को बहुत प्यार करता हूं सर .... सर .... आप को मैं अच्छा लगता हूं ना सर" और कमर उछाल उछाल कर मैं अपनी गांड में सर के लंड को जितना हो सकता है उतना लेने की कोशिश करने लगा.
सर मुझे चूम कर मेरी गांड में लंड पेलते हुए बोले "हां अनू रानी, मैं तुझे प्यार करता हूं. बहुत प्यारी है तू. तूने मुझे बहुत सुख दिया है. अब आगे देखना कि किस तरह से मैं तुझे और तेरी दीदी को चोदूंगा."
सर ने मुझे खूब देर चोदा. हचक हचक कर धक्के लगाये और मेरी कमर करीब करीब तोड़ दी. मैडम दीदी की बुर चूसती रहीं और अपनी बुर में उंगली करके हमारी रति देख कर मजा लेती रहीं. बीच बीच में मेरे गाल सहला कर शाबासी देती जातीं "बहुत अच्छा चुदा रहा .... सॉरी सर.... चुदा रही है तू अनू बेटी."
फ़िर बोलीं "सर ... कल एक खेल करते हैं. अनिल को लड़की और लीना को लड़का बनाते हैं. अरे पर कल तो रविवार है"
"हम लोग आ जायेंगे मैडम" मैंने और लीना ने एक आवाज में कहा.
"नहीं, आराम करो जरा. आराम करोगे तो सोमवार को और मजा आयेगा."
सर मेरी गांड में लंड पेलते हुए बोले "बहुत .... अच्छा .... खयाल .... है .... मैडम. आप तैयारी कर लीजियेगा. वो आपकी .... पैडेड ब्रा .... है .... ना ... वो निकाल ... कर रखिये .... और बालों का ... वो क्या ..... करेंगीं मैडम"
"आप फ़िकर मत कीजिये सर ... मैं विग ले आऊंगी आज शाम को. वो डिल्डो तो है ना जो हम रोज यूज़ करते हैं?" मैडम ने पूछा.
"हां .... यहीं .... रखा है .... इन तीन .... दिनों में .... जरूरत ... ही नहीं .... पड़ी .... देखिये .... ये बच्चे .... इतने होशियार .... निकले ...... ओह .... ओह .... अनू रानी .... अनिल राजा ..." और चौधरी सर भलभला कर झड़ गये. मैं कमर चलाता रहा क्योंकि मेरा लंड पागल सा हो गया था.
सर ने लंड मेरी गांड से निकाला और प्यार से मेरे मुंह में दे दिया "ले अनू रानी .... ऐश कर ... मेहनत का फ़ल चख"
मैडम ने मेरी गांड के छेद पर उंगली फ़िरायी "सर, आप ने तो इसकी गुफ़ा बना दी एक दिन में"
"छेद हो जायेगा फ़िर छोटा मैडम, आखिर जवान लड़का है" सर लेट कर सुस्ताते हुए बोले.
मैडम मेरे लंड को सहलाती हुई बोलीं. "इसे देखिये सर, है जरा सा और नुन्नी भर है पर ये कैसे कसमसा रहा है जैसे मजा आ रहा हो, क्यों रे अनिल, अच्छा लगता है?"
"हां मैडम, बहुत मीठा लग रहा है लंड में" मैं मैडम का हाथ पकड़कर अपने लंड पर और जोर से घिसने की कोशिश करते हुए बोला.
"मैडम. ऐसा होता है .... जब ज्यादा गांड मार ली जाये तो ऐसा ही होता है, लंड खड़ा नहीं होता पर मजा बहुत आता है. माल मिलेगा इसमें से. आप का मूड है या मैं चूस लूं"
पर मैडम कहां छोड़ने वाली थीं. झट से मेरी नुन्नी मुंह में ली और चूस डाली. मुझे इतना मजा आ रहा था कि समझ में नहीं आया क्या करूं. नजर सर की चप्पल पर पड़ी तो बिना सोचे समझे हाथ बड़ाकर चप्पल उठा ली और मुंह में ले कर चूसने चाटने लगा. सर प्यार से देखकर मुस्कराते रहे. अपने हाथ में उन्होंने अपनी दूसरी चप्पल ले ली और मेरे गालों और आंखों पर फ़ेरने लगे.
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