RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
सर ने खड़े खड़े मेरी दस मिनिट तक मारी. उनका लंड एकदम सख्त था. मुझे अचरज हो रहा था कि कैसे वे झड़े नहीं. बीच में वे रुक जाते और फ़िर कस के लंड पेलते. मेरी गांड में से ’फ़च’ ’फ़च’ ’फ़च’ की आवाज आ रही थी.
फ़िर सर रुक गये. बोले "थक गया बेटे? चल थोड़ा सुस्ता ले, आ मेरी गोद में बैठ जा. ये है तीसरा आसन ,आराम से प्यार से चूमाचाटी करते हुए करने वाला" कहकर वे मुझे गोद में लेकर सोफ़े पर बैठ गये. लंड अब भी मेरी गांड में धंसा था.
मुझे बांहों में लेकर सर चूमा चाटी करने लगे. मैं भी मस्ती में था, उनके गले में बांहें डाल कर उनका मुंह चूमने लगा और जीभ चूसने लगा. सर धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अपना लंड नीचे से मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगे.
उधर दीदी और मैडम अब लेट कर एक दूसरे की बुर चूस रही थीं और लेटे लेटे हमारी ओर देख रही थीं. खास कर दीदी तो एकदम मस्ती में थी, मैडम के सिर को अपनी टांगों में दबाकर पैर फटकार रही थी.
पांच मिनिट आराम करके सर बोले "चल अनिल, अब मुझसे भी नहीं रहा जाता, क्या करूं, तेरी गांड है ही इतनी लाजवाब, देख कैसे प्यार से मेरे लंड को कस के जकड़े हुए है, आ जा, इसे अब खुश कर दूं, बेचारी मरवाने को बेताब हो रहा है, है ना?"
मैं बोला "हां सर" मेरी गांड अपने आप बार बार सिकुड़ कर सर के लंड को गाय के थन जैसा दुह रही थी.
"चलो, उस दीवार से सट कर खड़े हो जाओ" सर मुझे चला कर दीवार तक ले गये. चलते समय उनका लंड मेरी गांड में रोल हो रहा था. मुझे दीवार से सटा कर सर ने खड़े खड़े मेरी मारना शुरू कर दी. अब वे अच्छे लंबे स्ट्रोक लगा रहे थे, दे दनादन दे दनादन उनका लंड मेरे चूतड़ों के बीच अंदर बाहर हो रहा था.
थोड़ी देर में उनकी सांस जोर से चलने लगी. उन्होंने अपने हाथ मेरे कंधे पर जमा दिये और मुझे दीवार पर दबा कर कस कस के मेरी गांड चोदने लगे. मेरी गांड अब ’पचाक’ पचाक’ ’पचाक’ की आवाज कर रही थी. दीवार पर बदन दबने से मुझे दर्द हो रहा था पर सर को इतना मजा आ रहा था कि मैंने मुंह बंद रखा और चुपचाप मरवाता रहा. चौधरी सर एकाएक झड़ गये और ’ओह ... ओह ... अं ... आह ...." करते हुए मुझसे चिपट गये. उनका लंड किसी जानवर जैसा मेरी गांड में उछल रहा था. सर हांफ़ते हांफ़ते खड़े रहे और मुझपर टिक कर मेरे बाल चूमने लगे.
पूरा झड़ कर जब लंड सिकुड़ गया तो सर ने लंड बाहर निकाला. फ़िर मुझे खींच कर बिस्तर तक लाये और मुझे बांहों में लेकर लेट गये और चूमने लगे "अनिल बेटे, बहुत सुख दिया तूने आज मुझे, बहुत दिनों में मुझे इतनी मतवाली कुवारी गांड मारने मिली है, आज तो दावत हो गयी मेरे लिये. मेरा आशिर्वाद है तुझे कि तू हमेशा सुख पायेगा, इस क्रिया में मेरे से ज्यादा आगे जायेगा. तुझे मजा आया? दर्द तो नहीं हुआ ज्यादा?"
सर के लाड़ से मेरा मन गदगद हो गया. मैं उनसे चिपट कर बोला "सर .... बहुत मजा आया सर .... दर्द हुआ .... आप का बहुत बड़ा है सर ... लग रहा था कि गांड फ़ट जायेगी ... फ़िर भी बहुत मजा आ रहा था सर"
सर ने मेरे गुदा को सहलाकर कहा "देख, कैसे मस्त खुल गया है तेरा छेद, अब तकलीफ़ नहीं होगी तुझे, मजे से मरवायेगा. अब तू कुंवारा नहीं है" फ़िर मेरा लंड पकड़कर बोले "मजा आ रहा है?"
"सर .... अब नहीं रहा जाता प्लीज़ .... मर जाऊंगा .... अब .... अब कुछ करने दीजिये सर" कमर हिला हिला कर सर के हाथ में अपना लंड आगे पीछे करता हुआ मैं बोला.
"हां बात तो सच है ... तू ज्यादा देर नहीं टिकेगा अब. बोल चुसवायेगा या ..... चोदेगा?"
"सर चोदूंगा .... हचक हचक के चोदूंगा" मैं मचल कर बोला.
"मैडम या दीदी को बुलाऊं .... या ...." सर कनखियों से मेरी ओर देखते हुए बोले. वे अब पलट गये थे और उनकी भरे पूरे चूतड़ मेरे सामने थे. मेरी नजर उनपर गड़ी थी.
"सर ... अगर आप ... नाराज न हों तो ... सर ...." मैं धीरे से बोला.
"हां हां ... कहो मेरे बच्चे ... घबराओ मत" सर मुझे पुचकार कर बोले.
"सर .... आप की गांड मारने का जी हो रहा है"
सर हंस कर बोले "अरे तो दिल खोल कर बोल ना, डरता क्यों है? यही तो मैं सुनना चाहता था. वैसे मेरी गांड तेरे जितनी नाजुक नहीं है"
"सर बहुत मस्त है सर ... मोटी मोटी ... गठी हुई ... मांसल ... प्लीज़ सर"
"तो आ जा. पर एक शर्त है. दो तीन मिनिट में नहीं झड़ना, जरा मस्ती ले ले कर दस मिनिट मारना. मुझे भी तो मजा लेने दे जरा. ठीक है ना? समझ ले यही तेरा एग्ज़ाम है, दस मिनिट मारेगा तो पास नहीं तो फ़ेल" सर बोले.
"हां सर .... मेरा बस चले तो घंटा भर मारूं सर" सर के चूतड़ों को पकड़कर मैं बोला.
वे मुस्कराये और पेट के बल लेट गये. "थोड़ी उंगली कर पहले, तेल लगा ले. मजा आता है उंगली करवाने में"
मैंने उंगली पर तेल लिया और सर की गांड में डाल दिया. गरम गरम मुलायम गांड थी चौधरी सर की. मैं उंगली इधर उधर घुमाने लगा "हां .... ऐसे ही ... जरा गहरे .... वो बाजू में .... हां बस ... ऐसे ही ..." सर गुनगुना उठे. मैंने दो तीन मिनिट और उंगली की पर फ़िर रहा नहीं गया, झट से सर पर चढ़कर उनकी गांड में लंड फ़ंसाया और पेल दिया. लंड आसानी से अंदर चला गया.
"अच्छी है ना? तेरे जितनी अच्छी तो नहीं होगी, तू तो एकदम कली जैसा है" सर बोले.
"नहीं सर, बहुत अच्छा लग रहा है ... ओह .... आह" मेरे मुंह से निकल गया, सर ने गुदा सिकोड़कर मेरे लंड को कस के पकड़ लिया था.
"अब मार ... कस के मारना, धीरे धीरे की कोई जरूरत नहीं है" सर कमर हिला कर बोले.
मैं सर की मारने लगा. पहले वैसे ही झुक कर बैठे बैठे मारी पर फ़िर उनपर लेट गया और उनके बदन से चिपट कर मारने लगा. सर की चौड़ी पीठ मेरे मुंह के सामने थी, उसे चूमता हुआ मैं जोर जोर से चोदने लगा. उतना ही मजा आ रहा था कि जैसा मैडम को चोदते समय आया था. मेरी सांस चलने लगी तो सर डांट कर बोले "संभाल के ... संभाल के ... फ़ेल हो जायेगा तो आज उसी बेंत से मार खायेगा"
मैं रुक गया और फ़िर संभलने के बाद फ़िर से सर को चोदने लगा. सर भी मूड में थे. अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रहे थे "ऐसे ही अनिल .... बहुत अच्छे ..... लगा धक्का जोर से .... गांड मारते समय कस के मारनी चाहिये .... ऐसे नहीं जैसे नयी दुल्हन को हौले हौले चोद रहा हो ... ऐर चोदना चाहिये जैसे किसी रंडी को पैसे वसूल करने के लिये चोदते हैं ... समझा ना? ....अरे तेरी दीदी को भी मजा आता है ना कस के चुदवाने में? ..... फ़िर मार जोर से ..... हां .... बहुत मस्त मार रहा है तू" मेरे हाथ पकड़कर उन्होंने अपनी छाती पर रख लिये. मैं इशारा समझ कर उनके निपल मसलता हुआ उनकी गांड मारने लगा. बीच में हाथ से मैंने उनका लंड पकड़ा तो वो फ़िर से सख्त हो गया था.
किसी तरह मैंने दस मिनिट निकाले. फ़िर बोला "सर ... प्लीज़ सर ... अब ..."
सर बोले "ठीक है, पहली बार है उसके हिसाब से अच्छा किया है तूने. पर आगे याद रखना. अपने सर की सेवा ठीक से करना. तेरे सर की ये गांड तुझे मजा भी खूब लूटने देगी." मैं कस के सर की गांड पर पिल पड़ा और उसे चोद चोद कर अपना वीर्य उनकी गांड में उगल दिया. फ़िर हम वैसे ही पड़े रहे, चूमा चाटी करते.
मैडम लीना को लेकर हमारे पास आयीं "वाह, क्या खेल था गुरु शिष्य का. भई मजा आ गया. पर सर .... आप की ये स्टूडेंट बहुत तड़प रही है, आज इसकी प्यास बुझाये नहीं बुझती, मैंने इतनी चूसी इसकी पर ठंडी नहीं हो रही है, कहती है कि सर से चुदवाऊंगी"
सर उठ कर लीना को पलंग पर लेते हुए बोले "क्यों नहीं, आ जा लीना बेटी, अभी चोद देता हूं, तेरे भाई को चोदा, अब तुझे चोद कर तेरी प्यास बुझा देता हूं. पर झड़ूंगा नहीं लीना"
लीना सी सी करती रही, कुछ बोली नहीं. उसका चेहरा तमतमा गया था, आंखें चमक रही थीं. सर ने उसकी टांगें फ़ैला कर उसकी बुर में लंड डाला और शुरू हो गये. लीना ऐसे सर को चिपकी जैसे बंदर का बच्चा अपनी मां को जकड़ लेता है, अपने हाथों और पैरों से सर के बदन को बांध कर कमर हिलाने लगी "सर ... चोदिये सर .... प्लीज़ सर ... जोर से सर ... आह .... ओह"
क्रमशः। ...........................
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