RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-13
गतांक से आगे..............................
दो मिनिट में जब दर्द कम हुआ तो मेरा कसा हुआ बदन कुछ ढीला पड़ा और मैंने जोर से सांस ली. सर समझ गये. झुक कर मेरे बाल चूमे और बोले "बस अनिल, अब धीरे धीरे अंदर डालता हूं. एक बार तू पूरा ले ले, फ़िर तुझे समझ में आयेगा कि इस लेसन में कितना आनंद आता है" फ़िर वे हौले हौले लंड मेरे चूतड़ों के बीच पेलने लगे. दो तीन इंच बाद जब मैं फ़िर से थोड़ा तड़पा तो वे रुक गये. मैं जब संभला तो फ़िर शुरू हो गये.
पांच मिनिट बाद उनका पूरा लंड मेरी गांड में था. गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने हथौड़े से अंदर से ठोकी हो. सर की झांटें मेरे चूतड़ों से भिड़ गयी थीं. सर अब मुझ पर लेट कर मुझे चूमने लगे. उनके हाथ मेरे बदन के इर्द गिर्द बंधे थे और मेरे निपलों को हौले हौले मसल रहे थे. मैंने सिर घुमा कर देखा तो मैडम दीदी के मम्मे दबाती हुई कस के दीदी को चूम रही थीं. दीदी की आंखें मेरी इस हालत को देखकर चमक रही थीं.
सर बोले "दर्द कम हुआ अनिल बेटे?"
मैंने मुंडी हिलाकर हां कहा. सर बोले "अब तुझे प्यार करूंगा, मर्दों वाला प्यार. थोड़ा दर्द भले हो पर सह लेना, देख मजा आयेगा" और वे धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगे. मेरे चूतड़ों के बीच उनका लंड अंदर बाहर होना शुरू हुआ और एक अजीब सी मस्ती मेरी नस नस में भर गयी. दर्द हो रहा था पर गांड में अंदर तक बड़ी मीठी कसक हो रही थी.
एक दो मिनिट धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने के बाद मेरी गांड में से ’सप’ ’सप’ ’सप’ की आवाज निकलने लगी. तेल पूरा मेरे छेद को चिकना कर चुका था. मैं कसमसा कर अपनी कमर हिलाने लगा. चौधरी सर हंसने लगे "देखा, आ गया रास्ते पर. मजा आ रहा है ना? अब देख आगे मजा" फ़िर वे कस के लंड पेलने लगे. सटा सट सटा सट लंड अंदर बाहर होने लगा. दर्द हुआ तो मैंने फ़िर से मैडम की चप्पल चबा ली पर फ़िर अपने चूतड़ उछाल कर सर का साथ देने लगा.
सर मुड कर मैडम से बोले "देखा मैडम मेरे स्टूडेंट का कमाल? हूं की चूं नहीं की और कैसे आराम से मेरे मूसल को निगल गया. मैं कह रहा था ना कि ये बहुत आगे जायेगा, मेरा नाम रोशन करेगा."
मैडम वहीं खिड़की से देखती हुई बोलीं "हां सर, मान गये, मुझे विश्वास नहीं था कि ये सह लेगा पर आप ने तो कमाल कर दिया. क्यों अनिल, मजा आया सर का डंडा ले के?"
सर ने चप्पल मेरे मुंह से निकाल दी. "अब इसकी जरूरत नहीं है अनिल. बता .... आनंद आया या नहीं?"
"हां ....सर ... आप का ... लेकर बहुत .... मजा .... आ .... रहा .... है ...." सर के धक्के झेलता हुआ मैं बोला " सर .... आप ... को .... कैसा .... लगा .... सर?"
"अरे राजा तेरी मखमली गांड के आगे तो गुलाब भी नहीं टिकेगा. ये तो जन्नत है जन्नत मेरे लिये ... ले ... ले ... और जोर .... से करूं ...." वे बोले.
"हां .... सर ... जोर से .... मारिये .... सर .... बहुत .... अच्छा लग ... रहा है .... सर"
सर मेरी पांच मिनिट मारते रहे और मुझे बेतहाशा चूमते रहे. कभी मेरे बाल चूमते, कभी गर्दन और कभी मेरा चेहरा मोड कर अपनी ओर करते और मेरे होंठ चूमने लगते. फ़िर वे रुक गये.
मैंने अपने चूतड़ उछालते हुए शिकायत की "मारिये ना सर ... प्लीज़"
"अब दूसरा आसन. भूल गया कि ये लेसन है? ये तो था गांड मारने का सबसे सीदा सादा और मजेदार आसन. अब दूसरा दिखाता हूं. चल उठ और ये सोफ़े को पकड़कर झुक कर खड़ा हो जा" सर ने मुझे बड़ी सावधानी से उठाया कि लंड मेरी गांड से बाहर न निकल जाये और मुझे सोफ़े को पकड़कर खड़ा कर दिया. "झुक अनिल, ऐसे सीधे नहीं, अब समझ कि तू कुतिया है .... या घोड़ी है ... और मैं पीछे से तेरी मारूंगा"
मैं झुक कर सोफ़े के सहारे खड़ा हो गया. सर मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर फ़िर पेलने लगे. आगे पीछे आगे पीछे. सामने आइने में दिख रहा था कि कैसे उनका लंड मेरी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. देख कर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. मस्ती में आकर मैंने एक हाथ सोफ़े से उठाया और लंड पकड़ लिया. सर पीछे से पेल रहे थे, धक्के से मैं गिरते गिरते बचा.
"चल.. जल्दी हाथ हटा और सोफ़ा पकड़ नहीं तो तमाचा मारूंगा" सर चिल्लाये.
"सर ... प्लीज़... रहा नहीं जाता ..... मुठ्ठ मारने का मन .... होता है" मैं बोला.
"अरे मेरे राजा मुन्ना, यही तो मजा है, ऐसी जल्दबाजी न कर, पूरा लुत्फ़ उठा. ये भी इस लेसन का एक भाग है" सर प्यार से बोले. "और अपने लंड को कह कि सब्र कर, बाद में बहुत मजा आयेगा उसे"
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