RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैंने दूसरे कमरे में देखा. मैडम ने दीदी को गोद में बिठा लिया था और एक दूसरी की बुर में उंगली करते हुए वो दोनों बड़ी उत्सुकता से हमारी ओर देख रही थीं दीदी ने मुझे चिढ़ाते हुए मुंह बनाया कि अब देखना!
मेरी गांड से कुप्पी निकालकर सर ने फ़िर एक उंगली डाली और घुमा घुमाकर गहरे तक अंदर बाहर करने लगे. मैंने दांतों तले होंठ दबा लिये कि सिसकारी न निकल जाये. फ़िर सर ने दो उंगलियां डाली. इतना दर्द हुआ कि मैं चिहुक पड़ा.
"इतने में तू रिरियाने लगा तो आगे क्या करेगा? मुंह में कुछ ले ले जिससे चीख न निकल जाये. क्या लेगा बोल?" सर ने पूछा. मुझे समझ में नहीं आया कि क्या कहूं. मेरी नजर वहां पलंग के नीचे पड़ी सर की और मैडम की हवाई चप्पल पर गयी.
सर बोले "अच्छा ये बात है? शौकीन लगता है तू! कल से देख रहा हूं कि तेरी नजर बार बार मेरी और मैडम की चप्पलों पर जाती है. तुझे पसंद हैं क्या?"
मैं शरमाता हुआ बोला "हां सर, बहुत प्यारी सी हैं, नरम नरम."
"तो मेरी चप्पल ले ले, या मैडम की लूं?" सर ने पूछा.
"नहीं सर ... आपकी चलेगी" मैंने कहा.
चौधरी सर ने मुस्कराकर मैडम की एक चप्पल उठा ली "मैडम की ही ले ले, मुझे पता है कि तू कैसा दीवाना है इनका."
मैडम की चप्पल देख कर मेरे मुंह में पानी भर आया पर फ़िर मैंने सोचा कि ये ठीक नहीं है, सर से मरवा रहा हूं तो उन्हींके चरणों की चप्पल ज्यादा ठीक होगी. मैंने कहा "सर मैडम की बाद में ले लूंगा, मैडम की सेवा करूंगा तब, आज आप की ही चाहिये मुझे"
सर ने अपनी चप्पल उठाई और मेरे मुंह में दे दी. "ठीक से पकड़ ले, थोड़ी अंदर ले कर, मुंह भर ले, जब दर्द हो तो चबा लेना. ठीक है ना? तुझे शौक है इनका ये अच्छी बात है, मुंह में लेकर देख क्या लुत्फ़ आयेगा!"
मैंने मूंडी हिलाई और मैडम की हवाई चप्पल मुंह में ले ली. लंड तन्ना गया था, नरम नरम रबर की मुलायम चप्पल की भीनी भीनी खुशबू से मजा आ रहा था.
"अब पलट कर लेट जा, आराम से. वैसे तो बहुत से आसन हैं और आज तुझे सब आसनों की प्रैक्टिस कराऊंगा. पर पहली बार डालने को ये सबसे अच्छा है" मेरे पीछे बैठते हुए सर बोले.
सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक तकिया दिया और अपने घुटने मेरे बदन के दोनों ओर टेक कर बैठ गये. "अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल, तुझे भी आसानी होगी और मुझे भी. और एक बात है बेटे, गुदा ढीला छोड़ना नहीं तो तुझे ही दर्द होगा. समझ ले कि तू लड़की है और अपने सैंया के लिये चूत खोल रही है, ठीक है ना?"
मैंने अपने हाथ से अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये. सर ने मेरे गुदा पर लंड जमाया और पेलने लगे "ढीला छोड़ अनिल, जल्दी!"
मैंने अपनी गांड का छेद ढीला किया और अगले ही पल सर का सुपाड़ा पक्क से अंदर हो गया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मैंने मुंह में भरी चप्पल दांतों तले दबा ली और किसी तरह चीख निकलने नहीं दी. बहुत दर्द हो रहा था.
सर ने मुझे शाबासी दी "बस बेटे बस, अब दर्द नहीं होगा. बस पड़ा रह चुपचाप" और एक हाथ से मेरे चूतड़ सहलाने लगे. दूसरा हाथ उन्होंने मेरे बदन के नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगे. मैं चप्पल चबाने की कोशिश कर रहा था. सर बोले "लगता है कि थोड़ी बड़ी है तेरे लिये. आज पहली बार है तेरी, ऐसा कर ये मैडम की चप्पल मुंह में ले ले. जरा छोटी है, तुझे भी मुंह में लेने में आसानी होगी" अपनी चप्पल मेरे मुंह से निकाल कर उन्होंने मैडम की चप्पल मेरे मुंह में डाल दी. आराम से मैंने आधी ले ली और चबाने लगा. मैडम की चप्पल का स्वाद भी अनोखा था, उनके पैर की भीनी भीनी खुशबू उसमें से आ रही थी.
"अरे खा जायेगा क्या?" सर ने हंस कर कहा. फ़िर बोले "कोई बात नहीं बेटे, मन में आये वैसे कर, मस्ती कर. हम और ले आयेंगे तेरे लिये"
क्रमशः। ...........................
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