RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
दूसरे दिन जब हम पहुंचे तो कल की ही तरह पहले मैडम ने हमें पढ़ाया. फ़िर सर ने. सर का लेसन खतम होने पर मैं उठ कर जाने लगा तो सर बोले "कहां जा रहा है तू अनिल?"
मैं सकुचा कर बोला "सर ... कल जैसे मैडम के पास ...."
"अरे आज तेरी बारी है मुझसे लेसन लेने की. आज लीना जायेगी मैडम के पास. तू जा लीना, मैडम राह देख रही होंगी" और सर ने मुझे हाथ पकड़कर अपनी गोद में खींच लिया. लीना दीदी जाते जाते मेरी ओर मुस्करा कर देख रही थी कि अब समझे बच्चू?
मेरा दिल धड़कने लगा. सर मेरे साथ क्या करेंगे? पर लंड भी खड़ा होने लगा. परसों सर के साथ क्या मजा आया था उनका लंड चूस कर, यह याद आ रहा था. फ़िर दीदी ने जो गांड मारने की बात की थी वो सोच कर दिल में डर सा भी लगने लगा.
चौधरी सर कपड़े उतारने लगे. मैं अभी भी सकुचाता हुआ वैसे ही खड़ा था. सर बोले "चल नंगा हो जा फटाफट. अब हम ये लेसन आराम से सलीके से करते हैं ये तूने देखा ना कल?"
"हां सर" मैं धीरे से बोला.
"फ़िर निकाल कपड़े जल्दी. कल कैसे मस्ती में मैडम दे लेसन ले रहा था! आज और मजा आयेगा. मैं मदद करूं नंगा होने में?"
"नहीं सर ..." कहकर मैंने भी सब कपड़े उतार दिये.
चौधरी सर का लंड मस्त खड़ा था. लंड पकड़कर सहलाते हुए वे सोफ़े में बैठे और मुझे हाथ से पकड़कर खींचा और गोद में बिठा लिया. मुझे कस के चूमा और बोले. "पहले खूब चुम्मे दे अनिल. परसों तेरे चुम्मे बड़े मीठे थे पर जल्दी जल्दी में मजा नहीं आया. आज प्यार से अपने सर को चुम्मे दे, तुझे अच्छे लगते हैं ना? मैडम को तो कल खूब चूम रहा था"
मैंने शरमाते हुए मुंडी हिलाई और सिर सर की ओर घुमाकर सर के होंठ चूमने लगा. सर का लंड मेरी पीठ पर धक्के मार रहा था. सर ने मेरे लंड को मुठ्ठी में लिया और मस्त करने लगे. उनकी जीभ मेरे मुंह में घुस गयी थी. मैं उसे चूसने लगा और कमर उचकाकर लंड उनकी मुठ्ठी में अंदर बाहर करने लगा. सर की जीभ मेरे गले में घुस गयी. मुझे थोड़ी खांसी आयी पर सर ने मेरा मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया था, इसलिये उनके मुंह में ही दब के रह गयी. सर अब मेरी आंखों में झांक रहे थे.
मैं अब भी झेंप रहा था इसलिये आंखें हटाकर तिरछी नजर से मैंने दूसरे कमरे में देखा. दीदी और मैडम नंगे एक दूसरे से चिपटकर चूमा चाटी कर रहे थे. मैडम दीदी की बुर सहला रही थीं और दीदी उनकी चूंची पर मुंह मार रही थी. लीना दीदी जरा भी नहीं शरमा रही थी, बल्कि मैदम से ऐसे चिपकी थी कि जैसे प्रेमिका प्रेमी से चिपकती है. थोड़ी देर बार मैडम ने दीदी को नीचे लिटाया और उसकी टांगों के बीच सिर घुसा दिया.
सर ने खूब देर सता सता कर मेरा मुंह चूसा और अपना चुसवाया. पांच दस मिनिट में मेरी सारी झेंप खतम हो गयी थी. लंड सन सन कर रहा था और सर का हाथ उसपर अपना जादू चला रहा था. मुझे अब सर पर इतना लाड़ आ रहा था कि मैं जब भी मौका मिलता प्यार से उनके गाल, आंखें और कान चूमने लगता. कभी गले पे मुंह जमा देता पर सर फ़िर से मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर दबा लेते और चूसने लगते.
मेरी हालत खराब हो गयी. इतना मजा आ रहा था कि सहा नहीं जा रहा था. सोच रहा था कि सर फ़िर से परसों जैसा चूस लें तो क्या लुत्फ़ आयेगा. या अपना मस्त लौड़ा मुझे चुसवा दें. जो भी हो, कुछ तो करम करें मेरे ऊपर. आखिर मैं बोल पड़ा "सर .... सर .... प्लीज़ ... सर"
"क्या हुआ अनिल? बोलो बेटे, मजा नहीं आ रहा है?" सर ने शैतानी से पूछा. "शरमाओ नहीं, अब घबराओ भी मत, अपने मन की बात कह दो. मैं भी आज तुझसे अपने मन जैसा करने वाला हूं"
"बहुत मजा आ रहा है सर ... रहा नहीं जाता ... प्लीज़ सर ..." मैंने अपना हाथ अपनी पीठ के पीछे करके सर के मूसल को पकड़कर कहा "सर... अब चुसवाइये ना प्लीज़"
"अरे वाह, आखिर तूने अपने मन की कह ही दी. अरे ऐसे ही खुल कर बोला कर, सेक्स में शरमारे नहीं. तुझे स्वाद पसंद आया उस दिन लगता है. उसे दिन मजा आया था?"
"हां सर, बहुत जायकेदार था"
"चलो, अभी चुसवाता हूं. पर पूरा लेकर चूसना पड़ेगा. कल तेरी दीदी ने लिया था ना? आज तू भी ले"
"हां सर .... सर केला ले आऊं?" मैंने उत्साह से पूछा. कल सर ने कैसे दीदी को केला निगलने की ट्रेनिंग दी थी और फ़िर लंड मुंह में दिया था, यह मुझे याद आ रहा था.
"अरे नहीं, वो तो नाजुक सी बच्ची है इसलिये केले से चालू किया. तू तो बहादुर बच्चा है, वैसे ही ले लेगा. चल आ जा, आराम से लेट कर चुसवाता हूं" कहकर सर बिस्तर पर लेट गये और मुझे अपने सामने लिटा कर लंड मेरे चेहरे पर रगड़ने लगे. लंड मस्त खड़ा था, गुलाबी लाल सुपाड़ा तो क्या रसीला था. उसमें सर के मद की धीमी धीमी खुशबू आ रही थी. मैंने मुंह बाया और सुपाड़ा मुंह में लेकर चूसने लगा. परसों जैसे मैंने सर का लंड पकड़ा और आगे पीछे करने लगा.
"ऐसे तो तू फ़ेल हो जायेगा. ये क्या नर्सरी के बच्चे जैसा लेसन ले रहा है. अब आगे का लेसन है, प्राइमरी का. पूरा मुंह में ले, चल फ़टाफ़ट. आज सिर्फ़ लड्डू खाकर नहीं छुटकारा होगा तेरा, पूरी डिश खाना पड़ेगी" सर ने मेरे बालों में उंगलियां चलाते हुए कहा.
मैंने उत्साह से मुंह खोला और निगलने लगा. चार पांच इंच निगला और फ़िर सुपाड़ा गले में फ़ंस गया. सर ने मेरा सिर पकड़कर अपने पेट पर दबाया. मेरा दम घुटने लगा और मुझे खांसी आ गयी. सर ने एक दो बार और दबाया, फ़िर छोड़ दिया. "अरे अनिल बेटे, आज तू फ़ेल हो जायेगा पक्का. चल फ़िर से कोशिश कर"
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