RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैडम ने बड़े प्यार से सर का चुम्मा लिया "सर, मजा कीजिये ... आखिर आप को जो चाहिये था वो मिल ही गया और क्यों ना मिले ... आप सा मर्दाना मस्त पुरुष तो डिज़र्व करता है"
सर दीदी के संभलने का इंतजार करने लगे. साथ ही झुक कर होंठों से दीदी की आंखें चूमने लगे. मेरा लंड अब सिर उठाने लगा था. सर ने उसे पकड़ा और दबाने लगे "अनिल, मजा आ रहा है दीदी की चुदाई देखकर?"
"हां सर, दीदी की चूत कितनी खुल गयी है, ये फ़ट तो नहीं जायेगी सर?" मैंने उत्सुकता से पूछा.
"अरे नहीं, तेरी दीदी जैसी खूबसूरत मतवाली लड़कियों की चूत ऐसे नहीं फ़टती, ये तो बनी हैं हरदम चुदवाने को. बस दो मिनिट बाद ये कैसे मचलने लगेगी, तू ही देखना" सर मुझे पास खींच कर मेरा चुम्मा लेते हुए बोले. मैडम अपनी छाती से दीदी की छाती मसल रही थीं और फ़िर से लीना दीदी के होंठ चूसने में लग गयी थीं.
धीरे धीरे दीदी का कपकपाता बदन शांत हुआ. सर ने एक उंगली से दीदी का दाना रगड़ना शुरू कर दिया. दो मिनिट में दीदी कमर हिलाने लगी. सर ने मुस्कराकर मैडम से कहा "अब छोड़ दीजिये मैडम, आपकी स्टूडेंट मूड में आ गयी है. मुझे तो पता था कि ये बहादुर बच्ची ऐसे घबराने वाली नहीं है. अब देखिये मैं इसे कैसा मस्त करता हूं"
मैडम ने दीदी का मुंह छोड़ा "लीना, ठीक है ना तू? अब तो नहीं दुखता?"
दीदी सिसक कर बोली "मैडम ... अभी भी बहुत दुखता है ... पर अच्छा भी लग रहा है ... सर ने जब .... डाला तब ऐसा लग रहा था कि मैं ... मर जाऊंगी"
मैडम बोलीं "तेरी गलती नहीं है, सर का हथियार है ही ऐसा मूसल जैसा, मुझे मालूम है, मैं तो कब से सह रही हूं. पर अब देख, सर तुझे ऐसा मजा देंगे कि तू स्वर्ग का सुख लेगी"
सर ने अब धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था. साथ ही उनकी उंगली दीदी के दाने पर चल रही थी. मैडम ने झुक कर दीदी का निपल मुंह में लिया और चूसने लगीं.
मैंने देखा कि सर का लंड अब आराम से अंदर बाहर हो रहा था. जब बाहर होता तो थोड़ा पानी निकलता. दीदी हौले हौले सांसें ले रही थी और सर की आंखों में आंखें डाले हुए थी. "सर ... मजा आ रहा है सर .... कीजिये ना और ..."
"दर्द तो नहीं हो रहा है लीना? चोदूं तुझे अब कायदे जैसे तेरी जैसी छोकरी को चोदना चाहिये?" सर ने लीना का चुम्मा लेकर पूछा. लीना ने बस पलक झपका दी. सर उसे अब हौले हौले चोदने लगे. दीदी ने एक सिसकारी भरी और सर से लिपट गयी "हा ऽ य सर .... उई ऽ मां ऽ .... सर .... दर्द होता है सर पर बहुत अच्छा लग रहा है सर ... और ... और ...कीजिये ना .... प्लीज़"
"और क्या लीना? ठीक से बोल, और क्या करूं?" सर ने मुस्कराकर पूछा. वे बड़े सधे अंदाज में चोद रहे थे. बस तीन चार इंच लंड अंदर बाहर करते, बिना एक पल भी रुके हुए.
दीदी ने शरमा कर कहा "सर ... चोदिये ना प्लीज़"
"ये हुई ना बात! अब लेसन सीखी है कि कैसे बोला जाता है. अब देख तुझे कैसे चोदता हूं" कहकर सर ने रफ़्तार बढ़ा दी. पूरा लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि दीदी को दर्द होगा पर वो अब मजे से चुदवा रही थी. उसकी जरा सी बुर में सर का इतना बड़ा लंड अंदर बाहर होता देख कर मैं आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर यह नजारा देख रहा था. मेरा लंड फ़िर से कसके खड़ा हो गया था.
मैडम ने मुझे पास खींच लिया. "अरे ऐसे क्या देखता है अनिल बेटे? तेरी दीदी कितनी चुदैल है ये अब पता चला है तुझे. मैंने तो इसे देखते ही पहचान लिया था"
"और यह लड़का भी कम चोदू नहीं है मैडम. देखना आगे कैसे कैसे गुल खिलायेगा" सर ने मुझे सराहा. वे दीदी को कस के चोद रहे थे. सात आठ धक्के लगाने के बाद रुक जाते, फ़िर एक मिनिट रुक कर हौले हौले चोदते और फ़िर घचाघच लंड पेलने लगते. दीदी सिसक सिसक कर कह रही थी "सर ... बहुत मजा .... आ रहा है सर ... रहा नहीं जाता ....आह ... ओह ... प्लीज़ .... प्लीज़ ... और जोर से कीजिये ... चोदिये ना ...मैडम ... देखिये ना ... प्लीज़ "
मैडम ने मेरा लंड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करते हुए सर से कहा "सर, झड़ा दीजिये बेचारी को, ऐसे न तड़पाइये उसे"
सर ने धक्के लगाते हुए कहा "अरे जरा मजा करने दो, बेचारी ने इतना दर्द सहा है मेरा लंड लेने में, लीना, तू क्यों बिचकती है, मजा ले, चुदने का पूरा मजा नहीं लेगी क्या?" फ़िर चौधरी सर दीदी को बाहों में भर के पूरे उसपर लेट गये और मुझे बोले "तू क्यों ऐसे बैठा है अनिल, चढ़ जा मैडम पर, चोद डाल. बल्कि मैं तो कहूंगा कि गांड मार ले उनकी, क्यों मैडम?"
मुझे रोमांच हो आया. मैडम की गांड मारने को मिलेगी क्या! पर लगता था आज वो जन्नत मेरे नसीब में नहीं थी. मैडम बोलीं "नहीं सर, गांड वांड रहने दीजिये आज. यह मेरा शिष्य इतना अच्छा चोदता है कि क्या कहूं. आ जा अनिल, चोद ले मुझे" कहकर वे लेट गयीं.
"ठीक है अनिल, चोद ही ले, और निराश मत हो, कल मार लेना गांड" सर बोले.
"किसकी" मैडम ने हंसते हुए पूछा.
"कल पता चल जायेगा, यहां गांडों की कमी है क्या? पर मजा आयेगा इसे इसकी गारंटी है" कहकर सर ने दीदी के होंठ अपने मुंह में लिये और उसका मुंह चूसते हुए हचक हचक कर चोदने लगे.
मैं मैडम पर चढ़ कर चोदने लगा. अब कमरे में बस ’फ़चा फ़च’ ’फ़चा फ़च’ ’पॉक पॉक पुक पुक’ ऐसी चुदाई की आवाजें आ रही थीं. दीदी ने अपनी टांगें और हाथ सर के बदन के इर्द गिर्द भींच लिये थे और कमर उछाल उछाल कर उनका मुंह चूसते हुए चुदवा रही थी.
मैंने मैडम को बहुत देर चोदा. वे दो बार झड़ीं. मुझे चूमती जातीं और मुझे शाबासी देती जातीं "बहुत अच्छे मेरे बच्चे, .....बहुत प्यारा है तू..... बहुत मस्त चोदता है .... अब जरा और जोर से .... लगा ना कस कस के .... आज खाना नहीं खाया क्या? .... वो सर देख कैसे कचूमर निकाल रहे हैं तेरी बहन का...."
बात सच थी. सर ने दीदी को ऐसा चोदा था कि वो बस अपने सर के मुंह में दबे मुंह से ’अं ऽ अं ऽ अं ऽ’ कर रही थी. शायद अब वो झड़ गयी थी इसलिये छूटने की कोशिश कर रही थी. पर सर उसे छोड नहीं रहे थे. जब सर ने अपना मुंह अलग किया तो दीदी सिसक कर बोली "आह ऽ ... बस सर ... प्लीज़ सर ... अब छोड़िये ना ... कैसा .. तो ... भी होता .... है ... सर .... प्लीज़ सर .."
मैडम मुझे बोलीं "तेरी दीदी झड़ .... गयी है इसलिये अब ..... हालत खराब है उसकी .....पर तेरे सर नहीं मानेंगे .... अब तो उन्हें खास मजा आ रहा होगा ..... आखिर अनचुदी .... कच्ची बुर ....ऐसे ... रोज रोज ... थोड़े मिलती है चोदने को ...."
क्रमशः। ...........................
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