RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-9
गतांक से आगे..............................
"पर मैडम, रोज ये मोमबत्ती से ..." मैंने कहा तो मैडम हंसने लगीं "अरे मोमबत्ती कितनी मोटी है और तेरा ये लंड कितना मोटा है, कुछ तो खयाल कर"
मैंने धीरे से लंड पेला और वो सट से आधा दीदी की चूत में घुस गया. दीदी थोड़ी कसमसाई. मैडम बोलीं "लीना, घबरा मत, समझ बड़ी मोमबत्ती है. बहुत मजा आयेगा तुझे देखना. चल अनिल, आगे चल पर जरा प्यार से"
मैंने फ़िर लंड पेला और वो पूरा दीदी की बुर में समा गया. दीदी जरा सी चिहुकी और मुझे कस के पकड़ लिया. चौधरी सर खुश होकर बोले "बहुत अच्छे बेटे. ये अच्छा हुआ, बहन ने कैसे प्यार से भाई का ले लिया. भाई का हो तो दर्द भी कम होता है. अब चोद धीरे धीरे. जगह बना मेरे मूसल के लिये. प्यार से चोदना, और जरा मस्ती से दस मिनिट तक चोद, जल्दी मत कर"
मैं चोदने लगा. पहले धीरे चोदा कि दीदी को दर्द न हो. पर दीदी की चूत ऐसी गीली थी कि आराम से लंड अंदर बाहर होने लगा. दीदी कमर उचकाने लगी और मैडम की चूंची मुंह से निकाल कर बोली "अनिल ... बहुत अच्छा लग रहा है रे ... मैडम .... बहुत मजा आ रहा है मैडम"
मैडम ने अपना मम्मा फ़िर से दीदी के मुंह में घुसेड़ा और खुद दीदी के मम्मे मसलने लगीं "चलो अनिल चोद अपनी बहन को. कब से इसका मौका देख रहा था ना तू? चल अब दीदी को दिखा दे कि कितना प्यार करता है"
मैं कस के चोदने लगा. फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाज आने लगी. दीदी की बुर से पानी बह रहा था. मैंने चौधरी सर की ओर देखा. वे अपने लंड को पकड़कर मस्ती से उसे पुचकार रहे थे. मैडम उनसे बोलीं "अरे सर, अपने स्टूडेंट का हौसला बढ़ाइये, देखा बेचारा कितनी मेहनत कर रहा है"
सर मेरे पास आकर बैठ गये और मेरी कमर और चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे "बस ऐसे ही अनिल, कस कर चोदो हचक हचक कर, तेरी दीदी की चूत अब खुल गयी है, मस्ती से चोदो, झड़ना नहीं बेटे" कहकर उन्होंने मेरे मुंह को चूमना शुरू कर दिया. अपने हाथ से वे अब मेरे चूतड़ ऐसे दबा रहे थे जैसे चूतड़ न होकर किसी औरत के मम्मे हों. इधर उनकी जीभ मेरी जीभ से लगी और उधर मुझे ऐसा मजा आया कि मैंने दो चार धक्के कस कर लगाये और झड़ गया.
मेरी हिचकी सर के मुंह में निकली तो वे चुम्मा तोड़ कर बोले "अरे बदमाश, झड़ गया अभी से " और एक हल्का सा घूंसा मेरी पीठ पर लगा दिया. फ़िर मैडम की ओर मुड़कर बोले "मैडम लगता है आपने काफ़ी सताया है मेरे स्टूडेंट को, बेचारा कब से तड़प रहा था लगता है"
मैडम बोलीं "अरे उसे सिखा रही थी कि मजा लेने के लिये कंट्रोल कैसे करते हैं, खैर चलो अच्छा हुआ, ये लड़की अब पूरी मस्ती में है, बेचारी झड़ी भी नहीं है. सर, आप इसकी तकलीफ़ दूर कर दीजिये"
सर ने अपने लंड को मस्ती से मुठ्ठी में पकड़ा और बोले "अभी करता हूं. लीना तो बहुत प्यारी लड़की है, इसे पूरा मजा देता हूं अभी, चल अनिल, बाजू में हो और खबरदार, आज माफ़ कर दिया पर फ़िर ऐसे जल्दी में झड़ा तो मार खायेगा"
मेरा लंड निकालकर मैं बाजू में बैठ गया. दीदी को चोद कर बहुत अच्छा लग रहा था. मैडम बोलीं "इधर आ बेटे, ऐसे मेरे पास आ" मैं उनके पास गया तो झुक कर उन्होंने मेरी नुन्नी मुंह में ली और चूस कर साफ़ कर दी.
उधर सर भी झुक कर दीदी की बुर चाट रहे थे. लीना दीदी ने उनका सिर पकड़ लिया और कमर हिलाने लगी. मैडम हंसने लगीं "क्यों सर, गन्ने के रस को चखने का कोई भी मौका आप नहीं छोड़ते"
"मैडम, ये खास छोटे रसीले गन्ने का रस है, और गन्ने के रस के साथ साथ कमसिन बुर का शहद भी है. इतना अच्छा माल कौन छोड़ेगा, आपने छोड़ा?" कहकर उन्होंने दीदी की बुर पूरी चाटी और फ़िर उसकी टांगों के बीच बैठ गये. "चल लीना, टांगें फ़ैला. मैडम आप अपनी स्टूडेंट को संभालिये, उसने बड़ा काम किया है, इस लड़की की चूत ऐसी चिकनी और गीली कर दी है कि अब ये आराम से मेरा ले लेगी"
मैडम समझ गयीं और लीना के मुंह से चूंची निकालकर उसके बाजू में लेट गयीं. लीना को बाहों में भरके चूमते हुए बोलीं "लीना, अब मजा ले, सर मेहरबान होने वाले हैं तुझपर"
सर ने लीना की चूत के पपोटे फ़ैलाये और सुपाड़ा रखकर अंदर पेल दिया. दीदी की चूत इतनी गीली थी कि वो आराम से फ़च्च से अंदर चला गया. दीदी एकदम से तड़पी. मैडम ने तुरंत अपने मुंह से उसका मुंह बंद कर दिया. सर ने और लंड पेला और आधा अंदर कर दिया. दीदी हाथ पैर मारने लगी. मैडम ने उसके हाथ पकड़ लिये. सर ने मेरी ओर देख कर कहा "अनिल, अपनी दीदी के पैर पकड़ लो, इसे दर्द हो रहा है पर मैं पूरा अंदर डाल देता हूं, फ़िर झंझट ही खतम हो जायेगी"
सर का मूसल दीदी की चूत को चौड़ा कर रहा था, दीदी की बुर का छेद ऐसे फैला था जैसे फट जायेग, तने रबर बैंड सा लग रहा था. देख कर मुझे भी मजा आ गया. मैंने दीदी के पैर पकड़े और सर ने कस के सटाक से अपनी पूरा लंड दीदी की बुर में डाल दिया. दीदी का बदन एकदम कड़ा हो गया और वो कांपने लगी, अब वो पुरी तरह से तड़पती हुई हाथ पैर फ़टकारने की कोशिश कर रही थी पर मैंने और मैडम ने उन्हें कस के पकड़े रखा, हिलने तक नहीं दिया. उधर दीदी की आंखों में दर्द से आंसू आ गये थे और वो बड़ी कातर आंखों से हमारी ओर देख रही थी.
सर मस्ती में आकर बोले "ओह ... ओह ... क्या कसी चूत है इस लौंडी की ... मैडम, मजा आ गया, बहुत दिन हो गये ऐसी चूत मिली है"
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