RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
"किसे चोदोगे?" उन्होंने मेरे लंड को मुठ्ठी में कस के दबाकर पूछा.
"सर, मैडम को ..." कहकर मैं चुप हो गया.
"अरे मैडम को तो अब तक चोद रहे थे. कल भी चोदा था, मन नहीं भरा लगता है. अब और किसी को चोदो"
मैं उनकी ओर देखने लगा. वे बोले "अरे अपनी इस प्यारी दीदी को चोद लो. बेचारी देखो कैसी तरस रही है. ऐसे क्यों देख रहे हो? दीदी को चोदा नहीं है ना अब तक?"
"नहीं सर"
"फ़िर आज मौका है. और लीना तूने चुदवाया है कभी?" चौधरी सर ने लीना दीदी के जरा जरा से मम्मे दबाते हुए पूछा. दीदी की हालत खराब थी, मैडम उसकी बुर में ऐसी उंगली कर रही थीं कि दीदी बेचारी बस तड़प तड़प कर कमर हिला रही थी. मैडम उसका मुंह चूस रही थीं इसलिये वह चुप थी. जब मैडम ने दो मिनिट बाद उसका मुंह छोड़ा तो सिसक कर बोली "हां सर, प्लीज़ सर .... मैडम .... प्लीज़ आप ....."
मैडम दीदी के मुंह में अपनी चूंची ठूंस कर बोलीं. "अरे नहीं, अभी नहीं चूसूंगी तेरी बुर, वैसे बहुत रस निकल रहा है. अब तू चुदवा ले. बोल सर से चुदवायेगी?" दीदी ने मैडम की चूंची चूसते चूसते हुए पलक झपकाकर हां कहा. मैडम हंसने लगीं "क्यों सर, आप पाठ बहुत अच्छा पढ़ाते हैं लगता है? ये लड़की आप पर लट्टू है, देखो झट से हां कह दिया नहीं तो लड़कियां कितने नखरे करती हैं. अब आप चोदेंगे ना?"
सर बोले "हां चोदूंगा, इस फ़ूल सी नरम बुर में घुसने को के खयाल से ही देखो मेरा लंड कैसा फ़िर से मचलने लगा है. पर इसपर ज्यादती हो जायेगी. अभी मस्ती में चहक रही है, फ़िर चीखने चिल्लाने लगेगी. इसलिये कहता हूं इसे पहले अनिल से चुदवा दो और इसकी चूत खोल दो, फ़िर मेरा जाने में इसको तकलीफ़ नहीं होगी"
"हां भई, भाई बहन को चोदे इससे ज्यादा मस्ती की बात और क्या हो सकती है, है ना लीना? चल अनिल तू इधर आ जल्दी से" कहकर मैडम ने लीना दीदी को नीचे पलंग पर लिटा दिया. "लीना, ठीक से लेट और टांगें फ़ैला, अब जरा अपने भाई का लंड हाथ में लेकर देख, इसे लेगी ना अब अपनी चूत में?"
दीदी तो अब मछली जैसी तड़प रही थी. उसने झट से टांगें फ़ैलायीं और मेरा लंड पकड़कर बोली "अनिल, जल्दी कर ना ... हा ऽ य .. मैडम रहा नहीं जाता .... " उसकी नजर सर के फ़िर से खड़े लंड पर टिकी थी.
चौधरी सर बोले "अनिल बेटे, पहले लीना की चूत की पूजा करो, आखिर तुम्हारी बड़ी बहन है"
"कैसे सर? " मैं पूछ बैठा.
"अरे मूरख, चूत पूजा कैसे करते हैं? उसे प्यार करके, उसे चाट के, उसके रस को उसके प्रसाद को ग्रहण करके. मैडम की तब से कर रहा था ना, अब अपनी दीदी की कर" सर मुझे डांट कर बोले.
मैं जुट गया. दीदी की चूत में मुंह डाल दिया. वह मेरे सिर को भींच कर तड़पने लगी "सर .... सर ... रहा नहीं जाता सर ... बहुत अच्छा लगता है सर" मैं लपालप दीदी की बुर चाटने में जुटा था. आज लग रहा था जैसे वरदान पा लिया हो, जिस मिठाई की इतने दिन तमन्ना की थी, वो अब पा ली थी मैंने!
"असल में भाई से चुसवा रही है ना, इसलिये ज्यादा मजा आ रहा है, अब चुदा के देखना, और आनंद पायेगी. चलो अनिल बहुत हो गया, अब दीदी को चोदो" मैडम ने आदेश दिया.
मैंने झट से दीदी की बुर पर लंड रखा और पेलने लगा "अरे धीरे बेटे, हौले हौले, दीदी ने कभी लंड लिया नहीं है ना, ऐसे धसड़ पसड़ ना कर" मैडम ने समझाया.
क्रमशः। ...........................
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