RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
मैडम ने मुझे चूम लिया "अब घबराने की जरूरत नहीं है, अब पढ़ाई भूल जाओ और इस तरफ़ ध्यान दो. देखो, तेरी दीदी का लेसन कैसा चल रहा है"
मैंने देखा तो दोनों कमरों के बीच में एक खिड़की थी. मैं चकरा गया, कल तक तो यह नहीं थी.
खिड़की में से सर का कमरा दिख रहा था. सर ने अपने कपड़े उतार दिये थे और दीदी को गोद में बिठा कर चूम रहे थे. दीदी शरमा रही थी पर बड़ी खुशी खुशी चौधरी सर को चुम्मे दे रही थी. सर कुछ देर तक दीदी की चूंचियां ब्लाउज़ पर से दबाते रहे फ़िर अपना लंड दीदी के हाथ में दे दिया और उसके कपड़े उतारने लगे. सर का बदन एकदम गठीला और गोरा चिट्टा था. लंड के चारों ओर अच्छी घनी झांटें थीं.
मेरा लंड खड़ा हो गया. मैडम भी बड़े प्यार से उसे मुठिया रही थीं. अब मेरी झिझक जा चुकी थी, साहस करके मैंने मैडम की एक चूंची पकड़ ली और धीरे धीरे दबाने लगा. "ये निपल को उंगलियों में लो और घुमाओ, जरा मसलो, डरो मत, मुझे अच्छा लगता है" मैडम ने मुझे खींच कर सीने से लगाते हुए कहा. मैं मैडम के निपल मरोड़ते हुए दूसरे कमरे में देखने लगा. "मैडम, ये दो बेडरूम के बीच खिड़की ..." मैंने झिझकते हुए पूछा.
"हां पुराना घर है ना. वैसे यहां पर्दा रहता है पर आज से खास ट्यूशन है ना! इसलिये निकाल दिया है. दोनों कमरे वाले एक दूसरे को देख भी सकते हैं और कहने को अलग अलग कमरे में होने से बिना झिझक के मन की कर भी सकते हैं" मैडम ने कहा और फ़िर मुंह से ’सी’ ’सी’ करने लगीं क्योंकि चौधरी सर और दीदी के बीच का करम देखकर मैं उत्तेजित हो गया था और जोर से मैडम के निपल मसलने लगा था. मैंने सॉरी कहा तो मैडम बोलीं "अरे परेशान मत हो अनिल बेटे, मुझे अच्छा लगता है, जरा दबा भी ना जोर से मेरे मम्मे, मन में तो खूब सोचता होगा कि मैडम मिल जायें तो उनके भोंपू दबाऊंगा तो अब क्यों शरमा रहा है?"
"मैडम भोंपू ...?" मैंने कहा तो मैडम मेरा कान पकड़कर बोलीं "अब नादान ना बन, मैं जानता हूं कि तुम शरारती लड़के स्कूल की लेडी टीचर्स के बारे में क्या क्या कहते हो, चलो अब, बजाओ भोंपू"
मैडम ने नरम नरम भोंपू दबाता हुआ मैं देखने लगा. अब तक सर ने दीदी को नंगा कर दिया था और उससे कुछ कह रहे थे. दीदी शरमा रही थी. सर ने उसे गोद में लेकर अपने लंड पर साइकिल के डंडे जैसा बिठा लिया था और उनका तना हुआ लंड दीदी की दुबली पतली जांघों के बीच से बाहर निकल आया था. सर अब दीदी की चूंचियां दोनों हाथों से मसल रहे थे और कस के उसे चूम रहे थे. वे बार बार दीदी का मुंह अपने होंठों से खोलते और चूसने लगते. दीदी एक मिनिट शरमाती रही फ़िर उसने भी मुंह खोल कर अपनी जीभ सर को चूसने को दे दी और हथेली में उनका सुपाड़ा लड्डू जैसा पकड़ लिया.
उनकी चूमाचाटी देखकर मुझसे न रहा गया और मैंने मैडम की ओर देखा. उन्होंने मुस्कराकर मेरे होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रख दिये और चूमने लगीं. उनकी जीभ मेरे मुंह पर लग रही थी. मैंने मुंह खोला और मैडम की रसीली जीभ चूसने लगा. साथ साथ मैं कमर हिला कर मैडम की मुठ्ठी में दबे मेरे लंड को आगे पीछे कर रहा था.
मैडम ने फ़िर मेरा सिर अपनी छाती पर दबाया और बोलीं "अनिल, अब मुंह में लो. अपनी मैडम के मम्मे चूसने का मन नहीं करता है क्या?" मेरा हाथ पकड़कर उन्होंने अपनी बुर पर रख दिया.
"हां मैडम, करता है" कहकर मैंने मैडम का निपल मुंह में ले लिया और चूसते चूसते मैडम की बुर को टटोलने लगा. एकदम गीली थी और चिकनी भी थी. "अरे ऐसे उंगली से कर मेरे बच्चे, जरा मजा दे मुझे, अब सीख ले यह कला, बहुत काम आयेगी तेरे. उधर देख, तेरे सर क्या कर रहे हैं .... आह ... हां ऐसे ही रगड़ अब ... अरे जरा धीरे ... प्यार से .. "
मैंने देखा तो अब चौधरी सर ने दीदी को एक कुरसी में बिठा दिया था और सामने बैठ कर उसकी चूत चाट रहे थे. बड़े प्यार से उसपर नीचे से ऊपर तक जीभ रगड़ रहे थे जैसे कैंडी चाट रहे हों. दीदी मेरी और मैडम की तरफ़ देख रही थी, उसका चेहरा लाल हो गया था पर एकदम खुश नजर आ रही थी. सर ने अब उसकी बुर की लकीर में एक उंगली डाली और घिसने लगे. दीदी ’सी’ ’सी’ करने लगी. थोड़ी देर से सर ने उंगली मोड़ी और धीरे से दीदी की बुर में घुसेड़ दी. लीना थोड़ी कसमसा सी गयी.
क्रमशः। ...........................
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