RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
चलते चलते घर आने को था तब मैं बोला "दीदी, आज रात चोदने दो ना"
दीदी मेरा कान पकड़कर बोली "खबरदार बदमाश, नानी को बता दूंगी. अब जो करना है सर और मैडम के साथ करना"
"दीदी, तुम बहुत सुंदर हो, मेरा खड़ा हो जाता है" मैंने सफ़ायी दी.
"वो ठीक है रे. पर जब हम सर के यहां जायेंगे तो क्या थके हुए जायें? हमें पूरा आराम करके ताजे होकर जाना चाहिये, जिससे सर और मैडम को मजा आये. ऐसे रात को मजा करना शुरू कर दिया तो उनको जरूर पता चल जायेगा, फ़िर पढ़ाई की छुट्टी!"
"दीदी पर तेरी चूत कितनी प्यारी दिख रही थी आज? तुम तो दिखाती भी नहीं हो ठीक से. कम से कम चाटने दोगी दीदी आज रात? प्लीज़?" मैंने दीदी का हाथ पकड़कर कहा.
"मैंने मना किया ना, सुना नहीं? अब ऐसी रोनी सूरत मत बना. सर और मैडम के साथ जब साथ साथ लेसन होगा तो जरूर चांस मिलेगा तुझे देख"
हम दोनों घर की ओर चलने लगे
दूसरे दिन हम जल्दी पहुंच गये.
"आओ बच्चो, दस मिनिट जल्दी ही आ गये?" सर ने दरवाजा हमारे पीछे बंद करते हुए पूछा.
"हां सर, सोचा देर न हो जाये" मैं नीचे देखता हुआ बोला.
"बहुत अच्छा किया. ज्यादा टाइम मिलेगा हमें, है ना? लो ये मैडम भी आ गयीं" सर ने कहा. वे सिर्फ़ कुरता पजामा पहने हुए थे. लगता है अंदर और कुछ नहीं था क्योंकि हम दोनों को देखते ही उनके पाजामे में धीरे धीरे एक तंबू बनने लगा.
मैडम सिर्फ़ एक गाउन पहने हुए थीं. उन्होंने भी अंदर कुछ नहीं पहना था. उनके स्तनों का उभार तो गाउन में दिख ही रहा था, ऊपर से निपलों का शेप भी दिख रहा था.
हमारी नजर कभी मैडम के मम्मों पर जाती और कभी सर के पजामे में बने तंबू पर. सर मुस्कराये और बोले "चलो, अब आधा घंटा पढ़ लो. और खबरदार, ठीक से पढ़ना, पढ़ाई में कोई गलती नहीं होनी चाहिये. आज से अब पनिशमेंट भी मिलेगा समझे ना? चलो, तुम दोनों अब मैडम से पढ़ो, फ़िर मेरे पास आना"
सर दूसरे कमरे में चले गये. मैडम ने गणित पढ़ाना शुरू किया. पर हम दोनों का ध्यान नहीं था, दिमाग में और ही कुछ चल रहा था. बार बार नजर मैडम के गोरे बदन और उनके गाउन के ऊपर के खुले भाग में से दिखते मुलायम स्तनों पर जाती.
मैडम ने हमें एक सवाल करने को दिया. मैंने कर लिया पर दीदी को नहीं बना. वह मैडम की ओर देखकर बिना बात शरमाती और इधर उधर देखने लगती. मैं समझ गया कि दीदी की चूत गीली हो रही है कल की मैडम के साथ वाली बात सोच कर. मैडम कुछ नहीं बोलीं, फ़िर हमारी कॉपी चेक की. मुझे कुछ नहीं कहा पर दीदी को बोलीं "लीना, हाथ आगे कर" और स्केल उठा ली.
"क्यों मैडम?" लीना घबरा गयी.
"मैंने कहा ना आगे कर, .... ऐसे ..." फ़िर सट से खड़ी स्केल दीदी की हथेली पर जड़ दी.
"उई ऽ मैडम दुखता है ... प्लीज़ मैडम ... प्लीज़ .." वो रोने को आ गयी और हाथ पीछे खींच लिया.
मैडम ने उसका हाथ पकड़ा और एक के बाद एक तीन चार स्केल जड़ दीं. दीदी मुसमुसा कर रोने लगी.
मैडम कड़े स्वर में बोलीं "समझ नहीं है तुझ में? इतनी बड़ी हो गयी है. यहां पढ़ने आती है ना? अगर फ़ेल हो गयी तो तेरी नानी कहेगी कि मैडम तो कुछ पढ़ाती नहीं हैं, फ़िर तेरी ट्यूशन बंद हो जायेगी और यहां आना भी बंद हो जायेगा? यही चाहती है तू?"
लीना दीदी सिसकते हुए बोली "सॉरी मैडम, भूल हो गयी, अब याद रखूंगी"
उसके बाद वो भी बड़े ध्यान से पढ़ने लगी. आधा घंटे बाद मैडम ने शाबासी दी. "ऐसे पढ़ा करो अच्छे बच्चों जैसे. अब सर के पास जाओ, अनिल तुम लेसन खतम होने पर फ़िर मेरे पास आना, और लीना तू सर के कमरे में ही रहना, फ़िर हमारा अगला लेसन शुरू होगा, जिसके लिये तुम दोनों बेताब हो, ठीक है ना?"
"हां मैडम" कहकर हम दोनों सर के कमरे में गये. वे टेबल के पीछे बैठे थे, शायद जान बूझकर जिससे हमें उनका तंबू न दिखे और मन इधर उधर न भटके. शायद उन्होंने मैडम की बात सुन ली थी. हम इंग्लिश पढ़ने लगे. सर ने मन लगाकर पढ़ाया. बीच बीच में पूछते जाते. दीदी अब फ़टाफ़ट जवाब दे रही थी. पर मेरा ध्यान बार बार सर पर जाता. वे सच में काफ़ी हैंडसम थे, शेव किया हुआ उनका चेहरा एकदम चिकना लग रहा था. मैं बार बार कल के बारे में सोच रहा था, सर का लंड याद आ रहा था. इसी चक्क्कर में मुझसे गलती हुई तो उन्होंने मेरा कान पकड़ा और एक तमाचा जड़ दिया "अब तेरी बारी है मार खाने की, तुझे मुझसे पढ़ना है कि नहीं? या घर मैं बैठना है?"
मैंने रोनी आवाज में ’सॉरी’ कहा और ध्यान दे कर पढ़ने लगा. हम दोनों समझ गये थे कि अगली मस्ती वाली पढ़ाई के लिये इस पढ़ाई को सीरियसली लेने की जरूरत थी.
आधे घंटे बाद सर बोले "चलो, आज का ये लेसन खतम हुआ. लीना, तू बहुत ध्यान से पढ़ती है, बहुत अच्छी बच्ची है, तू यहीं रुक, अब तुझे अगला लेसन देता हूं. अनिल तुम मैडम के कमरे में जाओ."
मैं मैडम के कमरे में दाखिल हुआ, दिल धड़क रहा था. मैडम पूरी नंगी होकर सोफ़े पर बैठी मेरा इंतजार कर रही थीं.
"आओ अनिल, पहले अपने सब कपड़े उतारो, फ़िर मेरे पास आओ" अपने मम्मे एक हाथ से सहलाती हुई वे बोलीं. उनका दूसरा हाथ अपनी बुर से खेल रहा था. मैंने फ़टाफ़ट कपड़े उतारे और शरमाता हुआ उनके पास बैठ गया. मेरा लंड अभी बैठा था.
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