RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-7
गतांक से आगे.............................
दो मिनिट हम चुपचाप चलते रहे, आज के दिन जो हुआ था, वह इतना मस्ती वाला था कि विश्वास ही नहीं हो रहा था. मन में थोड़ा डर भी था कि हमने जो किया वो गलत तो नहीं किया.
थोड़ी देर बाद लीना दीदी बोली "क्या किया रे सर ने तेरे साथ अकेले में?"
"और तेरे साथ मैडम ने क्या किया दीदी?" मैंने पूछा. दीदी कुछ नहीं बोली.
मैंने कहा "दीदी, कल आना है क्या?"
"क्यों अनिल, क्यों पूछता है? अभी तो बड़ी खुशी से चहक रहा था" दीदी मुड़ कर बोली.
"ऐसे ही, दीदी, तुमने भी तो शनिवार रविवार की बात खुद ही छेड़ी थी, है ना?" मैंने कहा तो दीदी चुप हो गयी. दो मिनिट बाद मैं बोला "दीदी, यूं ही मेरे मन में आया, लगता है सर और मैडम ने मिलकर हमें फ़ंसाया है. मैडम ने जान बूझकर हम दोनों को मालिश के लिये कहा था. फ़िर आकर सर ने पकड़ लिया" मैंने कहा.
"हां अनिल, सच कहता है, वैसे ये गलत बात है. हमें शायद नहीं आना चाहिये है ना?" दीदी बोली और मेरी ओर देखने लगी.
मैं थोड़ा बिचक गया, सोचा कि फालतू ये कहा कि सर और मैडम ने हमें फंसाया. दीदी अब सोच रही थी कि ट्यूशन ही बंद कर दें. लीना को मनाने के लिये बोला "दीदी, वैसे मुझे पक्का नहीं मालूम, ऐसे ही कहा. पर सच बोलो, मजा आया कि नहीं?"
दीदी धीरे से बोली "उससे क्या फरक पड़ता है"
"वाह दीदी फरक क्यों नहीं पड़ता. तुम जो भी कहो, हम दोनों कुछ ऐसा ही हो इसकी फिराक में थे, है ना?"
"हां रे, मैडम कितनी खूबसूरत हैं? है ना?" दीदी आखिर थोड़ी खुलकर बोली.
मैं बोला. "और सर भी, उनका लंड देखा ना दीदी? क्या माल है! झूट मत बोल, तू कैसे चूस रही थी गन्ने जैसे" मैं बोला.
"हां, मजा तो आया. तू ही बोल क्या करें?" दीदी कनखियों से देखकर बोली.
"आयेंगे ना दीदी, प्लीज़" मैंने दीदी का हाथ पकड़कर कहा. "मजा आयेगा. सर और मैडम ने जान बूझकर भले किया हो पर हम ही तो देखते थे उन दोनों को, उनकी समझ में आ गया और उन्होंने हाथ साफ़ कर दिया. हमें भी तो यही चाहिये था ना दीदी? बोलो, आयेंगे ना दीदी?"
"हां आयेंगे. पर किसी को बताना नहीं, तेरा कोई भरोसा नहीं" दीदी मेरी ओर देखकर बोली.
"मेरा क्या दिमाग खराब हुआ है? पर दीदी अब मैडम और सर मिलकर हमको ... याने आज जैसे रोज ... याने चोदेंगे क्या?" मैंने पूछा.
"फ़िर क्या, पूजा करने को बुलाया है?" दीदी हंसने लगी.
"दीदी, तुम ... चुदवा लोगी सर से? मैं तो मैडम को रोज मस्त चोदा करूंगा आज की तरह!"
"हां रे, डर तो लगता है पर कितना मस्त लंड है उनका. और हंसता क्या है? सर तुझे भी चोदेंगे. छोड़ेंगे थोड़े" दीदी मुझे धक्का देते हुए बोली.
"पर दीदी, मैं तो मर्द हूं. मेरी ... याने मेरी चूत थोड़े है तेरे जैसी, फ़िर कैसे चोदेंगे" मैंने सकपकाकर पूछा.
"अरे इतना भोला मत बन, कल कैसी किताब पढ़कर सुना रहा था मस्तराम की. वो देवर भौजी की गांड मारता है तब की ..."
"याने दीदी, सर मेरी .... बाप रे, मैं नहीं आने वाला कल" मैं सहम कर बोला.
"मत आ, मैं तो जाऊंगी. वो मैडम के मम्मे कितने प्यारे थे, याद है ना? देखा था ना? मुझसे खूब चुसवाये आज उन्होंने. और उनकी चूत का स्वाद ... वो तो तूने लिया ही नहीं. और सर कल ही तेरे को ... ऐसा थोड़े ही है, वो तो मैं इस लिये कह रही थी कि मुझे लगता है कि मैडम और सर दोनों को हम दोनों से ये मस्ती का लगाव हो गया है" दीदी मुझे लुभाते हुए बोली.
"तो दीदी, मैं क्या सिर्फ़ मैडम के साथ मस्ती नहीं कर सकता, सर मना करेंगे क्या?" मैंने पूछा.
"और क्या, तुझे लगा खुश होंगे? पर तू डरता क्यों है, सर तुझे बहुत पसंद करते हैं. सर ने तुझे प्यार किया ना अकेले में? वैसे ही जैसे मैडम ने मुझे किया? तुझे अच्छा नहीं लगा क्या? मेरी कसम सच बता!"
"हां दीदी, पहले बहुत अजीब लगा, पर बाद में मेरा खड़ा होने के बाद अच्छा लगा. मैं तो बस थोड़ा इसलिये डर रहा था कि सर का बहुत बड़ा है. वैसे बहुत मस्त है दीदी, एकदम खूबसूरत है, जब मैं हाथ में ले कर ... तब बहुत मजा आ रहा था दीदी"
"और कुछ नहीं किया सर ने? मलाई नहीं खिलाई तेरे को? मुझे चुसवाने के पहले अकेले में नहीं चुसवाया था सर ने अपना गन्ना? और तूने भी कुछ किया होगा. देख बात मत बना, ऐसा भोला भाला मत बन" दीदी ने ताना दिया.
मैं शरमा कर नीचे देखने लगा. "हां दीदी"
"तो नाटक मत कर, अपन दोनों कल से चलेंगे तीन घंटे के लिये, ठीक है ना?" दीदी बोली.
"हां दीदी. बहुत मजा आयेगा दीदी, आज तो सर पहले डांट रहे थे इसलिये मैं घबरा गया था, बाद में कितना प्यार किया उन्होंने, है ना दीदी?" मैं खुद को समझाता हुआ बोला, कल के बारे में सोच सोच कर मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो रहा था.
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