RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
हम दोनों भाई बहन बताया हुआ काम करने लगे. सर अब दीदी को बोले "लीना, तेरे दो काम हैं. चूसना और चुसवाना. बहुत अच्छे से चूस रही है तू. बाद के लेसन में और सिखा दूंगा कि अंदर तक पूरा निगल कर कैसे चूसते हैं. पर अभी अपनी मैडम का भी खयाल करो, उन्हें तेरी चूत चूसने में ज्यादा मेहनत न करनी पड़े. मजे ले लेकर चुसवाओ और खूब सारा पानी मैडम को पिलाओ. ठीक है ना?"
दीदी ने मुंडी हिलाई. हम दोनों भाई बहन मन लगाकर चौधरी सर और मैडम ने बताया था वैसे करते रहे.
"मैडम चुद रहीं है ना ठीक से अनिल? देख इसमें गफ़लत मत करना, मैडम गुरुआइन हैं तुम्हारी, उन्हें पूरा संतुष्ट करोगे तो आशिर्वाद पाओगे"
मैं और मन लगा कर सटा सट मैडम को चोदने लगा. उनकी गीली रिसती बुर में से अब ’फच’ ’फच’ ’फच’ की आवाज आ रही थी.
"लीना, मेरा लंड थोड़ा और निगल, ऐसे सुपाड़ा चूसना तो ठीक है पर जरा गन्ने को भी तो चूस. और देख, अब तेरी मेहनत का फ़ल तुझे मिलने वाला है, वह ठीक से भक्तिभाव से ग्रहण करना, मुंह से टपकने न देना" लीना के सिर को अपने पेट पर दबा कर चौधरी सर बोले.
लीना दीदी का बदन अचानक कपकपाने लगा और वह मैडम के सिर को पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी. मैडम जोर जोर से चूसने लगीं, सर्र सप्प सुप की आवाजें करते हुए. साथ ही वे अपनी टांगें फ़टकारने लगीं. चौधरी सर ने झुक कर मेरा सिर अपनी हथेलियों में लिया और मुझे चूमकर बोले. "बस बहुत अच्छे मेरे लाड़लो. लीना तो मैडम की प्यास अब बुझा रही है, उसकी भूख मैं अभी मिटाता हूं, अब तू मैडम को ऐसे चोद कि वे एकदम खुश हो जायें. और ये अपनी मैडम के मम्मे तुझे पसंद नहीं आये क्या? तब से देखो बेचारे वैसे ही अलग से पड़े हैं, जरा उनकी भी खबर ले"
मैंने मैडम की चूंचियां पकड़ीं और दबा दबा कर मैडम को चोदने लगा. चौधरी सर लगातार मेरा चुम्मा ले रहे थे और मेरी जीभ चूसते हुए लीना दीदी के सिर को अपने पेट पर दबाकर उसका मुंह चोद रहे थे.
पहले मैडम झड़ीं और कसमसाकर उन्होंने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया. मैंने चौधरी सर के होंठ अपने दांतों में दबाये और कस के चूसते हुए एक मिनिट में झड़ गया. फ़िर लस्त होकर बैठ गया. अगले ही पल चौधरी सर ने मेरे मुंह में एक गहरी सांस छोड़ी और उनका बदन भी थिरक उठा. दीदी मन लगाकर उनका लंड चूस रही थी.
दो मिनिट बाद सब अलग हुए और पलंग पर बैठ गये. लीना दीदी अपना मुंह पोछ रही थी. चौधरी सर के गाढ़े वीर्य के कुछ कतरे उसके होंठों से लटक रहे थे. मैंने तुरंत आगे होकर दीदी का मुंह चूम लिया और वे कतरे चाट लिये "अच्छा लगा गन्ने का रस लीना? तूने करीब करीब पूरा निगल लिया ये देखकर मुझे अच्छा लगा. थोड़ा वैसे तेरे मुंह से निकल आया देख, पर कोई बात नहीं, तेरे भाई ने देख कैसे प्रेम से चाट लिया. ये नायाब चीज है, वेस्ट नहीं करनी चाहिये. अनिल बड़ा समझदार हो गया है एक ही लेसन के बाद. तो लीना, तू कुछ बोली नहीं?"
"सर ... बहुत अच्छा लगा सर ... मलाई जैसा .... और मुंह में लेकर भी बहुत अच्छा लगता है सर, इतना बड़ा और मांसल है आपका ल .... मेरा मतलब है ये आपका ... याने सर..." लीना दीदी का मुंह शरम से लाल हो गया था पर वैसे वह खुश लग रही थी.
"रुक क्यों गयी बोल .. बोल .. आपका ... ये ... याने ... इसके पहले क्या बोल रही थी?" सर ने हंसते हुए पूछा.
"सर ... लंड" लीना सिर झुका कर बोली.
"बहुत अच्छे, शरमाना नहीं चाहिये, खुला बोलना चाहिये. अब बता, तुझे मजा आया कि नहीं मैडम को अपना पानी पिलाकर?"
"हां सर ... इतना अच्छा लगा ... मैं... याने बहुत मजा आया सर, मैडम जीभ से मुझे कैसा कैसा कर रही थीं" लीना दीदी बोली.
"चलो, सुना सुप्रिया रानी, तेरी स्टुडेंट तो फ़िदा है तुझपर, वैसे इस लड़की का स्वाद कैसा था?" चौधरी सर ने मैडम को पूछा.
मैडम एक हाथ से दीदी के मम्मे सहला रही थी और एक हाथ से मेरे मुरझाये लंड को प्यार से मसल रही थीं. मुस्कराकर बोलीं "अरे ये कोई पूछने की बात है? ये लड़की तो एकदम मिठाई है मिठाई. जवान बदन का रस है आखिर. और इस लड़के ने भी बहुत अच्छा मेहनत की. बहुत प्यार से और जोर से धक्के लगा रहा था. मेरी बुर को पूरा मजा दिया इसने"
"चलो, बहुत अच्छा हुआ. अब बच्चो, आज की तुम्हारी गलती माफ़ की जाती है. अब घर जाओ, देर हो गयी है. पर अब ऐसे लेसन रोज होंगे. तुम्हें ठीक से सिखाना पड़ेगा. दोनों अच्छे होनहार हो और बहुत प्यारे हो, जल्दी ही सब सीख जाओगे. अब कल से घर में बता कर आना कि सर और मैडम रोज एक घंटे की नहीं, तीन घंटे की ट्यूशन लेने वाले हैं. तुम्हारा स्कूल तीन बजे छूटता है ना?" सर ने पूछा. हमने मुंडी हिलायी.
"तो बस घर जाकर अच्छे से नहा धोकर फ़्रेश होकर चार बजे आ जाया करो. मैं और मैडम तीन घंटे तुम्हें पढ़ायेंगे, सात बजे तक. ठीक है ना?"
हमने खुश होकर मुंडी हिलायी और कपड़े पहनने लगे. मैंने साहस करके पूछा "सर ... याने एक बात पूछूं सर?"
"हां हां बोलो, डरो मत"
"सर हमारे लेसन ऐसे ही आप और मैडम दोनों मिलाकर लेंगे कि अलग अलग ... याने ..." कहकर मैं शरमा कर चुप हो गया.
"तुम बोलो. तुम्हें मैडम से पढ़ना है या मुझ से? तू भी बता लीना" चौधरी सर मुस्करा कर बोले.
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