RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-6
गतांक से आगे............................
"क्यों लीना, मैडम ने कुछ सिखाया या नहीं?" सर ने दीदी की चूंची पकड़ कर पूछा.
लीना से ठीक से बोला भी नहीं जा रहा था. बस सर और मेरी ओर पथरायी आंखों से देखकर "ओह ... हां ... अं ...अं" करती रही. फ़िर उसकी नजर सर के आधे खड़े लंड पर पड़ी, बस उसने नजर वहीं गड़ा दी. ऐसे देख रही थी जैसे बच्चा ललचा कर खिलौने को देखता है.
मैडम ने मुंह उठाकर कहा "आ गये तुम? पाठ खतम हो गया लगता है? कैसा है यह लड़का पढ़ने में? कुछ सीखा या ऐसे ही भोंदू जैसा बैठा रहा?"
सर बोले "सुप्रिया रानी, ये तो एकदम होशियार है, एक बार में सीख गया. इसे अब एक्सपर्ट कर दूंगा. यह लड़की कैसी है?"
"बड़ी मीठी प्यारी सी बच्ची है. अच्छा सीख रही है, सब कहा मानती है. अभी तक मेहनत कर रही थी बेचारी अपनी मैडम की खूब सेवा की इसने. मेरा शहद भी चख लिया. अब जरा इसे इसकी मेहनत का इनाम दे रही हूं" मैडम ने मुस्कराकर कहा.
"ऐसा करो, हम दोनों मिलकर सिखाते हैं इन्हें. जल्दी लेसन हो जायेगा. फ़िर इन्हें जाने दो. कल से ठीक से पढ़ाना पड़ेगा. बड़े होनहार स्टूडेन्ट हैं" चौधरी सर ने पलंग पर चढ़ते हुए कहा. उन्होंने मैडम को चित लिटाया और मुझे बोले "अनिल, चल आ जा. मैं दिखाता हूं वैसे कर. मैडम के नाम से मचल रहा था ना तू? ले मैडम को दिखा दे कि तुझमें कितनी अकल है, चल मैडम की टांगों के बीच बैठ"
उन्होंने मेरा लंड पकड़कर मैडम की चूत पर रखा और इशारा किया. मैंने पेला तो पुक्क से मेरा लंड मैडम की उस गहरी बुर में घुस गया. एकदम गीली और गरम थी मैडम की चूत.
"लीना, तू उठ और ठीक से बैठ मैडम के मुंह पर. ऐसे ... बहुत अच्छे. साइकिल पर बैठती है ना, वैसे ही बैठ. सवारी कर मैडम के मुंह पर, पैर चला जरा. मैडम की प्यास बुझनी चाहिये ठीक से, नहीं तो मेरा वो बेंत अब भी पड़ा है बाहर. समझ गयी ना?"
लीना दीदी ने मुंडी हिलायी. उसकी हालत काफ़ी नाजुक थी. शायद चूत में होती मीठी कसक उससे संभल नहीं रही थी. "अब मुंह खोल लीना. ये लेसन तूने नहीं किया, पर तेरे भाई ने बहुत अच्छा किया. चल मुंह में ले और चूस. समझ ले गन्ना है. रस निकाल ले इसमें से. जितनी जल्दी रस निकालेगी, उतने मार्क ज्यादा दूंगा" चौधरी सर दीदी के सामने बैठ गये और अपने लंड को उसके होंठों और गालों पर रगड़ने लगे. अब तक उनका शिश्न एकदम तन कर खड़ा हो गया था.
दीदी अब जोर जोर से सांस लेते हुए उचक उचक कर मैडम के मुंह पर अपनी बुर घिस रही थी. वह जीभ निकालकर चौधरी सर के लंड को चाटने लगी. सर मुस्कराये "बहुत अच्छे लीना. लेसन की तैयारी अच्छी है. पर मुंह खोलो, ये लेसन बाद में ठीक से पूरा दूंगा. अभी जल्दी में समरी सिखाता हूं बस"
दीदी ने मुंह खोला और सर का सुपाड़ा गप्प से निगल लिया. फ़िर आंखें बंद करके चूसने लगी. सर ने उसके दोनों चोटियां हाथ में ले कर उसका सिर अपनी ओर खींचा. "वाह, यह लड़की इस लेसन को अच्छा करेगी लगता है, क्यों रे अनिल, तूने भी इतनी जल्दी नहीं किया था. और क्या प्यार से चूस रही है लड़की, एकदम स्वाद लेकर. अब चूसो लीना, अपने सर का प्रसाद पाओ. और तुम अनिल, अब कमर आगे पीछे करो, धक्के मारो. मालूम है इसे क्या कहते हैं?"
"हां सर. चोदना." मैडम की बुर में लंड पेलता हुआ मैं बोला
"बहुत अच्छे. अब तुम्हारा काम यह है कि तब तक चोदो जब तक मैडम खुद न बोलें कि अब रुको. समझे ना? तेरा यही काम है अब" चौधरी सर बोले. वे भी अब धीरे धीरे आगे पीछे होकर दीदी के मुंह को चोद रहे थे.
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